Chapter 1: A Soldier’s Call
Arjun Rathore’s journey begins in the dusty lanes of a small Rajasthani village, with a dream bigger than himself: to wear the uniform and serve the nation. From the rigid training grounds of NDA to his first icy posting in the treacherous valleys of Kashmir, every step forges him into an unbreakable soldier. Amid loyalty, brotherhood, and brutal reality, Arjun’s courage shines, but one deadly encounter changes his fate forever. This is the first call of a soldier whose story goes far beyond the battlefield, into shadows where silence is the deadliest weapon. Listen to the beginning of Broken Lines, Unbroken Spirits, and march alongside Arjun on a path of sacrifice, secrets, and unspoken valor.
कृतज्ञता और श्रद्धांजलि
उन निडर रक्षकों को समर्पित, जो रात-दिन हमारी सुरक्षा में तैनात हैं।
जब मैं यह लिख रहा हूँ, तो मन में अत्यंत विनम्रता और गर्व है—उन वीर सपूतों के लिए जो अपने जीवन को राष्ट्र की रक्षा में समर्पित कर चुके हैं। यह किताब केवल एक काल्पनिक कहानी नहीं, बल्कि भारतीय सेना और खुफिया एजेंसियों को समर्पित मेरी विनम्र श्रद्धांजलि है—वे जो खामोशी से लड़ते हैं, गुमनाम रहते हैं और देश को सुरक्षित रखने का व्रत निभाते हैं।
भारतीय सेना को:
कारगिल की चोटियों से लेकर पूर्वोत्तर के जंगलों तक, आप हर मोर्चे पर अडिग खड़े हैं। आप सिर्फ सैनिक नहीं हैं, बल्कि हमारे सपनों के रक्षक हैं। हम अपने परिवारों के साथ चैन से सो पाते हैं क्योंकि आप हड्डियाँ गलाती सर्दी, झुलसाती गर्मी और एकांत चौकियों में जागते रहते हैं।
आपकी वीरता सिर्फ युद्धभूमि में नहीं, बल्कि बर्फीले तूफानों में राशन पहुँचाते समय, घायल साथी को सहारा देते समय, और थकान के बावजूद हौसला बनाए रखने में भी झलकती है।
हमारी खुफिया एजेंसियों को:
जब सेना शक्ति से रक्षा करती है, आप बुद्धिमत्ता और दूरदृष्टि से सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। RAW और IB जैसे संगठनों के अधिकारी गुमनाम रहकर आतंक के षड्यंत्रों को रोकते हैं, दुश्मनों की चालें पकड़ते हैं और राष्ट्र की सीमाओं से परे अपने प्राणों को जोखिम में डालते हैं।
आपका कार्य छाया में होता है, लेकिन उसका असर पूरे देश की सुरक्षा पर पड़ता है। आपकी बुद्धिमत्ता और साहस से हम हर रोज़ एक सुरक्षित जीवन जीते हैं।
उन परिवारों को:
आप भी उतने ही वीर हैं। आपने अपनों को देश के लिए समर्पित किया। आपके आँसू, आपकी प्रतीक्षा, आपका धैर्य—इन सबने हमारे रक्षकों को और अधिक सशक्त बनाया।
यह किताब आपके लिए है:
इस कहानी में हर संघर्ष, हर विजय उन वीरों से प्रेरित है जो असंभव हालात में भी हार नहीं मानते। यह कल्पना जरूर है, लेकिन इसके हर पन्ने में आपके साहस की झलक है।
आपकी कहानियाँ हमें बेहतर नागरिक बनना सिखाती हैं।
और यही सबसे बड़ी प्रेरणा है।
जय हिंद।
जब दुश्मन दिखता नहीं, तो लड़ाई और भी खतरनाक हो जाती है।
सामने अब कोई समीर खान नहीं, बल्कि The Jade Syndicate है—एक अंतरराष्ट्रीय संगठन जो दुनिया को जैविक आतंक और आर्थिक तबाही के मुहाने तक लाने वाला था।
अर्जुन राठौर इस बार डैनियल वोंग की पहचान में घुसता है दुश्मन के सबसे गहरे अड्डे में—शंघाई की ऊंची इमारतों के बीच, जहां द ड्रैगन जैसे खतरनाक दिमाग बैठकर रच रहे हैं ग्लोबल विनाश की स्क्रिप्ट।
🔍 RAW की मदद से चलती है एक तीन-तरफ़ा रणनीति—फंडिंग रोकना, लैब तबाह करना, और नेतृत्व को खत्म करना।
🎯 क्या अर्जुन इस आखिरी ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचा पाएगा? या इस बार अंधेरे बहुत गहरे हैं?
🎧 सुनिए “The Final Strategy” – जहां एक एजेंट, एक मिशन और दुनिया की किस्मत एक ही धागे से बंधी है।
क्योंकि जंग सिर्फ बॉर्डर पर नहीं, परदे के पीछे भी लड़ी जाती है।
एक वायरस जो कागज़ों पर नहीं, इंसानों के लिए बना था।
एक प्लान जो सिर्फ एक देश को नहीं, पूरी दुनिया को घुटनों पर लाने वाला था।
हॉन्ग कॉन्ग की चकाचौंध के पीछे छुपी थी एक साजिश—Red Scorpion—एक जैविक हथियार जिसे लॉन्च किया जाना था मुंबई, सिंगापुर और टोक्यो जैसे शहरों में।
RAW एजेंट अर्जुन राठौर, इस बार सौरव दुग्गल बनकर, घुस चुका था दुश्मन के दिल तक।
🧠 हाई-फाई गालाज, बंद कमरों की मीटिंग्स, और दुनिया की सबसे घातक वायरोलॉजिकल रिसर्च—सब कुछ एक भयानक अंजाम की ओर इशारा कर रहे थे।
🔥 क्या अर्जुन समय पर नेटवर्क तोड़ पाएगा? क्या समीर खान को गिरफ़्तार करना मुमकिन है?
🎧 सुनिए “The Bio-War” – एक हाई-ऑक्टेन फिनाले जहां दांव है करोड़ों ज़िंदगियों का, और योद्धा है एक अकेला जासूस।
इस बार सिर्फ देश ही नहीं, इंसानियत दांव पर है।
एक स्टार्टअप, एक वायरस, और एक दुश्मन जो किसी देश की सीमाओं से नहीं बंधा।
अर्जुन राठौर अब बना राजत गुप्ता — दुबई की टेक कंपनी AxionCorp में एक ब्लॉकचेन विशेषज्ञ। लेकिन यह कोई आम कंपनी नहीं थी। इसके एन्क्रिप्टेड सर्वर से होती थी करोड़ों की क्रिप्टो ट्रांजैक्शन, जिनसे मिलती थी फंडिंग… बायो-वेपन्स लैब्स को!
🧬 चीन से ताजिकिस्तान तक फैली इस साजिश का मक़सद था भारत की अर्थव्यवस्था को गिराना और जनसंख्या को बीमार करना।
एक यॉट पार्टी पर मिला संकेत, एक स्मार्टवॉच से हुआ डेटा एक्सेस और फिर शुरू हुआ असली खेल—हाई-लेवल चीनी एजेंट्स, गायब होता सीईओ, और एक नेटवर्क जो अब भी सक्रिय था।
🎧 सुनिए “Crypto and Catastrophe” — एक साइबर थ्रिलर जहां जासूसी, टेक्नोलॉजी और वैश्विक राजनीति की परतें खुलती हैं।
इस बार दुश्मन दिखता नहीं, पर उसका हमला जानलेवा है। और अर्जुन के पास समय बहुत कम है।
बैंकॉक की चकाचौंध भरी गलियों के पीछे छिपा था एक जाल—धन, शक्ति और विश्वासघात का।
इस बार अर्जुन राठौर बना राहुल मेहरा, और उसका हथियार था मोहक आकर्षण और चालाकी। लक्ष्य था — सोमचाई अनुवत, एक भ्रष्ट थाई अधिकारी जो आतंक की फंडिंग कर रहा था क्रिप्टो और शेल कंपनियों के जरिए।
RAW की सबसे खतरनाक चाल थी लैला खान — एक प्रशिक्षित जासूस जिसने सोमचाई के दिल को जीतकर उसकी कमज़ोरियों को हथियार बना दिया।
⚠️ यॉट पार्टी से लेकर सीक्रेट सर्वर रूम तक, और एक “फिलांथ्रॉपिक फंड” के नाम पर मिली वो एक एक्सेस जिसने पूरे नेटवर्क को उधेड़ दिया।
🎧 सुनिए “The Honey Trap” — एक रोमांचक जासूसी अध्याय जहाँ हुस्न और होशियारी की जुगलबंदी ने गिरा दिया एक अंतरराष्ट्रीय आतंक नेटवर्क।
कभी-कभी जंग जीतने के लिए प्यार का भ्रम रचाना पड़ता है… लेकिन उसकी कीमत कौन चुकाता है?
तीन साल, एक नकली पहचान, और एक मिशन जिसने अर्जुन राठौर को भुला दिया—अब बचा है सिर्फ ‘एलेक्सी रोमानोव’।
अस्ताना की बर्फ़ीली हवाओं में अर्जुन ने एक नया जीवन जिया—एक रूसी ब्लॉकचेन सलाहकार बनकर। उसका लक्ष्य: नुरलान अख्मेतोव, एक कज़ाख नेता जो क्रिप्टो के जरिए आतंक और जैविक हथियारों की फंडिंग कर रहा था।
हर चाल सुनी गई, हर रात झूठ में बीती, हर दिन एक नई परत उधेड़ती रही उस नेटवर्क की जो कई देशों में फैला था।
📡 Risky chess games, diplomatic coverups, और bio-weapons labs की जड़ें खोदता हुआ एक अकेला जासूस…
जब आख़िरकार मिशन पूरा हुआ और एक नई दुनिया उजागर हुई—अर्जुन को मिला सिर्फ़ ख़ालीपन।
🎧 सुनिए “The Long-Term Espionage”—एक ऐसी कहानी जहाँ देश की रक्षा के लिए एक आदमी ने अपनी असल पहचान खो दी… और शायद अपनी आत्मा भी।
क्या कोई इंसान इतना लंबा झूठ जी सकता है… बिना टूटे?
देश के लिए एक और मिशन पूरा हुआ—लेकिन क्या अर्जुन अब भी वही इंसान है जो कभी था?
अर्जुन राठौड़ ने अफ़ग़ानिस्तान में दुश्मनों का नेटवर्क तोड़ दिया, लेकिन उस जीत की एक भारी कीमत थी—अहमद गुल की जान। एक मासूम दोस्त, जिसने अर्जुन पर अंधा भरोसा किया… और अपनी जान गंवा दी।
अब इस्तांबुल की चमक-दमक में अर्जुन बन चुका है इब्राहीम कुरैशी, एक ब्लॉकचेन बिज़नेस टायकून। मगर उसकी असली पहचान सिर्फ उसे और RAW को मालूम है।
🎯 Target: केमाल आयदिन—क्रिप्टो के जरिए आतंक का फंडिंग मास्टरमाइंड।
गहरी चालें, नकली रिश्ते, और अंत में—एक ऑपरेशन जिसने पूरी सप्लाई चेन को ध्वस्त कर दिया। लेकिन जब केमाल भाग निकला, अर्जुन जानता था—युद्ध अभी बाकी है।
🎧 सुनिए “The Cost of Deception”—जहाँ हर झूठ एक ज़िंदगी लेता है… और हर मिशन अर्जुन की आत्मा का एक टुकड़ा छीन लेता है।
देश के लिए अर्जुन झूठ जीता है—but क्या वो सच में अब भी ज़िंदा है?
अफगानिस्तान की धूल भरी गलियों में छुपा था एक ऐसा सच… जो पूरी दुनिया को हिला सकता था।
अर्जुन राठौड़, अब रेहमत ख़ान के रूप में, काबुल की गलियों में एक झूठी पहचान के साथ जी रहा था। उसका मिशन था—आतंकी नेटवर्क में घुसपैठ करना और उस फंडिंग चैन को ट्रैक करना जो क्रिप्टोकरेंसी के ज़रिये बायोवेपन्स बना रहा था।
🧪 एक वायरस जो मुंबई, सिंगापुर और दुबई को कुछ घंटों में गिरा सकता था।
अर्जुन को Jalalabad में ‘The Jade Syndicate’ के अंदर घुसना पड़ा—जहाँ एक सुनियोजित ऑपरेशन ने दुश्मनों के दिलों में हलचल मचा दी।
एक दबे पांव ट्रांसमीटर, एक सिगरेट के साथ दबाया गया बटन, और फिर—आसमान से बरसे विनाश के शोले।
🔥 सुनिए कैसे एक अकेले जासूस ने दुश्मन का पूरा तंत्र तहस-नहस कर दिया… बिना अपनी पहचान खोए।
पर क्या उसने खुद को खो दिया?
🎧 “Months in Shadows”—जहाँ जीत सिर्फ बाहर नहीं, अंदर की जंग से भी मिलती है।
दिल्ली की सड़कों पर अंधेरा था… और एक कड़वा सच सामने आने वाला था।
कमांडर नलिनी शर्मा—RAW की एक वरिष्ठ अधिकारी और अर्जुन राठौड़ की मेंटोर—ISI के लिए जासूसी कर रही थी। अर्जुन की ज़िंदगी में अब कोई भरोसेमंद चेहरा नहीं बचा था।
जब अर्जुन ने नलिनी की गुप्त मुलाकातें ट्रैक कीं, रिकॉर्डिंग डाली, और एक बड़े राज़ से पर्दा हटाया—तो उसके सामने देशद्रोह का सबसे भयावह रूप था।
🔍 लेकिन वो इस खेल को वहीं खत्म नहीं करना चाहता था।
उसने नलिनी को डबल एजेंट में बदल दिया—ISI को फर्जी सूचनाएं देना, RAW को असली योजनाओं तक पहुंचाना।
परछाइयों की ये चालें आसान नहीं थीं। एक-एक चाल पर जान का खतरा था।
फिर आया दुबई का ऑपरेशन, जहां एक स्नाइपर की गोली से ISI का प्लान चकनाचूर हो गया… और नलिनी का खेल भी।
💥 सुनिए इस एपिसोड में कि कैसे एक गहरी साज़िश के बीच अर्जुन बन जाता है वो जो न किसी पर भरोसा करता है… न ही उम्मीद रखता है।
🎧 क्योंकि जासूसी की दुनिया में, सबसे बड़ा दुश्मन कभी-कभी अपने सबसे क़रीब ही होता है…
पेशावर की भीड़भाड़ में दाख़िल होता है ‘क़ाशिफ़ अली’ — एक भगोड़ा हथियार तस्कर, जो अपना वजूद बचाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन हक़ीक़त में वह है अर्जुन राठौड़, RAW का प्रशिक्षित ऑपरेटिव, जो इस बार दुश्मन की ज़मीन पर है।
मक़सद साफ़ है: चरमपंथियों के बीच भरोसा जीतना और भारत पर हमले की साजिश को नाकाम करना।
शुरुआती परीक्षा में उसे एक निर्दोष को मारने को कहा जाता है। एक झूठी गोली, एक नकली जाम और अर्जुन का पहला बड़ा धोखा—और उसी से शुरू होती है एक खतरनाक घुसपैठ।
कभी आग के सामने बैठकर झूठे किस्से सुनाने पड़ते हैं, कभी शराब के इनकार को भी चरित्र-परख बनाकर पेश करना पड़ता है।
हर दिन एक झूठ, हर रात एक नई परछाईं।
RAW को भेजी गई गुप्त सूचनाएं भारत में एक बड़े आतंकी हमले को टाल देती हैं, लेकिन मिशन अभी खत्म नहीं हुआ।
जब दुश्मन के सबसे खतरनाक गढ़—क़बायली इलाकों—में उसे घुसना पड़ता है, अर्जुन को पता चलता है कि आतंक की ये जड़ें गहरी हैं… और इनकी शाखाएं ब्लॉकचेन से होकर जाती हैं।
🔥 सुनिए कैसे एक झूठी पहचान के सहारे अर्जुन एक पूरी आतंकवादी नेटवर्क को ढहाता है, लेकिन अपनी आत्मा का एक टुकड़ा वहीं छोड़ आता है।
🎧 परछाईं का यह मिशन अब और गहरा हो चुका है…
RAW की रहस्यमयी दुनिया में कदम रखने के बाद, लेफ्टिनेंट अर्जुन राठौड़ को अब बनाया जा रहा है एक ऐसी परछाईं, जो अस्तित्व में नहीं होती — और जिसकी गलती की कोई माफी नहीं होती।
अरावली की पहाड़ियों के बीच स्थित एक छुपे हुए ट्रेनिंग कैंप में, हर सुबह की शुरुआत होती है 4 बजे — कठोर शारीरिक कसरतों से लेकर घातक स्नाइपिंग ड्रिल्स तक। पर असली परीक्षा मानसिक है: झूठ को सच की तरह जीना, अपनी पहचान भूल जाना, और हर स्थिति में नज़रें, धड़कन और हर हरकत पर नियंत्रण पाना।
“स्नाइपर वो नहीं होता जो गोली चलाता है,” अब्बास कहते हैं, “वो होता है जो सही पल का इंतज़ार करता है।”
लेकिन अर्जुन की सबसे बड़ी चुनौती वो नहीं है जो बाहर है — बल्कि वो है जो भीतर छुपी है।
कमांडर नलिनी शर्मा।
कभी मार्गदर्शक रही, अब रहस्य बन चुकी हैं। उनके आदेश विरोधाभासी हैं, और उनके इरादे अनजाने।
“शंका मत करो उस पर जो समझ से बाहर है,” नलिनी कहती हैं।
पर अर्जुन जानता है — परछाईं के भीतर भी कुछ उजाले होते हैं।
🎧 सुनिए ‘परछाईं की ढलाई’ — जहां अर्जुन बन रहा है NOVA, लेकिन उसकी वफादारी की सबसे खतरनाक परीक्षा अब शुरू होने वाली है।
दिल्ली की भीड़ में सादे कपड़ों में सफर करते लेफ्टिनेंट अर्जुन राठौड़ के दिल में एक तूफान था — एक रहस्यमय कार्ड, एक पता, और RAW की ओर से मिला न्योता। कोई निर्देश नहीं, सिर्फ एक समय और एक जगह।
कनॉट प्लेस के एक अनजान से दरवाज़े ने अर्जुन को एक नए युद्ध के द्वार पर खड़ा किया — एक ऐसा युद्ध जो अंधेरे में लड़ा जाता है, जहां न सलामी मिलती है, न तमगे।
“सफलता यहाँ मौन में मापी जाती है,” मेहरा बोले।
“अगर हाँ कहा, तो लौटना मुश्किल होगा।”
अर्जुन ने बिना हिचक कहा:
“I’m in.”
यहीं से जन्म हुआ NOVA का — Networked Operator for Vital Assignments।
अगली सुबह, उनकी ट्रेनिंग शुरू होती है — और सामने खड़ी होती हैं एक जानी-पहचानी पर बदली हुई शख्सियत: कमांडर नलिनी शर्मा।
कभी उनकी मेंटर थीं, अब एक रहस्य बन चुकी हैं।
“यहाँ असफलता की कोई जगह नहीं,” नलिनी कहती हैं, और अर्जुन कदम रखता है एक नई दुनिया में — जहां उसकी पहचान खत्म होती है, और एक परछाईं जन्म लेती है।
🎧 सुनिए ‘निमंत्रण’ — जहां अर्जुन का सफर अब शुरू होता है देश की हिफाज़त के सबसे गुप्त मोर्चे पर।
गुलमर्ग की घटना को हफ्ते बीत चुके थे, लेकिन लेफ्टिनेंट अर्जुन राठौड़ के मन में वो दिन आज भी ज़िंदा था — हर गोली, हर चीख, और सबसे ज़्यादा विक्रम की मुस्कान। उस दिन विक्रम गया, पर उसके साथ अर्जुन का एक हिस्सा भी टूट गया।
अब, जब कमांडर ने उन्हें बुलाया और कहा:
“आपने असंभव हालात में कमाल किया। आपको ‘सेना मेडल फॉर गैलंट्री’ के लिए नामांकित किया गया है,”
तो अर्जुन के मन में गर्व के साथ एक कसक भी थी।
“अगर विक्रम ना होता तो…”
कर्नल बोले:
“ये मेडल सिर्फ तुम्हारे लिए नहीं, उन सभी के लिए है जिन्होंने साथ दिया और बलिदान दिया। यह विक्रम का भी है।”
सम्मान समारोह में जब अर्जुन को मेडल मिला, उनके चेहरे पर गरिमा थी पर आंखों में आदर और दर्द।
“ये तेरे नाम भी है, विक्रम,” अर्जुन ने आसमान की ओर देखते हुए कहा।
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती। RAW के एक अधिकारी ने अर्जुन को एक गुप्त मिशन का निमंत्रण दिया — एक ऐसा रास्ता जो चुनौतियों से भरा था।
क्या अर्जुन इस नई दिशा में कदम रखेगा?
🎧 सुनिए ‘पहचान’ — जहां सम्मान, दोस्ती और भविष्य की उलझनों से टकराता है एक सैनिक का दिल।
किसी अजीब सी खामोशी में डूबा शिविर… बर्फ़ की रज़ाई, मंद अलाव, टूटे-फटे हथियार — सब कुछ गहरी शांति और भारी बोझ लिए खड़ा था। बीचोंबीच बैठा अर्जुन राठौड़, विक्रम का लाल-पीला स्कार्फ हाथ में लिए, गहराई तक खोया हुआ।
सुबह की चाय के बाद हुई फॉलो‑अप पाट्रोलिंग में सब कुछ सामान्य लग रहा था, लेकिन बर्फ़ीली गलियों में अचानक घात लग गया। गांव घुलमर्ग के पास सैनिकों को अचानक जुर्मों से घेर लिया गया। गोलीबारी में सब उखड़ गए — अचानक एक रॉकेट ब्लास्ट, रास्ता बंद, और शिविर फंस गया।
लेकिन विक्रम ने अपनी जान की परवाह नहीं की — उसने ग्रेनेड फेंककर दुश्मन की घुसपैठ रोक दी। उसकी वीरता ने सबको सुरक्षित निकाला, लेकिन वह खुद वापस नहीं लौटा।
अर्जुन ने उसे ढूंढ़ा — ख़ून से लथपथ, मगर गरिमामय । अर्जुन की आवाज़ टूट गई:
“हम वादा किए थे… बताओ वो कहाँ चला गया?”
रात के अलाव के पास, अर्जुन ने अपना दिल खोला और कहा:
“कुछ लोग सब कुछ दे जाते हैं, बस अपनी एक विरासत छोड़ जाते हैं… और उसकी कहानी हमें ज़िंदा रखती है।”
कैप्टन राघव ने कहा:
“विक्रम ने अपनी जान दी ताक़त देने के लिए। उसकी याद हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देगी। सीखो, इस बलिदान से, और पूरा करो हमारा मकसद।”
और अर्जुन ने फैसला किया:
“हम जियेंगे. लड़ेंगे. और कभी नहीं भूलेंगे।”
❄️ इस कशमकश, दर्द और सीख से भरे अध्याय में सुनिए उस अदम्य आत्मा की कहानी, जिसने मौत का सामना किया — ताकि बाकी लोग ज़िंदा रह सकें।
🎧 “Losses and Lessons” के साथ जुड़ें — जहाँ बलिदान सिखाता है असली बहादुरी की परिभाषा।
कुपवाड़ा की घाटी पर बर्फ़ की लगातार छलक रही चादर सब कुछ शांत और उजाड़ बना रही थी—लेकिन यही माहौल मौत की साज़िश छिपाए हुए था। लेफ्टिनेंट अर्जुन राठौड़ ऊँची चट्टानों पर खड़ा था, दूर से एक सप्लाई काफिला धीमे-धीमे आगे बढ़ता दिख रहा था।
यह सिर्फ़ एक रुटीन ऑपरेशन था—लेकिन कुपवाड़ा में “रुटीन” का मतलब अक्सर खतरनाक होता है। अर्जुन की जाँघ तक जम चुकी साँसों ने उसे सतर्क किया था। कैप्टन राघव की कड़क आवाज़ ने आगाह किया: “ये यार शातिर होते हैं…” और उसके बाद कुछ पल में ही बर्फीली खामोशी में विस्फोट की गर्जना गूंज उठी।
लाही पड़ा ट्रक, आग का गुबार, और अचानक शुरू हुई लड़ाई। अर्जुन, विक्रम और साहिल ने मिलकर दुश्मन को चकमा दिया, लेकिन इस लड़ाई की कीमत थी—कुछ साथी पीछे छूट गए।
कैप्टन राघव की आवाज़ ने गूँजाया: “फ्लैंक कर!” अर्जुन ने दुश्मनों के रेडियो आउटपोस्ट को निशाना बनाया और विक्रम के साथ मिलकर उन्हें एकदम सुचारु कर दिया। इसी एक कदम ने लड़ाई का मोड़ बदल दिया।
जब आख़िरी गोली गूंज गया, तो घाटी में अचानक एक अजीब सी ख़ामोशी छा गई। विजय मिली थी—लेकिन उसका स्वाद कसैला था। घायल साथी, मरने वालों की लाशें, और बचे सैनिक—उनकी आँखों में मिश्रित थकावट, गर्व, और गहरा सौगंध था।
रात को छोटा सा कैंपफायर गर्माया गया—पर दिल ठंडे थे। तब, साहिल ने धीमी आवाज़ में कहा: “सिर्फ़ आप सबकी वजह से मैं ज़िंदा हूँ।” विक्रम मुस्कराया: “पर अगली बार फ्रीज़ मत होना—गोलियाँ इंतज़ार नहीं करेंगी!”
और अर्जुन ने, एक अँधेरी रात में, खुद से कहा:
“रूटीन को रूटीन मत समझना… और हमारे बीच का ये बंधन—ये हमारी ताक़त है।”
कुपवाड़ा की बर्फ़ उस रात गवाह बनी—एक मोड़ का, एक वादा का, और एक नए अध्याय का।
🎧 सुनिए इसके साथ एक और कशमकश, जहाँ युद्ध केवल गोलियों से नहीं, बल्कि डर, नेतृत्व, और एकजुटता से भी लड़ा जाता है।
जम्मू-कश्मीर की बर्फ़ीली चोटियों के बीच एक सुनहरी सुबह ने दस्तक दी। लेकिन यह कोई आम सुबह नहीं थी—यह थी एक और दिन की शुरुआत जहाँ मौत छिपी रहती है हर मोड़ पर, और ज़िंदगी टिकती है सिर्फ़ साथ निभाने के भरोसे पर।
कैप्टन राघव की कड़क आवाज़ सुबह की खामोशी को तोड़ती है, और लेफ्टिनेंट अर्जुन राठौड़ उठते हैं, रात की ठंड को झटकते हुए। विक्रम सिंह—उनका सबसे करीबी दोस्त—अब भी रज़ाई में दुबका हुआ है, अपने तकियों से युद्ध लड़ता हुआ। दोनों के बीच की हंसी-मज़ाक, ठंडी हवा में गर्माहट घोल देती है।
ड्रिल्स शुरू होती हैं—हाड़ कंपा देने वाली ठंड में दौड़, दीवारों पर चढ़ाई, और गोलीबारी की प्रैक्टिस। पसीने से तर सैनिकों की थकान भी उनकी एकता को नहीं तोड़ पाती। चाय के कप के साथ मुस्कानें साझा होती हैं, और नई भर्ती साहिल की आँखों में डर की जगह अब आत्मविश्वास है।
लेकिन यहीं खत्म नहीं होता—गश्त पर निकलते ही अचानक दुश्मन का हमला होता है। गोलियों की बारिश, जंगल की चीखती खामोशी, और जान बचाने की लड़ाई शुरू हो जाती है। अर्जुन, विक्रम और बाकी साथी अपने प्रशिक्षण और एक-दूसरे पर विश्वास के सहारे दुश्मन को पीछे धकेलते हैं। साहिल, जो कुछ हफ़्ते पहले डर से कांप रहा था, अब निशाना साध रहा है—युद्ध ने उसे जवान बना दिया।
जब लड़ाई थमती है, सैनिक थके हुए, लेकिन ज़िंदा हैं। साहिल के चेहरे पर पहली बार गर्व की हल्की मुस्कान है।
रात को अलाव के पास बैठकर जब हंसी, मज़ाक और पुराने किस्से चलते हैं, तो ये सैनिक सिर्फ़ एक यूनिट नहीं, बल्कि एक परिवार बन जाते हैं। विक्रम के जोक्स, राजन के तंज़, और अर्जुन की गंभीर परछाइयाँ—सब मिलकर एक रिश्ता गढ़ते हैं जो सिर्फ़ खून नहीं, भरोसे से बना है।
और जब अर्जुन आग की लपटों में झाँकते हुए कहता है—“हम ये लड़ाई मेडल्स के लिए नहीं, इन लोगों के लिए लड़ते हैं”, तो यक़ीन हो जाता है कि असली वीरता सिर्फ़ बंदूक उठाने में नहीं, अपने भाइयों के लिए खड़े रहने में है।
🎧 सुनिए एक और अध्याय इस दोस्ती, बलिदान और भरोसे के युद्ध का—जहाँ युद्ध से भी ज़्यादा शक्तिशाली होता है “एक सैनिक का रिश्ता”।
कुपवाड़ा—जहाँ बर्फ़ की चादर सुंदरता को ढकती है, लेकिन उसके नीचे छिपा होता है मौत का सन्नाटा। लेफ्टिनेंट अर्जुन राठौड़ के लिए यह ठंडी घाटी अब नया मोर्चा है—राजस्थान की तपती रेत से बिल्कुल अलग। हर सांस, हर कदम यहाँ सिर्फ़ ज़िंदा रहने की जंग है।
LOC के पास बने बेस कैंप में अर्जुन और उसके साथी सिपाही, सर्दी से जूझते हुए, दिन की शुरुआत अनुशासन और तैयारी के साथ करते हैं। दोस्ती में तंज कसता विक्रम, घबराया हुआ नया सिपाही साहिल और आदेशों से सख्त कप्तान राघव—हर एक किरदार जंग के इस रंगमंच का हिस्सा है।
लेकिन जल्द ही खामोशी टूटती है। एक घातक घात लगाकर हमला होता है। गोलियों की बौछार, बारूद की गंध और चीखती हुई चेतावनियाँ—अर्जुन और उसकी टुकड़ी मौत से दो-दो हाथ करती है। अर्जुन दुश्मन को पीछे धकेलते हुए अपने साथियों की जान बचाता है, साहिल को हिम्मत देता है, और एक जोखिम भरे कदम से मशीन गन का गढ़ नष्ट करता है।
पर हर जीत की कीमत होती है। जब लड़ाई के बाद बर्फ पर दो साथी सिपाही चुपचाप लेटे मिलते हैं, अर्जुन के दिल में एक सवाल उठता है—“क्या ये क़ीमत सही थी?” कप्तान राघव की बात उसे याद दिलाती है: “हमने मिशन पूरा किया, उनके बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने दिया।”
रात के अंधेरे में, जलती आग के पास, अर्जुन एक छोटा सा नोटबुक खोलता है और उन नामों को लिखता है जो लौटकर नहीं आए। यह सिर्फ़ एक सूची नहीं, बल्कि एक वादा है—कि वो उन्हें कभी नहीं भूलेगा।
उन्हीं ठंडी, चमकती तारों के नीचे अर्जुन एक खामोश कसम खाता है—यह तो सिर्फ़ शुरुआत है।
🎧 सुनिए एक सैनिक की बहादुरी, भाईचारे और अडिग जज़्बे की कहानी—जहाँ हर कदम मौत के साए में उठता है, लेकिन दिल में जिंदा रहता है एक उद्देश्य।
नमस्ते श्रोताओं!इस पहले एपिसोड में मिलिए Broken Lines, Unbroken Spirits के नायक लेफ्टिनेंट अर्जुन राठौर से — एक साधारण गाँव से शुरू होकर खुफिया दुनिया के सबसे खतरनाक मिशनों तक का उसका सफर।यह सिर्फ एक जासूस की कहानी नहीं — यह कहानी है दोस्ती, बलिदान, विश्वासघात और उस गहरे अकेलेपन की, जो देश के गुमनाम नायकों का सच है।लेखक यश प्रजापति की रोमांचक काल्पनिक कृति Broken Lines, Unbroken Spirits जल्द ही ऑडियोबुक रूप में Spotify पर आ रही है।🎧 इस सफर में हमारे साथ चलिए — परछाइयों में छुपी कहानियाँ सुनने और अनसुने रहस्यों को जानने के लिए!Subscribe करें और अगला एपिसोड मिस न करें।