
गुलमर्ग की घटना को हफ्ते बीत चुके थे, लेकिन लेफ्टिनेंट अर्जुन राठौड़ के मन में वो दिन आज भी ज़िंदा था — हर गोली, हर चीख, और सबसे ज़्यादा विक्रम की मुस्कान। उस दिन विक्रम गया, पर उसके साथ अर्जुन का एक हिस्सा भी टूट गया।
अब, जब कमांडर ने उन्हें बुलाया और कहा:
“आपने असंभव हालात में कमाल किया। आपको ‘सेना मेडल फॉर गैलंट्री’ के लिए नामांकित किया गया है,”
तो अर्जुन के मन में गर्व के साथ एक कसक भी थी।
“अगर विक्रम ना होता तो…”
कर्नल बोले:
“ये मेडल सिर्फ तुम्हारे लिए नहीं, उन सभी के लिए है जिन्होंने साथ दिया और बलिदान दिया। यह विक्रम का भी है।”
सम्मान समारोह में जब अर्जुन को मेडल मिला, उनके चेहरे पर गरिमा थी पर आंखों में आदर और दर्द।
“ये तेरे नाम भी है, विक्रम,” अर्जुन ने आसमान की ओर देखते हुए कहा।
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती। RAW के एक अधिकारी ने अर्जुन को एक गुप्त मिशन का निमंत्रण दिया — एक ऐसा रास्ता जो चुनौतियों से भरा था।
क्या अर्जुन इस नई दिशा में कदम रखेगा?
🎧 सुनिए ‘पहचान’ — जहां सम्मान, दोस्ती और भविष्य की उलझनों से टकराता है एक सैनिक का दिल।