आँखें
कुछ दिनों से रातें बेचैन हैं, लगता है किसी ने मेरी निगाहों में अपना मकान बना लिया है। जहां देखु वहाँ सिर्फ़ एक चेहरा नज़र आता है । पलकें दुखने लगी हैं, जैसे उसने दीवारों पर कील ठोक कर कोई तस्वीर लगाई हो। शायद हमारी ही कोई तस्वीर हो ।
देर रात तक आँखें खुली रहती है, लगता है जैसे वो मेरी पलकों से झांक कर दुनिया देखती है और मैं हमेशा की तरह इंतज़ार करता रहता हूँ, की एक बार उस से मील सकूँ । नींद से आँखें बंद हों तो ख्वाबों में मिलने की सोचता हूँ। काफ़ी दिन हों गए हैं । मुझे लगने लगा है की वो अब असल ज़िंदगी में शायद कभी ना मिले, शायद मेरी आँखों से बाहर निकलने का उसका मन नहीं करता। उसको इन आँखों से दुनिया देखना पसंद है, यही सोच सोच कर नींद नहीं आती है और अब कुछ दिनों से धुँधला भी दिखने लगा है, शायद उसने पर्दे लगा लिए हैं.. पलकों से टपकते पानी को वो शायद बारिश समझ बैठी है
काश उसने मेरी आँखों से ख़ुद को देखते देखा होता
जब तुम मेरा नाम लेती हो
खामोशी में जैसे साँस लेती हो
हस कर आँखें भर लेती हो
हवाओं को होठों से छू देती हो
मैं पन्नों पर लिख देता हूँ
खामोशी को में सुन लेता हूँ
हंस कर आंसू ढक लेता हूँ
हवाओं से साँसे चुन लेता हूँ
जब तुम मेरा नाम लेती हो
में कुछ ज़्यादा सुन लेता हूँ
ख़ुद से बातें कर लेता हूँ
खामोशी को भर देता हूँ
पन्नों पर में लिख देता हूँ
जब तुम मेरा नाम लेती हो
ख़ुद को ख़ुद में खो देता हूँ
सुन कर अपना नाम दुबारा
सोचूँ किसने नाम पुकारा
सन्नाटे की कोशिश देखो
दिन भर मेरा नाम सुनाता
तुम क्या जानो क्या होता है
जब तुम मेरा नाम लेती
तुम्हारी जूठी चाय
काफी दिनों बाद ऐसा मेहसूस हुआ है। कुछ अलग नहीं है, लेकिन कुछ थोड़ा बेहतर है। दिन भर, हर वक़्त, हर पल ठीक ऐसा मेहसूस होता है जैसा मुझे कभी महीनों में एक बार उम्मीद से ज्यादा अच्छी चाय पीने के बाद मेहसूस होता है। गरम, अच्छी और अदरक के साथ पकी हुई चाय जब आपके होठों से गुजर कर गले से उतरती है तो एक अलग सुकून मिलता है, लगता है जैसे छाती में कुच्छ भार, थोड़ा अधूरा प्यार और बेचैन फंसी कुछ बातेँ उतर के दिल को छू कर निकल जाती है। ऐसा नहीं कि चाय और मेरा प्यार कुछ ज्यादा है, लेकिन जब चाय पीने के बहाने चाय से अच्छे हो, तो चाय से मोहब्बत की जा सकती है। में इतना खुश नहीं मगर खुद से खफा हूं, इतना कुछ होने के बाद लगता है मेरे दिल के इरादे कुछ अलग है, मैं अक्सर उसे रोकता हूं, समझाता हूं और याद दिलाता हूं सब कुछ लेकिन इस बिचारे दिल कि गलती है ही नहीं.. गलती तो उसके बेचैन दोस्त दिमाग की है, दोनों मिलकर इतनी खुराफाती हरकते करते हैं कि उसका परिणाम मुझे भुगतना पड़ता है। हमेशा कि तरह कर बैठे प्यार फिर से, इनकी आदत बिगड़ चुकी है। मैंने समझाया तो मुझे यकीन दिलाने लगे, कहने लगे कि ये काफी अलग एहसास है.. दिल और दिमाग की दोस्ती ने दावा किया कि अब कि बार जो प्यार हुआ है.. वो उनकी गलती से नहीं हुआ, मेरी बेवकूफियों से हुआ है। मैं खुद को अक्सर भूल जाता हूँ, जब भी मिलता हूँ उससे, तो हर दिन एक नया इंसान होता हूँ।
जूठे चाय के नशे में अक्षय
मेरे आईने का एक टुकड़ा खो गया
उस हिस्से का चेहरा अब नहीं दिखता
मेरे चेहरे का अंदाजा है
और उस टुकड़े की कमी
आँखों को देखता देखा है मैने
में मुस्कराता हुआ अब नहीं दिखता
दिन का वक़्त अक्सर बाहर गुज़रता है
रातों को आईना नजर नहीं आता
मुझे अब आइने की जरूरत नहीं शायद
टुकड़े की तलाश है
रातों को डरता हूं
कहीं आईने का वो टुकड़ा चुभ ना जाए
दिन में अब ढूँढने का वक़्त नहीं
अंदाजा है मुझे मेरे हाल का
अब मेरी नज़रों से नज़रे कोई मिलाता नहीं
मेरे आइने में कुछ कमी है
शायद वो अब मुझे भाता नहीं
- अक्षय एस. पोद्दार
मेरी वही पुरानी आदत,
हस कर भूल जाने की,
मुड़ कर लौट आने की,
आदत, वहीं पुरानी आदत.
आँखों को मलने की,
आंसू छुपाने की,
पैसे उड़ाने की,
खाना बचाने की..
आदत, वही पुरानी आदत.
गलती दोहराने की
भरोसा करने की
अकेला रहने की
आदत, वही पुरानी आदत
सफेद पहनने की,
दाढ़ी बढ़ाने की,
नज़रें मिलाने की,
खामोश रहने की,
आदत, वही पुरानी आदत
कहानी सुनाने की,
बहाने बनाने की,
मज़ाक उड़ाने की,
स्कूटी चलाने की..
आदत, वही पुरानी आदत
ख्वाब दिखाने की,
घाव छुपाने की,
अपना बनाने की,
अपना गंवाने की..
आदत, वहीं पुरानी आदत
हस कर भूल जाने की आदत
मेरी वही पुरानी आदत,
- अक्षय स. पोद्दार