यूं तो अक्सर आपदाएं बता कर नहीं आती, मगर कई बार वह बाकायदा मुनादी करवा कर भी चलींआती हैं- जुलाई 2017 में गुजरातमें भी कुछ ऐसा ही घटा। राजस्थान के जैतपुरा बांध से निकला पानी गुजरात आते-आतेभीषण बाढ़ मे बदल गया। अब तक जिन गाँवो में लोगों ने अपनी जिंदगी में कभी 2 फीट पानी भी नहीं देखा था, वे प्रशासन की खतरे की चेतावनी को गंभीरता सेक्यों लेते! पहली सूचना मिलते ही सर पर कफन बांध खतरे की जद में आने वाले गांवो कीओर चल पड़े स्वयंसेवक एक्शन प्लान बना व स्वयंसेवकों की सजगता व तत्परता नेहजारों जिंदगियाँ बचा लीं।
The story begins with the scene near Hanuman Mandir, where Rekha usuallyentreat with her younger brother and it feels like she's gonna spend her thisnight like the every night without a blanket, empty stomach and that also intoo chill climate only if those kind hearted people don't arrive. NearMaharashtra there is a small village named Pagoda, where Rekha used to residewith her parents they belong to Parthi tribe and these people were engaged insnatching, Robbery, not only this tribe but other tribes such as Dobri Kolhati,Gondi Maharashtra also engaged in the wrong deed.
जीवन क़े 66 वर्ष पूर्णहोने के बाद कल्याण रूपी ट्रस्ट के रथ पर आरूढ़ होकर सूरत के पास डांग और तापीजिले के करीब 270 गांवों में विकास कीभागीरथी के लिए रास्ता बनाया। जीवन की संध्या अर्थात 18 वर्ष तक इस सतत सेवागंगा से हजारों परिवार लाभान्वित हुए।
ठिगने कद के, साधारण से दिखने वाले धुन के पक्के एक मराठी भाषी युवक ने अपने जिंदगी 50 साल दक्षिण –भारत को दिए व इतिहास रच दिया। कर्नाटक में प्रचारक बनकर आने से पहले यादवराव जोशी ने शायद ही कभी कन्नड़ सुनी हो पर पूरा जीवन कन्नड भाषी लोगों के दिलों पर राज किया। उन्होंने अपने फालोअर्स बनाने की कोशिश कभी नहीं की सबकी सेवाके लिए हाथ बढ़ाए व लोग उनके पीछे चलते गए। यादवरावजी की प्रेरणा से शुरू हुई राष्ट्रोत्थान परिषद, एक ओर जरूरतमंद मरीजों के लिए बैंगलौरका सबसे बड़ा ब्लड बैंक चलाती है जिसमें गरीब मरीजों को सबसे कम पैसे में खून मिलता है, तो दूसरी ओर झुग्गियों के बच्चों के लिए फ्री कोचिंग सेंटर चलाती है। केरल में छोटे –छोटे बच्चों को बालगोकुलम के जरिए भारत की संस्कृति से जोड़ने के प्रेरक भी यादवरावजी ही थे।
यह हैरतअंगेज़परिवर्तन संघ के स्वयंसेवकों द्वारा संचालित सेवा समर्पण समिति की वर्षों की अथक मेहनतका नतीजा था। समिति द्वारा 10 वर्षों से संचालित वन टीचर स्कूल ने न सिर्फ कबूतरा समाज केबच्चों में पढ़ने की आदत विकसित की बल्कि उनके माता-पिता को भी समाज की मुख्य धारा का हिस्सा बनाया।
जब भी हम कोई अच्छा काम करने निकलते हैं, पग- पग पर मुश्किलें मिलतीहैं कभी-कभी हम विचलित होते हैं। किंतु यही बाधाएं हमें आगे की राह दिखाती हैं।कुछ लोग ऐसे होते हैं जो इन पर विजय पाकर नया इतिहास लिखते हैं।ये लोग युगदृष्टाहोते हैं, और इनके माध्यम से जो काम होते हैं, वो भविष्य केभाल पर सुनहरी शिलालेख लिखते हैं। आज हम आपको सुनाते हैं खंडवा के एक डॉक्टर कीकहानी।
यहाँ प्रवेश करते ही लगता है कि, हम किसी विशेष गांव में आ गए हैं। घर-घर के दरवाजे पर ओम व स्वस्तिक की छाप, दीवारों पर जतन से उकेरे गए सुविचार, तो कहीं ब्रम्हांड के रहस्यों को परत दर परत खोलती जानकारियाँ, तो कहीं चौपालों पर संस्कृत में अभिवादन करते लोग।
As we entered here, it seemed like we had entered a special village. On every house's door, there is an imprint of Om and Swastik, good thoughts are written on the walls, at other places information regarding the mysteries of the universe are written, and at yet other places people were greeting in Sanskrit in Chaupals.
आगीच्या विक्राळ रूपापुढे मनुष्यही हतबल होतो. पण, याच मानवाच्या अचाटधैर्यासमोर अग्नीदेखील कधीकधी नमतो. २३ नोव्हेंबर २०१७ रोजी झालेल्या घटनेत असेचअचाट साहस पाहण्यास मिळाले आणि अग्नीदेखील या साहसापुढे मागे हटला.
कुष्ठरोगाच्या नुसत्या कल्पनेनेच मनाचा थरकाप होतो. सडलेले हातपाय, जखमा, समाजाने जवळपास बहिष्कृतच केलेले रुग्ण आणि यातना भोगणारे कुष्ठरोगी असे भीषण चित्र नजरेसमोर उभे राहते.
संघ की शाखा सिर्फ शाखा ही नहीं, मानव निर्माण की अनवरत चलने वाली प्रक्रिया है। जहां से देश और समाज के लिये समर्पित मानवता का साकार स्वरुप निकल कर आता है।
It seemed to be just anotherpleasant afternoon in Damu Nagar Slum, located in Kandiwali area of India’sbusiness capital Mumbai but in actual it was not of the kind that holds thewarmth and brightness within but the one that brought the deadly fire from theHell to turn the lives of inhabitant of this slum to the ashes.
Ganesh Agoda is another such person who didnot hesitate in going an extra mile to help a heart patient by carrying him onhis shoulder and walking for 6 km from Manjgav to Maneri.
संघर्ष जीवन का श्रृंगारहै, क्योंकि भट्टी में तप करही स्वर्ण कुंदन बनता है। जीवन का जन्म ही संघर्ष से होता है| सही दिशा और मार्गदर्शनमिल जाए तो यही संघर्ष जीवन को सफल कर देता है। स्वर्गीय डॉक्टर कुसुमताई नेसांगली, महाराष्ट्रमें भगिनी निवेदिता प्रतिष्ठान के द्वारा ऐसे अनेक संघर्षमय जीवन यापन करने वालोंको आत्मविश्वास से भर कर, प्रेरणाकी कहानियां बना दिया।
. 9 एप्रिल2018 रोजी 12 वाजता तापत्यादुपारी, भोपाळच्या साकेत नगर ह्या पॉश कॉलोनी च्या शेजारच्या झोपडपट्टीत गैससिलिंडरचा स्फोट झाल्यामुळे आगीचा गदारोळ झाला. जेव्हा येथे राहणाऱ्यां असहायलोकांची छोटी-छोटीशी स्वप्ने राखेच्या ढिगात रुपांतरित होत होती त्याच वेळेसतरुणांचा एक गट देवदूता सारखा प्रकट झाला.
44-किसानों का सच्चा साथी - शेतकारी विकास प्रकल्प