
ठिगने कद के, साधारण से दिखने वाले धुन के पक्के एक मराठी भाषी युवक ने अपने जिंदगी 50 साल दक्षिण –भारत को दिए व इतिहास रच दिया। कर्नाटक में प्रचारक बनकर आने से पहले यादवराव जोशी ने शायद ही कभी कन्नड़ सुनी हो पर पूरा जीवन कन्नड भाषी लोगों के दिलों पर राज किया। उन्होंने अपने फालोअर्स बनाने की कोशिश कभी नहीं की सबकी सेवाके लिए हाथ बढ़ाए व लोग उनके पीछे चलते गए। यादवरावजी की प्रेरणा से शुरू हुई राष्ट्रोत्थान परिषद, एक ओर जरूरतमंद मरीजों के लिए बैंगलौरका सबसे बड़ा ब्लड बैंक चलाती है जिसमें गरीब मरीजों को सबसे कम पैसे में खून मिलता है, तो दूसरी ओर झुग्गियों के बच्चों के लिए फ्री कोचिंग सेंटर चलाती है। केरल में छोटे –छोटे बच्चों को बालगोकुलम के जरिए भारत की संस्कृति से जोड़ने के प्रेरक भी यादवरावजी ही थे।