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कल थी काशी, आज है बनारस
Banarasi/singh
75 episodes
2 days ago
यह पाडकाॅस्ट उन कहानियों और घटनाओं के बारे में आपको बताएगा जिसे आपने कभी सुना नहीं और अगर सुना है तो ऐसे नहीं जैसे बनारसी सिंह सुनाने जा रही. बनारस मेरी जन्म भूमि है. महादेव मेरे आराध्य. इसलिए बनारस की कहानियाँ और बातें मेरे लिए प्रार्थना के समान है. यकीन मानिए ये कहानियाँ आपकी जिंदगी बदल सकती हैं. क्योंकि बनारस पर बाबा का आशीर्वाद है. माता अन्नपूर्णा की करुणा है. यहाँ कोई भूखा नहीं सोता. यहाँ हर कण में शिव हैं. हर हर महादेव. इस यात्रा में आप सब भी जुड़े और कुछ आनंद प्राप्त कर सकें, यही मेरी अभिलाषा है. आइये और सुनिए हमारे शहर बनारस को एक बनारसी की जुबानी.... चली कहानी.. पहली कहानी ह
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All content for कल थी काशी, आज है बनारस is the property of Banarasi/singh and is served directly from their servers with no modification, redirects, or rehosting. The podcast is not affiliated with or endorsed by Podjoint in any way.
यह पाडकाॅस्ट उन कहानियों और घटनाओं के बारे में आपको बताएगा जिसे आपने कभी सुना नहीं और अगर सुना है तो ऐसे नहीं जैसे बनारसी सिंह सुनाने जा रही. बनारस मेरी जन्म भूमि है. महादेव मेरे आराध्य. इसलिए बनारस की कहानियाँ और बातें मेरे लिए प्रार्थना के समान है. यकीन मानिए ये कहानियाँ आपकी जिंदगी बदल सकती हैं. क्योंकि बनारस पर बाबा का आशीर्वाद है. माता अन्नपूर्णा की करुणा है. यहाँ कोई भूखा नहीं सोता. यहाँ हर कण में शिव हैं. हर हर महादेव. इस यात्रा में आप सब भी जुड़े और कुछ आनंद प्राप्त कर सकें, यही मेरी अभिलाषा है. आइये और सुनिए हमारे शहर बनारस को एक बनारसी की जुबानी.... चली कहानी.. पहली कहानी ह
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Episodes (20/75)
कल थी काशी, आज है बनारस
जगत गुरु दत्तात्रेय और राजा रघु, 24 गुरुओं की चर्चा
नमस्कार! आप सभी का स्वागत है बनारसी सिंह के podcast में। कुछ सीखना है, याद रखना है और किसी रहस्य को जानना है तो सुने 'कल थी काशी आज है बनारस।' आज के episodes में आप सुनने जा रहे भगवान और अवधूत दत्तात्रेय की कहानी। जया किशोरी जी जो भगवान कृष्ण की लीला और भागवत कथा वाचक हैं, वो कहती हैं कि जब व्यास जी और वाल्मीकि जी या उनसे पहले puran लिखा जा रहा था तब इनको लिखने वालों को यानी ऋषि और मुनि और वेद व्यास जी, वाल्मीकि जी, स्कंद जी आदि को यह पता था कि कलियुग में मनुष्य ज्ञान का इच्छुक होगा लेकिन वो बैठ के धैर्य से उससे सुनेगा नहीं और सुनने की और समझने की उसने इच्छा की कमी भी होगी, इसलिए जीवन को अच्छे से जीने के लिए जो नियम और मूल्य हैं उनको किताब में लिखा गया तो कोई पड़ेगा नहीं। फिर रचनाकारों ने उन मूल्यों औऱ नियमो को कहानी ke माध्यम se लोगों ke बीच फैलाने ka विचार karke कहानी को जन्म दिया। कहानी का महत्व केवल भारतीय संस्कृति और सभ्यता में ही नहीं है, इसका महत्व चीन, जापान और कोरिया और अमरीका, ब्रिटेन, रूस हर देश की संस्कृति और सभ्यता से जुड़ा है। जैसे हमारा यानी manav ka चित्त यादों ka स्टोर रूम है जहां हमारे संस्कार, विचार aur भाव stor होते हैं, ठीक waise ही हर देश की संस्कृति और सभ्यता की कहानी/story ka store room ये किताबे हैं, ये कहानियां है, जहां मानव jivan ke हर एक समस्या का हल मिलता है। भागवत गीता दुनिया की सबसे बड़ी मोटिवेशन और प्रॉब्लम solving बुक और ज्ञान का केंद्र है जिसे भगवान कृष्ण ने दिया, अपने प्रिय मित्र अर्जुन को। aaj se 5000 saal pahle कहीं गई बाते aaj भी प्रासंगिक है और उपयोगी है। इसलिए पढ़ने का समय नहीं, तो सुनिए! क्या कहते है दुनिया को बनाने वाले और दुनिया में रहकर खुद का जीवन मानव के कल्याण में लगाने वाले युग पुरुष लोग। aadi गुरु शंकर, दत्तात्रेय, गुरु गोरखनाथ, ramkrish परमहंस और tailang स्वामी, lahari जी, kinaraam बाबा, तुलसीदास tailang स्वामी, kalpatri महराज अनेक विभूतियों ने भारत के इस काशी स्थान पर आकर जो पाया और जो दुनिया को सिखाया वही कहानियां आप तक लाने का छोटा सा प्रयास। एक मनुष्य सारा ज्ञान अर्जित नहीं कर सकता एक जीवन में इतना ज्ञान भरा है इन भारतीय ग्रंथो और कहानियों में बस कुछ देर रुक कर सुनना है। आपको अपने कई समस्याओं का समाधान जरूर मिल सकता है, लेकिन रुकना, सुनना और सोचना औऱ कहानी का सार समझ कर aage तो आपको ही कर्म करना है। इसलिए जैसा चाणक्य कहते हैं अपने अनुभव से सीखने के लिए मानव जीवन काफी छोटा hai। चूंकि कलियुग का मनुष्य टेक्निकल है और अति बुद्धिमान है इसलिए उसे अन्य लोगों के अनुभव और जीवन की सीख से अपने लिए सफ़लता औऱ आनंद का मार्ग बनाना चाहिए। बस इसलिए पेश है आपकी सेवा में प्राचीन नगरी काशी की 1000 कहानियां। ताकि आप जान सके कि आप कितने लकी और भाग्यvaan हैं जो आपसे पहले इतने महान व्यक्तियों ने इस धरती पर जन्म और जीवन बिता कर आपके लिए अपना अनुभव और ज्ञान का भंडार छोड़ रखा है। बस चलते फिरते सुनो और समझो। क्या है जीवन। इसका उद्देश्य क्या है। मैं कौन हूं। क्यों आया हूं। सफ़लता क्या है, आनंद क्या है, खुशी क्या है दुःख क्या है? हर प्रश्न का उत्तर बस यही है। आपके भीतर। अपने भीतर जाओ और सुनो अपने अंदर के परम tatv को। ज्यादा हो गया। फिर कोई नहीं कहानी सुनो और सोचो इसमे क्या सीखने को मिला। जय siya राम!
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2 years ago
32 minutes 21 seconds

कल थी काशी, आज है बनारस
मार्गशीर्ष पूर्णिमा जब प्रकट हुए दत्तात्रेय, जन्म और जीवन की अनोखी घटना-1
नमस्कार, प्रणाम, नमस्ते इंडिया and इंडियन भाई बहनों। वसुधैव कुटुंबकम भारत की परम्परा है यानी विश्व परिवार है। इसलिए सभी श्रोताओं को नमस्कार, हर हर महादेव। आज का दिन काफी खास है आज मार्गशीर्ष पूर्णिमा है यह नाथ सम्प्रदाय या सनातन धर्म के महान गुरु दत्तात्रेय का जयंती का दिन है। गीता में भगवान कृष्ण कहते हैं कि मास में वो मार्गशीर्ष का महीना हैं, और दत्तात्रेय भी उनके ही यानी नारायण के अवतार कहे जाते हैं। दत्तात्रेय के जन्म के समय उनकी मां को किस परिक्षा का सामना करना पड़ा और कैसे इनका जन्म तीन प्रमुख सनातन देवो से हुआ। यही कहानी आप सुनेंगे इस एपिसोड में। आगे जब दत्तात्रेय बड़े हुए तब क्या कुछ घटा कैसे वो शिष्य बनते बनाते काशी आए। यहां क्या किया काशी में। हर आत्मज्ञानी काशी में ही क्यों आता है यही से फिर उसकी यात्रा समाप्त हो जाती है या फिर वो धर्म मार्ग पर आगे बढ़ता है। सब कुछ जानने के लिए सुनिए बनारसी सिंह का पॉडकास्ट कल थी काशी आज है बनारस। आप के पास कोई प्रश्न हो तो जरूर पूछे और मेरे पास उत्तर हुआ तो जरूर जबाव दूंगी। पॉडकास्ट को प्यार मिल रहा सबका। शेयर जरूर करे। अपने धर्म, भूमि और विभूतियों के बारे में जानना हमारा कर्तव्य और अधिकार भी है। जानिए सीखिए और साझा भी कीजिए ताकि किसी जरूरतमंद तक, किसी जिज्ञासु तक यह जानकारी और कहानी पहुंचे। हर इंसान जिज्ञासु होता है, मेरा मतलब उसने ज्ञान और जानकारी की इच्छा होती ही है। इन mahavibhutiyon के जीवन उपदेश से जोड़ कर आप तक काशी के महात्व को पहुंचना ही मेरा कर्म है। जो ईश्वर की कृपा से मुझे मिला है। सुनिए और सुनाईये... कहानी आगे badhati रहे.. बस बाकी सब महादेव देख लेंगे. Har Har mahadev. नमस्ते. आपके लिए जल्द ही laungi और rochak कहानी. तब तक के लिये राम राम.
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2 years ago
19 minutes 56 seconds

कल थी काशी, आज है बनारस
क्रीम कुंड में बाबा किना राम से तुलसीदास tailang स्वामी और संत लोटा दास के मुलाकात की कहानी....
नमस्कार और प्रणाम! सभी का स्वागत है. कल थी काशी आज है बनारस के पॉडकास्ट मंच पर. आइये और सुनिए अनोखी कहानी काशी/ बनारस/ वाराणसी की. बनारसी सिंह जो काशी की निवासी है। वो ही यह कहानियां आप तक पहुंचा रही। पर इन् कहानियां को लिखने और आप तक पहुचाने में स्वयं ईश्वर और उन महान विभूतियों का हाथ भी है। जिनकी कहानी से आप काशी को जान रहे। समझ रहे। भगवान शिव के काशी धाम में उनके अघोर पंथ की अलख जगाने वाले बाबा और सिद्ध पुरुष बाबा किना राम और कालू राम जी को जानने के लिए यह एपिसोड सुने। kinaraam बाबा 170 से 200 साल तक जीवित रहे। ऐसा किताबे कहती हैं। बाबा ने विवेक सार और गीतावली जैसी अनेक पुस्तक लिखी। वो संत, समाज सुधारकर और समाज सेवी भी थे। उनके पास जो भी सिद्धी थी उसका उपयोग समाज और मानव कल्याण में किया। स्किन की बीमारी और सन्तान सुख से दुखी अनेकों दंपति को सन्तान सुख दिया जो इन् कहानी में बताया गया है। बाबा ने कई राजा नवाब जमींदार के घमंड को तोड़ा। बाबा ने काशी नरेश चेत सिंह को पतन और निर्वंश होने का शाप दिया जिसे 200 वर्षों तक काशी राजवंश ने सहा। चेत सिंह घाट स्थित महल जो आज भी विरान है। उसके पीछे बाबा का शाप है। राजा ने बाबा का अपमान किया था अपशब्द कहा था तब क्रोध में बाबा ने शाप दिया। लेकिन चेत सिंह के अलावा बाकी सबका बाबा ने भला ही किया।....सब कुछ जानने के लिये सुनिए कल थी काशी आज है बनारस पॉडकास्ट spotify पर anchor Google. मेरा पॉडकास्ट पसंद आए तो शेयर करे अपने दोस्तों और परिवार में. हो सकता है कोई जानना चाहता हो काशी को करीब से. शेयर is केयर do this for yourself. And subscribe my पॉडकास्ट for new stories of काशी. Coming soon. Thanks and धन्यवाद. फिर मिलेंगे जल्द ही. तब तक के लिये हंसते रहे मुस्कुराए और जिंदगी को enjoy करे.
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2 years ago
41 minutes 47 seconds

कल थी काशी, आज है बनारस
बाबा kinaraam का रहस्य से भरी जन्म jivan...गाथा
नमस्कार, मित्रों आज की कहानी काशी जैसी अद्भुत हैं। आज कहानी परा शक्ति के साधक वर्ग बाबा शिव अघोर के अघोर सम्प्रदाय की कहानी। काशी वाराणसी और बनारस के शिवाला क्षेत्र रविन्द्र पुरी नगर में narmund से सजा द्वार वाला भव्य मठ है जिसे kinaraam पीठ कहते hain। अब आप समझे आज कहानी तंत्र मंत्र सिद्ध महापुरुष की। जिसने 170 साल तक काशी में रहकर लोगों को रोग दोष से दूर किया सबका भला किया। कई राजाओ के अहंकार थोड़े कई को आशीर्वाद दिया कई को शाप दिया। सुनिए अघोर आचार्य श्री kinaraam बाबा की जीवनी के कुछ अंश। बाकी एक एपिसोड में एक महान व्यक्ति के जीवन और रहस्य को बताना काफी मुश्किल है। इसलिए बाबा kinaraam के सारी उपलब्ध कहानी आपको अन्य एपिसोड में सुनने को मिलेगा। Har Har mahadev. सुनिए सुनाए और ज्ञान के दीप को jalane में सहयोग करे. राम राम फिर मिलेंगे.
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3 years ago
37 minutes 8 seconds

कल थी काशी, आज है बनारस
दक्षिणी भारत का शंकर कैसे बना आदि गुरु शंकराचार्य? शंकर के बचपन se लेकर संत बनने की कहानी
नमस्ते कैसे हो आप सभी। सभी का कल्याण ho। COVID-19 का प्रभाव कम हो रहा। सभी अपने काम में जुट गए हैं। मैं भी वही कर रही। अपना काम आप तक उन कहानियो को पहुंचाने का असली काम। आज की story सिंगल् स्टोरी नहीं बॉक्स of story है। ये कहानी है जगत गुरु आदि शंकराचार्य के बचपन की और उसने जुड़े लोगों के उनके बारे में प्राप्त अनुभव की। कहानी है शंकर के भोले माँ पिता की उन गुरुओ की जिनका जन्म शंकर को ज्ञान देने और मार्गदर्शन के लिए hua। कहानी उन घटनाओं और रीतियों कि जिनको बदलने के लिए नयी सोच इस दुनिया को देने के लिए शांति प्रेम और सद्भावना का पुनर्निर्माण करने के लिए खुद ईश्वरत्व को जन्म लेना पड़ा। सुनिए और साझा करिए अपनों मे क्योंकि ज्ञान और जानकारी बांटने से बढ़ता है। यह धन नहीं जिसे छुपा कर रखा जाए यह तो knowledge है अनुभव का। जिसे युगों पहले किसी ने अनुभव किया। पर बहुत प्रासंगिक समाधान दिया हर समस्या का जो आज आम लोगों के जीवन और समाज के लिए परेशानी का कारण है। आपको भी यह कहानी आपकी समस्या का हल दे सकती है। सुनिए कल थी काशी आज है बनारस जहां आदि गुरु शंकराचार्य, vallabhachary, तुलसी, रैदास, कबीर, tailang स्वामी और अनेक mahavibhutiyi ने जीवन बिताया और सही जीवन का क्या ढंग होता है यह आदर्श स्थापित किया। जिसे लाइफ स्टाइल कहते हैं। वह अगर सही है तब जीवन में रोग मुश्किल नहीं होगी ऐसा नहीं कहा जा सकता पर असाध्य नहीं होंगे। नमस्कार सुनिए और आनंद लीजिए। कहानी बहुत अच्छी है।
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3 years ago
36 minutes 58 seconds

कल थी काशी, आज है बनारस
दक्षिण मुखी काले हनुमान जी की कहानी-ek दिन ही मिलता है दर्शन!
नमस्ते, प्रणाम 🙏 । सभी लोगों को jay श्री राम! कलियुग के प्रथम चरण में सभी का स्वागत है। सभी सुंदर आत्माओं का कल्याण हो। शान्ति और प्रेम हर दिशा में फैले। क्योंकि मन के हारे हार है मन के जीते जीत। मन में शांति और सुकून चाहिए तो नदी का किनारा ठंडी हवा और उगता सूरज घंटियों की आवाज मन्त्रों का उच्चारण। शब्दों का मौन वातावरण का शून्य होना यही शांति है। जहाँ केवल आप और बृहद चेतना हो जिससे आप मन की बात कह sake। ये स्थान है अभी भी धरा पर वो काशी है। आज की कहानी कलियुग में धर्म की रक्षा के प्रतीक हनुमान जी की। जिनका रूप केसरिया नहीं काला है। ये ऐसा क्यूँ है? इस मंदिर को केवल शरद पूर्णिमा पर आम जन के लिए क्यूँ खोला जाता है। जानने के लिए सुनिए अपने होस्ट और दोस्त बनारसी सिंह का ये पॉडकास्ट- कल थी काशी आज है बनारस। जिंदा शहर बनारसी। इंसान जिसे छू ले बन जाए पारस। वही है अपना शहर काशी वाराणसी उर्फ बनारस। बचपन में जब दादी नानी कहानी सुनाते तब की कोई बात याद हो न हो लेकिन कहानी क्या थी ये याद रहता है। बस उसी तरह अपने शहर की 1000 कहानी कहने का छोटा सा प्रयास है ये पॉडकास्ट जो हम सभी को जोड़ने और हम एक हैं यही बताने के लिए बनाया जा रहा। हम दिखते अलग हैं पर अंदर से सब समान हैं। सभी पास उतना ही समय वही लक्ष्य और उतना ही सामर्थ है। उसको जानने के लिए इन् कहानियो का सहारा काफी है। दोस्ती भगवान से करो लेकिन पहले अपने हितैषी तो बनो। इसमें कुछ अन्य प्रसिद्ध कुंडों की जानकारी भी है। शॉर्ट स्टोरी के साथ। उसे भी जाने। आगे अब कुछ महान लोगों की कहानी। जिनमे काशी बसा है। जो काशी में बसे हैं।
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3 years ago
34 minutes 34 seconds

कल थी काशी, आज है बनारस
बनारस_ Kashi : mystery city of इंडिया
एक शहर, एक नगर, एक अति प्राचीन जनपद है काशी. जो मोक्ष देने वाली विश्व प्रसिद्ध क्षेत्र है. मनुष्य ka सबसे बड़ा भय जो मृत्यु है, वही मृत्यु यहां अंत नहीं, आरंभ कही गई है. गंगा के 84 घाटों में लिपटी काशी घर है शिव और पार्वती का. यहाँ बसने वाले लोग माता और पिता मानते हैं दोनों को. शिव के त्रिशूल पर बसी है काशी जो प्रलय काल में भी नष्ट नहीं हो सकती. महाश्मशान, अविमुक्त, आनन्द कानन और अमर पुरी नाम हैं इसके. इतिहास से भी पुरातन है यह काशी. जो इतना पुराना है उस काशी शहर की कुछ घटना जो हमारे लिए कहानी है वो मैं आपसे साझा करुंगी.
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3 years ago
54 seconds

कल थी काशी, आज है बनारस
काशी में कुंडों की महिमा पार्ट 2
Har Har mahadev, सभी लोगों को नमस्ते और प्रणाम। उम्मीद है सभी स्वस्थ और प्रसन्नता से होंगे। सभी इच्छा ईश्वर पूर्ण करे। चलिए इस episodes के बारे में कुछ बता दें आपको। यह काफी खास है इसमे आप धर्म राज द्वारा स्थापित कुए के बारे में, इंद्र के लिए स्थापित कूप की कहानी, जिससे उनका ब्रह्महत्या का पाप हटा, मानसरोवर कूप जिसमें आज में शिव v शिवा स्नान करते हैं, चन्द्र कूप जिसका दर्शन और स्नान आपके साथ आपके पूर्वजो को मुक्त और तृप्त कर्ता है। गौतम ऋषि द्वारा स्थापित गौतम कूप जो gadwaliya में स्थित है। वहां क्या है खास मान्यता और नियम सब जानिए इस episodes में। सुनने के लिए spotify और anchor या एप्पल या google पॉडकास्ट डाउनलोड करिए उसने सर्च करिए banarasi सिंह का कल थी काशी आज है बनारस पॉडकास्ट। खुद भी सुनिए और दूसरों को shayer करें ।
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3 years ago
27 minutes 58 seconds

कल थी काशी, आज है बनारस
काशी में कुंड की महिमा part -1
हर हर महादेव, सब लोग कैसे हो। मस्त स्वास्थ्य और आनंद में। यही चाहिए जीवन में प्रसन्नता बनी रहे बाकी क्या लेकर आए थे जो लेकर जाएंगे। ये वाक्य आप काशी की गालियों मे हर व्यक्ति को बोलते सुनेंगे। भले यू दुकान पर आपको 500 की साड़ी 5000 में बेच दे। यही बनारसीpan है। खैर आज आपको कल थी काशी और आज है बनारस पॉडकास्ट पर काशी के उन महत्व वाले कुंड की कहानी और जानकारी दी जा रही। सब पढ़ कर ही जान लेंगे तो सुनेंगे क्या? फटाफट फोन पर spotify, anchor, google podcast, एप्पल पॉडकास्ट और भी कई है जो लगे वो ऐप्लिकेशन डाउनलोड करिए और उसमें कल थी काशी आज है बनारस नाम के पॉडकास्ट को choose करिए। और वहां आप सुनेंगे 1000 कहानियां बनारस काशी वाराणसी के जीवन यात्रा की। शिव की नगरी काशी, धरती पर सबसे प्यारी काशी। मेरा भारत महान उसमें हमारी शान। यहां जो मिलते ज्ञानी पुरुष महान वो शहर है काशी। उच्च कोटि के ज्ञानी, व्यापारी, अमीर,गरीब, पागल, संगीत, साहित्य मिठाई और पान की खान है काशी। ये केवल मंदिरों और घाटों के लिए नहीं ब्लकि कुंडों और सरोवरों के लिए भी जानी जाती है। इन् जल स्रोतो का क्या महत्व है। इनको क्यों और किसने किसके लिए बनाया? हर सवाल का जवाब इस एपिसोड में मिलेगा। तो lap से ऑनलाइन हो जाइए और ear फोन को उपयोग में लाते हुए करे अपने knowledge को on with बनारसी सिंह। stay tune I have something फॉर यू all. अपने समय को कुछ देर लीजिए थाम क्योंकि सुन रहे कहानी काशी धाम की. काशी नहीं आए तो क्या किया? मन की हर मुराद को लेकर आइये यही से मिलेगी उसकी चाभी। लोlarak कुंड, धर्म कूप और ज्ञान कूप से लेकर धन्वंतरि कूप की महता और मान्यता से कराएंगे आपका परिचय। बाकी क्या आप खुद ही समझदार हो। बाबा की नगरी में बाबा रखते सबका ध्यान। सुनते रहिये सुनाते रहिये शेयर कर दीजिए अपनों से उनको भी पता होना चाहिए। क्या है काशी। क्या थी काशी कब बनी वाराणसी और कैसे कहीं गई बनारस। शिव जी के त्रिशूल पर टिकी काशी में हर दिन है खास। मौका हो तो चले जाना एक बार। सुबह ए बनारस की धुन से होती है वहां भोर और गंगा मैया की आरती से होती है शाम। kachodhi और जलेबी एक bida पान दुपहरिया में लस्सी और शुद्ध शाकाहारी भोजन बैठ करे जलपान। शाम में मित्रों की टोली संग करे नौका विहार और घाट किनारे कैफ हो या ठेला मिलेगा जिवंत स्वाद चाहे खाएं चाट पकौड़े चाहे खाएं रसगुल्ला काला जाम। थक जाए अगर पैर तो घाटों पर ही कर ले आराम। गंगा की निर्मल जल में करे स्नान और बाबा को करे प्रणाम। सारी चिंता को कर दें किनारे जब पहुचे गंगा धाम।
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3 years ago
32 minutes 58 seconds

कल थी काशी, आज है बनारस
केदारनाथ मंदिर - काशी में भगवान केदारनाथ के प्रकट होने की घटना
नमस्ते Hello कैसे हैं? सभी स्वस्थ और मजे में होंगे भोले बाबा के प्रभाव से। आज 30 अप्रैल को काशी के रहस्य में एक और मोती की कहानी। दशाअश्वमेघ का कालांतर में बदला नाम dashsamedh घाट जो विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती के लिए जाना जाता है। उसके बगल में केदार घाट है। घाट की ओर सीढियों से जाओ तो आपको यह केदार ईश्वर मंदिर दिखेगा जहां मंदिर के सामने गौरी कुंड है। यहां मंदिर में जो शिव विग्रह है वो आपको थाली में सजी खिचड़ी जैसा लगता है। क्युकी खिचड़ी में ही गौरी और भगवान केदार प्रकट हुए थे। क्यों और कैसे क्या मान्यता है। क्यों हिमालय के केदारनाथ यहां काशी में स्वयंभू हुए। सब कुछ जानने के लिए सुनिए पॉडकास्ट। कल थी काशी आज है बनारस। सुनते रहिये और खोजते रहिये अपने भीतर उस काशी को जो प्रकाश रूप भगवान शिव की नगरी है। जिसे गंगा पावन करती हैं। जो mahashamshan है। जहा जीवन में रस है और मृत्यु में मुक्ति है। बस शिव नाम लेना है। शिवमय तो सारी दुनिया है फिर काशी में ही शिव का वास है क्यों ऐसे प्रश्न आने दें मन में जिज्ञासा से ही ज्ञान की खोज होती है। यह आपके भीतर है जिसे विज्ञान कहते हैं। जो खोजता है उसे जिससे बिछुड़ गया है। उसी शिवोहम के लिए सभी का जीवन है। केदारनाथ में इतनी चढाई के बाद बाबा के दर्शन होते है। जो काशी में आए और किसके लिए आए। क्यों प्रिय है केदार ईश्वर को खिचड़ी। जानने के लिए stay tune with बनारसी सिंह पॉडकास्ट। अभी तो 1000 कहानियां सुनाना है।
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3 years ago
15 minutes 26 seconds

कल थी काशी, आज है बनारस
पशुपतिनाथ /नेपाली मंदिर की कहानी
हर हर महादेव, सभी के उतम स्वस्थ्य की कामना के साथ महादेव की राजधानी काशी के पशुपतिनाथ शिवलिंग की कहानी आपके लिए। यह पशुपतिनाथ मंदिर तो नेपाल में है यही सोच रहे ना। सच है उसी का प्रतिरूप राजा साहा ने 1800 से 1843 के बीच जब वो काशी धाम आए और उन्हें वेद स्मृतियों से ज्ञान हुआ कि काशी में शिवलिंग की स्थापना से मनोकामना सिद्ध होती है। राजा के मन में शिव जी को कुछ अर्पित करने की इच्छा हुई। राजा ने सोचा जिसका सारा जग है उसे मैं क्या दूँ। उन्होंने नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर को यहां स्थापित करने का निर्णय लिया। फिर क्या हुआ यह जानने के लिए सुनिए पशुपतिनाथ के निर्माण की कहानी। नेपाली मंदिर कहा हैं क्या है। काठ वाला मंदिर कहा है काशी में ऐसे बहुत से प्रश्नो का उत्तर आपको मिलेगा। इस एपिसोड में बहुत से अन्य विग्रहों और मंदिरों का जिक्र है उनके location के साथ। उसे भी सुनिए। काशी नगर की डगर नहीं है आसान दंडपाणि जी का दंड कर्ता है हर प्रवासी का परीक्षण। भैरव देते है काल से मुक्ति लेकिन करनी पड़ती है उनकी भक्ति। शिव बाबा के भक्तों का घर गिरजा माँ का अपना लोक यही आनंद वन है जहां असीम आनंद और जीवन रस है। तभी तो आम लोग इसे कहते बनारस हैं।
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3 years ago
22 minutes 9 seconds

कल थी काशी, आज है बनारस
ज्ञान व्यापी और काशी विश्वनाथ का सम्बंध- धर्म granth और पुराण आधारित कहानी...
Hello, नमस्ते, प्रणाम! Banarasi के इस पॉडकास्ट पर आपका और हमारे अपनों का बहुत बहुत स्वागत है। 🙏 आज 14 अप्रैल 2022 है। काशी की 1000 कहानियो में से 65 वीं कहानी आपके पॉडकास्ट पर हाजिर है। हमारे बचपन में और तब तक जब तक मोदी जी बनारस के सांसद नहीं बने और उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर को वृहत्तर रूप देने वाले सपने की बात नहीं सोची थी तब तक हम भी का गुरु सब ठीक! हाँ गुरु सब ठीक! वाले मिजाज में घूमते रहे। हमे भी यही लगता रहा की बाबा का मंदिर है। बस मंदिर हम भी सोचते रहे की इतना मंदिर क्यों है बनारस में। एक समय हम नास्तिक भी रहे। सच्ची बच्चे थे। कभी कोई बताया ही नहीं कि वो जो काशी को पवित्र कर रही वो केवल नदी नहीं है वो मां है। काशी के कोने कोने में जो शिवलिंग है वो प्रतिरूप है महादेव का। किसी ने बताया ही नहीं के हमारे मोक्ष का द्वार पर हम खड़े हैं। वो मणिकर्णिका घाट जहां दूर देश से लोग मुक्ति के लिए आते हैं। कभी किसी ने नहीं बताया। यही हमारी पीढ़ी की समस्या है। इसलिए जब मुझे मेरा होना समझ आया तब मैंने तय किया कि इस काशी और इसके होने के महात्व को और सनातन धर्म को अगली पीढ़ी और अपनी पीढ़ी के लोगों तक पहुंचाएंगे। इसलिए अपने पुनर्जागरण के बाद हमने यह कार्य शुरू किया। अब काशी मेरे लिए केवल शहर नहीं है वो हमारी जननी है। महादेव उसके राजा है हम उनकी प्रजा और भक्त हैं। काशी के प्राचीन जीवन की 1000 कहानी सुनाने में हमे जो मज़ा और आनंद आ रहा है। उतना जीवन में कभी नहीं आया। आज ज्ञान व्यापी कुआ की कहानी सुनिए। मोदी जी के काशी कॉरिडोर प्रोजेक्ट ने हमे काशी के जिवंत होने और उसके उन तमाम रहस्य को जानने को उत्साहित कर दिया। हमारी पीढ़ी और उसके पहले वाले लोग जिस रस का पान करते हुए जीवन जिए वही बनारस यानी काशी यानी वाराणसी को हर तह पर जानना और समझना जरूरी है। ना केवल भारत के लिए ब्लकि दुनिया के लिए। हमारे धर्म और ज्ञान को नष्ट करने के लिए बड़े चक्रव्यूह रचे गए। पर सांच को आंच ही क्या? यानी सत्य सदैव स्थायी होता है। बस उसे ढूढ़ने और उजागर करने का तरीका बदल जाता है। ये अपने इतिहास को जानने की जिज्ञासा है। ईश्वर से जुड़ने की स्थायी व्यवस्था से लोगों को एकाकार करने का प्रयत्न है। अभी मैंने वेदांत दर्शन पढ़ा जिसमें ब्रम्ह को सत्य बताया गया है। उससे ही दुनिया के निर्माण होने की उस इच्छा को बताया गया है। बहुत थोड़ा जाना है अभी समुद में उतरना बाकी है। आप भी अपने अन्तर्मन में जाओ पूछो खुद से वही सब प्रश्न के उत्तर मौजूद हैं। बस स्थिर होकर बैठना है एक जिज्ञासु छात्रः की तरह अवचेतन मन सब बतायेगा। हूं सब मैं ही नहीं बताऊँगा मैं तो केवल कहानी सुनाने वाली हूं सूत्रधार तो कोई और हैं। तो बाबु moshaia चलो काशी शहर की यात्रा पर उसे जानो और खुद को खोजों कहीं वही तुम्हारा घर तो नहीं। स्टे tune dear brothers and sisters। let tarvel together। you know वॉट इंडिया mythology is time travel guide। drop your mind in home because on the trip of kashi in my story you need only believe and emotion to understand indina culture and धर्मा and way of life। pack your imagination, desire to know untold story of kashi: ancient city of india and first and last civilazation of world। actully live city of century । want to know how। listen your फ्रेंड banarasi singh only on anchor, sportify , apple podcast and Google podcast many more platform।
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3 years ago
28 minutes 11 seconds

कल थी काशी, आज है बनारस
दुर्गा कुंड मंदिर के स्थापना की कहानी
जय माता दी श्रोताओं और मित्रों, जगत जननी माँ अम्बा सबको शक्ति दें सबका कल्याण करे। इसी सद्भावना से मेरा आपकी होस्ट banarasi singh का अभिवादन स्वीकार करिए। दुर्गा कुंड वो स्थान है जहां जल कभी खत्म नहीं होता। इसमे साथ कुंड है। ये सात तल पाताल लोक जैसे भान करते हैं इसलिए यहां जल पाताल से आता है। बहुत युगों पहले स्मृतियों और श्रुति के आधार पर ऐसी घटना का वर्णन मिलता है कि काशी राज्य के राजा सूबाहु के घर जया नामक कन्या का जन्म हुआ जो देवी भक्त थीं अति रूपवती और गुणवान कन्या जो जब युवा हुई तब पिता ने उनके विवाह के लिए स्वयंवर का आयोजन किया। इससे कुछ समय पूर्व जया को एक सपना आया जिसमें उन्हें देवी इच्छा se उनके वर का नाम और स्थान का पता चला। जया ने पिता को सब कुछ बताया और स्वयंवर से जुड़ी चिंता पर बात की। पिता ने कन्या इच्छा को स्वीकार कर स्वयंवर रद्द किया और सभी से क्षमा याचना की। भारत वर्ष के तत्कालीन राजाओं ने इसे अपमान माना और अयोध्या के राजकुमार सुदर्शन जिसे जया ने अपने पति रूप में चुना था उससे युद्ध को तैयार हुए। दूसरी ओर राजकुमार सुदर्शन अभी गुरुकुल से राज्य पधारे थे उन्हें जब पता चला कि काशी राज की कन्या जया ने उनका चयन किया है वो भी जया को स्वीकार करने के लिए काशी आए। जहां उनका अन्य राजाओं से युद्ध हुआ। आगे क्या हुआ जानने के लिए सुने पॉडकास्ट कल थी काशी आज है बनारस " stay tune and एंजॉय स्टोरी of oldest सिटी ऑफ वर्ल्ड। kashi the Mysterious land ऑफ शिव।
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3 years ago
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कल थी काशी, आज है बनारस
काशी करवत/भीम शंकर ज्योतिर्लिंग (12 ज्योतिर्लिंग of kashi), की सच्ची कहानी...
जय माता दी मित्रों शुभ चिंतक जनों को। हाय, hello, नमस्ते, kaise हैं सभी लोग, hope all is well। काशी में एक भ्रम है आने वाले भक्तों और दर्शनार्थियों के बीच वो ये हैं कि काशी करवट दोस्तों ये काशी करवत है। ये सिंधिया घाट वाला ratneshwar महादेव मंदिर बिल्कुल नहीं है। ब्लकि यह नेपाली खपडा नाम की गली में भीम शंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर को कहते हैं। उसकी स्टोरी यह है कि मोरअंग ध्वज नाम के राजा जो कृष्ण भगवान के भक्त हैं वो अपनी भक्ति दिखाने के लिए आरे से अपने पुत्र को काट देते हैं जो उन्हें दुनिया में सबसे अधिक प्रिय है। तभी कृष्ण वहाँ आते हैं और बालक को पुनः जीवित करके राजा को मोक्ष का आशीर्वाद देते हैं। राजा ने जिस आरे से पुत्र को काटा था वो उसे लेकर काशी आते हैं। काशी खंड कहता है कि वो ईश्वर से मिलन को इतने उत्साहित होते हैं कि आरे से भीम शंकर ज्योतिर्लिंग के पास खुद का गला काट देते हैं। उससे पूर्व वो शिव जी की पूजा करते हैं। उन्हें बताते हैं कि मुझे कृष्ण जी से मोक्ष का वर मिला है। पर में इस शरीर से मुक्त होकर जीवन चक्र से परे अपने प्रभु में लीन हो जाना चाहता हूं। महादेव उनकी इच्छा का सम्मान करते हैं। तभी से महादेव इस काशी करवत पर अपनी इच्छा से प्राण देने वाले हर प्राणी को मोक्ष देने को वचन बद्ध हैं। इसलिए इस ज्योतिर्लिंग को ही काशी करवत कहा जाता है। इस मंदिर में शिवलिंग 25 फिट नीचे है। स्मृति में ऐसा कहा जाता है कि तब काशी का लेवल वही था कालांतर में यह 25 फिट ऊपर उठा है। शिवलिंग तक जाने के लिए सीडियां हैं वहाँ सावन और शिवरात्रि पर बहुत भीड़ होती है। सावन में हर दिन रुद्राभिषेक होता है। तीन पहर की पूजा का विधान है। ये काशी विश्वनाथ के पास ही स्थित है। बाकी बातेँ आप पॉडकास्ट सुन कर जरूर जाने। listen this स्टोरी to know what is काशी करवत। don't गेट confuse। stay tune I am your host बनारसी सिंह / banarasi singh. I am with you on your spiritual journey to kashi. Please listen factual and mythology based story of ancient and oldest city of wolrd yes that's kashi, banaras, varanasi. Varanasi has so many story that never told. That's happened because in indian way of living we share things vocally. We have sharp memories and learning power. That's why our oldest granth of Hindu life style called Ved these were transferred from one generation to other vocally by our गुरु/ ऋषि/ muni. Our ancestors started writing when they realized that coming generations grasping power goes down. In mordern era people focus on money and status more then knowledge and life experience. They lose their focus their freedom their happiness for material thing's. That's why our forefathers scripts upnishad and पुराण, vedant दर्शन these are summary of three vedas of sanatan dharma. Want know more about kashi. Follow my podcast " kal thi kashi aaj hai banaras ".
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3 years ago
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कल थी काशी, आज है बनारस
काशी गलियों का एक प्राचीनतम नगर-3
नमस्ते मित्रों सभी कुशल मंगल से हैं ऐसा मानकर महादेव और अपने घर काशी से जुड़ी कुछ जानकारी और रहस्य ले कर एकबार फिर आपकी दोस्त और होस्ट बनारसी सिंह आपके podcast पर हाजिर हूं। इस एक माह में अनेक कार्य हुए। बनारस जाना हुआ 15 दिन का समय पुनः मिला काशी में रहने और जीने के लिए। इसबार बाबा का बुलावा था। महाशिवरात्रि काशी में ही मनाया gya। काशी की गली का आनंद उठाने के अनेक अवसर मिले। गोविन्द पूरी गली जो आपको घुंघरानी गली से ले जाकर बांस फाटक तक ले जाती हैं और बांस फाटक इलाके की मणिकर्णिका गेट के सामने वाली गली आपको गिरजाघर किदवई गली से किदवई इलाके में ले जाती है जो रजाई ग़द्दा और इलेक्ट्रानिक आइटम का थोक मार्केट है। ऐसी ही अनेक गलियां हैं हमारी काशी में जो मोह से मोक्ष और माया से मुक्ति की ओर ले जाती हैं। आपको क्या चाहिए यह चुनाव आप ही करते हैं। खैर खिड़कियां गली, चूहा गली, कामेश्वर महादेव मंदिर गली, रानी कुआ गली, मणिकर्णिका गली सौ से अधिक गलियां जो मुख्य मंदिर और घाट और बाजार को आपस में जोड़ती हैं। यह काशी की संस्कृति और दिव्यता की पहचान hain। यह पतली दुबली संकरी कहीं चौड़ी कहीं विस्तार लिए कहीं शून्य में ले जाती हैं। इनको समझने का दावा कोई नहीं करता इनको जानना इतना आसान नहीं। ये 500 साल पुरानी भी हैं और अति नवीन भी। यह सीधी हैं जलेबी सी। टेड़ी हैं किसी रस्सी सी। यह उलझन को सुलझाती हैं और कभी आपको उलझाती भी हैं। कभी शुरू होते ही खत्म हो जाती हैं to कभी इनका ओर और छोर मिलना मुश्किल होता है। इसलिए यह काशी की गलियाँ हैं। महादेव तक जाने के अनेक मार्ग सी कठिन और सरल हैं यह गलियां । स्वागत है आपका इन गलियां में गलियां के शहर काशी में। सात पूरी में अति महत्वपूर्ण काशी शहर जो प्राचीन और आधुनिक दोनों है। प्राचीन है अपनी गलियों और संस्कृति के लिए और आधुनिक है परिवर्तन को स्वीकार करने के कारण। उत्तर प्रदेश के धार्मिक स्थलों की पहचान से परे भारत की या यूं कहें विश्व की प्राचीनतम सभ्यता को समेटे हुए धरती पर चिरकाल से बनी हुई इस पुण्य धरा काशी को नमन है। जो कलियुग में मानव मुक्ति का एक मात्र द्वार है। जहां रहने और जन्म से ही आप मोक्ष के पात्र बन जाते हैं। ऐसे जीवंत शहर काशी में प्रवास करना और उसे जीना अति दुर्लभ और शुभकारी है। ज्ञान नगरी, धर्म नगरी, विज्ञान नगरी, स्वर्ग के सुख से परे शिव धाम काशी। जिसका कण कण और हर जड़ और जीवन स्वयं शिव शंभू है। वहां जाने का स्वप्न हर मनुष्य देखता है। पर अनुमती हर किसी को नहीं मिलती। आपके पास वहां जाने का अवसर है अभी जब प्राण शक्ति अपने ओज पर है। जब यह शिथिल होने लगे तब जा कर क्या करेंगे। जीवन का रहस्य काशी में है। एक बार चरण वंदन कर आइये काशी विश्वनाथ का। फिर जिंदगी हो ना हो। दो दिन की जिंदगी है हंस के बीता लो। क्या लेकर आए थे जो लेकर जाएंगे। पैसा घर गाड़ी ज्ञान सब यही रहेगा। केवल कर्म और समर्पण साथ जाएगा। जीवन परिवर्तन है। उसे स्वीकार कर हर पल आनंद में जियो। हर हर महादेव।
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3 years ago
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कल थी काशी, आज है बनारस
Banaras ki संकरी गलियाँ/ बनारस is city of street part 2
हर हर महादेव सभी श्रोता गणों का स्वागत है और आभार भी मेरे द्वारा सुनायी जा रही कहानी और जानकारी को सुनने और अपना क़ीमती समय देने के लिए। चलिए आपको बनारस शहर की उन सकरी गलियों में आपको ले चलते हैं जहां जाने की हर किसी की तमन्ना होती है। आप काशी आए और गलियों में सैर नहीं किया तो काशी की यात्रा और यहां बीतने वाला समय अपने चरम पर नहीं जा सकेगा। 14 नवंबर 2021 को मैंने आपको बनारस की कुछ मशहूर गलियों से मिलाया था आज 14 feberaury 2022 को मॉडर्न ज़माने के प्रेम दिवस के अवसर पर आपको अन्य गलियों में ले जाने का मन हुआ। उम्मीद को आंस भी कहते हैं। जब तक साँस है तब तक आंस hai। बनारस के नीचे बाग इलाके में चौक की तरफ से मैदागिन जाते हुए आपको एक मंदिर दिखेगा आंस भैरव का उसके पास एक सकरी गली गुज़रती है उसे आंस भैरव गली कहते हैं। जहां अंदर एक गुरुद्वारा भी hai। गोविन्द पूरी गली चौक मजार से जब आगे बढ़ते हैं तो बायें हाथ पर एक संकरी गली जा रही wo गोविन्द पूरी गली है जो आग दाल मण्डी गली में मिलती है। इसके अलावा ढूंढी राज गली, गुदड़ी गली, हनुमान गली, भूत ही इमली गली, भैरव नाथ गली, विन्ध्यवासिनी गली नारियल गली और खोया गली आदि। काशी की गली है कि गलियों की काशी। गलियों की काशी है कि काशी की गलियां। ये एक banarasi कवि की कलम की कलाकारी hai। 1400 ईस्वी के मध्य आते आते मंदिरों का शहर काशी घाटों का शहर काशी गालियों का शहर काशी बनने लगा था। 1785 में काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण अहिल्याबाई द्वारा कराया गया तब विश्वनाथ गली का नामकरण हुआ। ऐसे ही घाटों और मंदिर के नगर काशी में जब गंगा पर बाँध बना तब नदी के किनारे स्थिर हुए लोग बसना शुरु किये। ये गलियां शहर के शोर और कोलाहल से आपको दूर ले जाती हैं। गंगा की ओर और घाटों की ओर आपको ले जाती हैं। ये बनारस की समान विशेष मंडी वाली गलियां भी है। जहां सस्ता और अच्छा समान मिलता है।
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3 years ago
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कल थी काशी, आज है बनारस
काशी करवट भ्रम है, ratneshwar महादेव मंदिर...है काशी सहित भारत का अजूबा
हर हर महादेव मित्रों swajano...कैसे हो सब. भगवान से प्रार्थना है सभी स्वस्थ और आनंद में हों। मौज और मस्ती का जीवन में प्रवाह बना rahe। लंबे समय से कुछ व्यस्तता में लीन थे। परंतु अपने इस वादे पर पूरा ध्यान tha। इसलिए तैयारी के साथ आए hain। 2022 का आरंभ हो चुका hai। परंतु हमारे सनातन धर्म में नव वर्ष का आरंभ देवी के आगमन से होता hai। चैत्र माह में नवरात्रि के बाद आता है उल्लास और उत्सव देने वाला नया वर्ष। हम मनुष्य हैं। जिनको सीखने और जीने के लिए सब कुछ रचना गया hai। हर मुश्किल से निकल कर हम बेहतर हो जाते हैं। tabhi मानव विकास की इस प्रवाह में सबसे आगे है। खैर विकास और मानव जाति के कल्याण पर कभी और बात होगी। आज आपके लिए कहानी है। काशी के अजूबे मंदिर ki। वह जो मंदिर hai। जहां पूजा नहीं होती। लेकिन लोगों के लिए दर्शनीय है। हाँ मां के शाप से कोई बचा है क्या। माँ का कर्ज उतरने के लिए भगवान स्वयं कितने जन्म ले चुके hain। मनुष्य सब कर्ज चुका सकता है पर माँ के दूध और वात्सल्य का कर्ज कभी नहीं चुका सकता। जिस टेढ़े मंदिर या अजूबे मंदिर की बात कर रही वह है मणिकर्णिका घाट से आगे बढ़ने पर एक झुका हुआ जलमग्न मंदिर दिखेगा। जहां केवल 2 या 3 माह ही पूजा होती है। जिसका गर्भ गृह हमेशा छुपा रहता है Ganga के आंचल mein। ratneshwar महादेव मंदिर काशी करवट कहकर लोगों को भ्रम दिया जाता है। घाटों पर रहने वाले किसी राजघराने के सेवक ने अपनी माँ रतन बाई का दुध का कर्ज उतारने के लिए यह मंदिर बनाया। जो मां के अनकहे शाप से 9 डिग्री तक झुक गया। कभी पूजन योग्य नहीं बन सका। यह साक्ष्य है कि माँ का कर्ज चुकाने के लिए मानव के पुण्य बहुत कम hai। अब की बार जब काशी जाना और कुछ समय घाटों पर बीताना । देखना हर घाट कुछ कहता है। घाट पर पसरा मौन बहुत कुछ बयान कर देता है। ' हर दिशा में कहानी बहती है। यह शिव की पावन धरती है। गंगा के जल से माँ का वात्सल्य झलकता है अन्नपूर्णा मैया के प्रेम से हर जीवन यहां पलता है। सच्चे का बोल बाला है जहां झूठे का मुह काला करते हैं काल भैरव, हाँ काशी के रक्षक हैं शिव के प्रिय पुत्र विनायक। 64 योगिनी करती हैं काशी की सेवा शिव और उमा के धाम में हर प्राणी को मिलता है निर्वाण। ज्ञानी का ज्ञान, अभिमानी का अभिमान काशी में काशी विश्वनाथ रखते सबका ध्यान। हर हर महादेव......शंभू भोले बाबा की जय...
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3 years ago
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कल थी काशी, आज है बनारस
काशी के permanent कोतवाल काल भैरव
काल भैरव जयंती के अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। शनिवार अष्टमी ya काल अष्टमी नाम से जाना जाता hai। शिव पुराण के अनुसार दुनिया के आरंभ में क्षीर सागर में शेष नाग पर लेटे श्री विष्णु के नाभि से उत्पन्न कमल से ब्रह्म प्रकट होते हैं। आँख खुलने पर दोनों देव एक दूसरे को अभिवादन करते है। फिर ब्रह्मदेव कहते हैं कि वो दुनिया के निर्माता हैं इसलिए वो विष्णु जी के भी पिता हैं। जबकि विष्णु कहते हैं कि ब्रह्म उनके नाभि कमल से उत्पन्न हुए है इसलिए वो उनके पिता है। यह बहस बढ़ती है और महादेव इसको सुलझाने के लिए सभा बुलाते हैं। सभा में एक अग्नि स्तंभ प्रकट होता है। जिसके आरंभ को ब्रह्म देव को और अंत को विष्णु जी को खोजना है। इस क्रिया में विष्णु जी जल्द वापस आ कर कहते है कि इस अग्नि स्तंभ का अंत नहीं। सभी ब्रह्मदेव के इंतजार में हैं वो क्या कहते हैं। ब्रह्मदेव बहुत समय बाद वापस आते हैं और झूठ बोलते हैं। तब अग्नि स्तंभ दो भागों में विभाजित हो जाता है। महादेव कहते हैं कि विष्णु श्रेष्ठ हैं क्यों उन्होंने सत्य बोला। ब्रह्म उनके अधीन हैं क्योंकि उन्होंने झूठ बोला। इस पर ब्रह्म क्रोधित होते हैं। शिव को अपमानित करने लगते हैं। शिव जी क्रोध में अपने स्थान से उठ खड़े होते हैं। उनका रूप रूद्र हो जाता है। मार्गशीर्ष के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि होती है। जब शिव काल भैरव रूप ले कर ब्रह्म के पांचवें सर को काट कर इस विवाद का अंत करते हैं। अब सब कुछ शांत होता है। पर स्वयं काल भैरव अशांत और ब्रह्म हत्या के पाप से ग्रसित होते हैं। उन्हें काशी में शांति और पाप से मुक्ति मिलती हैं। आकाश वाणी होती है। अब आप यही काशी नगरी में कोतवाल बन कर रहिये। तब से काशी के कोतवाल हैं काल भैरव। जिनके अनुमति के बिना काशी में वास और प्रवेश असंभव हैं। विश्वनाथ मंदिर से डेढ़ किमी दूर है। काल भैरव का मंदिर। भगवान विशेश्वर महादेव के विश्वेश्वर खंड में निवास करते हैं काल भैरव। आज उनका happy birthday hai। और क्या हैं काशी में खास जानने के लिए सुनिए और पढ़िए बनारसी सिंह का पॉडकास्ट। शेयर जरूर करें। एक दो बार साझा तो बनता हैं।
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3 years ago
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कल थी काशी, आज है बनारस
काशी के गालियों mei छुपा है मुक्ति और जीवन का खजाना
नमस्कार मित्रों और बंधुओं और सुनने वाले सभी लोगों का बनारसी सिंह के पॉडकास्ट में हार्दिक स्वागत है। सभी लोग सुन रहे इससे मेरा मनोबल बढ़ता है। पर अगर यह कहानियां आपके द्वारा शेयर भी हों तो जिनको काशी और बनारस के बारे में जानना है उनको भी फायदा होगा। तो मुझे आप इतना समय देते हो एक मिनट लगा कर इसे अन्य लोगों में शेयर भी कर दिया करिए। इसके लिए मैं आपकी आभारी रहूंगी। खैर आज कहानी नहीं है आज जानकारी और कहानी का संगम है। काशी को धर्म नगरी, मोक्ष नगरी, संस्कृति नगरी, ज्ञान केंद्र, आनंद वन, घाटों का शहर, साधु का शहर, मंदिरों का नगर के अलावा भी एक नाम से पुकारा जाता है। वो हैं यहां की गलियाँ। गलियों का शहर काशी या बनारस। सकरी गलियों पतली गलियों का कोई प्रतियोगिता हो तो अपना बनारस अव्वल आएगा। आज के एपिसोड में आप हमारे शहर की उन खास गालियों के बारे में जानेंगे। चलिये ले चलते है उन गलियों में जहां बिंदास बनारस और सौम्य काशी रहती है। काशी का दिल है काशी विश्वनाथ मंदिर। इस दिल से एक गली जुड़ी है जो गादौलिया स्थिति मंदिर गेट से दशा अश्वमेध घाट तक ले जाती है। अंदर इसके कई मोड़ और जोड़ हैं। कभी ये संकट गली से कभी गोपाल गली से मिलती है। इस गली में लकड़ी के खिलौने, आभूषण और पूजा सामग्री, साड़ी और स्थानीय हस्त शिल्प वस्तुएँ मिलती है। दूसरी गली है कचौडी गली नाम में ही सब रखा है। यहां दूर से ही विभिन्न प्रकार के कचौडी की महक आपको यहां आने और छक्क के खाने के लिए विवश करती है। इसी गली में हिंदी के प्रसिद्ध कवि हरिश्चंद्र जी का घर है। और पंच गंगा गली। जो पंच गंगा घाट से शुरू हो कर कई अन्य घाटों तक आपको पहुंचाती है। बहुत लंबी गली है। दाल मंडी यहां दाल नहीं मिलता ब्लकि चूडी, बिंदी, सौन्दर्य प्रसाधन सामग्री, बिजली का समान, ब्यूटी प्रोडक्ट, कपड़ा बाजार आदि का थोक बाजार है। अगर आपको मोल भाव करना आता है तो आपको यहां शॉपिंग में मजा जरूर आएगा। ये गली चौक और नयी सड़क बाजार को जोड़ती है। ऐसे ही अन्य भी गलियाँ हैं जिसके बारे में जान कर आप अपना समय और पैसा दोनों बचा सकते हैं। मंदिर दर्शन और भोजन का आनंद भी ले सकते हैं। लंबे समय तक काशी का निवास और महादेव का सानिध्य पा सकते हैं। अन्य गलियों को जानने के लिए जरूर सुनिए 'कल थी काशी आज है बनारस' बनारसी सिंह का पॉडकास्ट। आप तक कहानी पहुंचाते हुए मुझे एक वर्ष हो चुका है। आगे भी ये सिलसिला जारी रहेगा इसके लिए अपना प्यार और आशीर्वाद बनाये रखें। हर हर महादेव। इस बार भी देव दीपावली पर्व में बनारस में हूँ। इस पर्व की साक्षी बन पाउंगी। जिसके पास भी समय है वो आयें काशी के इस महापर्व में। 19 नवंबर 2021 को मनाया जाएगा। काशी के 84 घाटों पर विश्व प्रसिद्ध दीप उत्सव देव दीपावली। हर हर महादेव।
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3 years ago
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कल थी काशी, आज है बनारस
सोनार पूरा तिल bhandeshvar महादेव मंदिर की कहानी
हर हर महादेव, सबको शुभ प्रभात। जल्दी से कहानी सुन लीजिए। बहुत दिन बाद लाए हैं एक दम ताजा और एक दम प्राचीन शिव विग्रह की कहानी। एक मंदिर है बंगाली टोला स्कूल के पास उस गली को सोनार पूरा कहते हैं। क्या खास है इस मंदिर में। ये जानने के लिए सुनिए मेरा पॉडकास्ट जब एक साल पुराना हो गया है। हर बार में यानी आपकी दोस्त और होस्ट कुछ नया लेकर आती हूं आपके liye।जो होता तो पुराना है बस आप को अभी पता चलता है। खैर नया पुराना बाद में करेंगे पहले कुछ बता दें। ये जो मंदिर है ये तिल bhandesvar महादेव के नाम से जाना जाता है। लोग यहां शनि और उनके चेले राहु और केतु के प्रभाव से मुक्ति पाने केलिए आते हैं। ये विग्रह स्वयंभू है यानी प्रकट हुआ hai। किसी ने बनाया और स्थापित नहीं किया hai। सतयुग से द्वापर तक ये बढ़ता रहा लोगों को लगा कि कहीं कलयुग से पहले ही धरती शिव में समा ना जाए तब काशी के लोगों ने सावन में यहां शिव की खूब पूजा की उनको बुलाया वो आए। जैसा कि सब जानते है वो भोले नाथ हैं वो आए उनसे सबने सविनय निवेदन किया प्रभु रक्षा करिए। वो बोले किस्से।बोले आपके विग्रह से। वो तो रोज बढ़ रहा। ऐसे तो धरती शिव में विलीन हो jayegi। भगवान मुस्कुराए बोले ठीक है में केवल मकर संक्रांति को ही एक तिल बराबर बढ़ा होऊँगा। जो भी मेरी पूजा करेगा उसके कष्ट हर लूँगा। फिर महादेव अंतर्ध्यान हो gaye। तभी से कलयुग में वो केवल तिल बराबर बढ़ते है। यहां शारदा माँ भी आयी और कुछ समय रही। इसलिए अन्नपूर्णा का वास है। लोग यहां दर्शन करने दूर देश से आते hain। आप भी इस बार संक्रांति पर बाबा के दर्शन करना। कुछ और कहानियां हैं जिनको आपको पॉडकास्ट में सुनना चाहिए। जैसे अंग्रेजी हुकूमत को कैसे सबक सिखाया इस विग्रह ने। मुस्लिम सुल्तान की सेना कैसे तीन बार मात खाई। और भी बहुत कुछ। सुनते रहिये और शेयर भी करिए। मेरे द्वारा और आपके सहयोग से किसी और का भला हो जाए तो अच्छा है। हैं ना कृपया इस को मित्रों और घर वालों से शेयर करें। मुझे भी हिम्मत और साहस मिलेगा आपके लिए खोज करने में। बाकी तो महादेव सब देख लेंगे। फिर बात होगी जल्द ही तब तक के लिए आपना ध्यान रखें।
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3 years ago
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कल थी काशी, आज है बनारस
यह पाडकाॅस्ट उन कहानियों और घटनाओं के बारे में आपको बताएगा जिसे आपने कभी सुना नहीं और अगर सुना है तो ऐसे नहीं जैसे बनारसी सिंह सुनाने जा रही. बनारस मेरी जन्म भूमि है. महादेव मेरे आराध्य. इसलिए बनारस की कहानियाँ और बातें मेरे लिए प्रार्थना के समान है. यकीन मानिए ये कहानियाँ आपकी जिंदगी बदल सकती हैं. क्योंकि बनारस पर बाबा का आशीर्वाद है. माता अन्नपूर्णा की करुणा है. यहाँ कोई भूखा नहीं सोता. यहाँ हर कण में शिव हैं. हर हर महादेव. इस यात्रा में आप सब भी जुड़े और कुछ आनंद प्राप्त कर सकें, यही मेरी अभिलाषा है. आइये और सुनिए हमारे शहर बनारस को एक बनारसी की जुबानी.... चली कहानी.. पहली कहानी ह