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कल थी काशी, आज है बनारस
Banarasi/singh
75 episodes
6 days ago
यह पाडकाॅस्ट उन कहानियों और घटनाओं के बारे में आपको बताएगा जिसे आपने कभी सुना नहीं और अगर सुना है तो ऐसे नहीं जैसे बनारसी सिंह सुनाने जा रही. बनारस मेरी जन्म भूमि है. महादेव मेरे आराध्य. इसलिए बनारस की कहानियाँ और बातें मेरे लिए प्रार्थना के समान है. यकीन मानिए ये कहानियाँ आपकी जिंदगी बदल सकती हैं. क्योंकि बनारस पर बाबा का आशीर्वाद है. माता अन्नपूर्णा की करुणा है. यहाँ कोई भूखा नहीं सोता. यहाँ हर कण में शिव हैं. हर हर महादेव. इस यात्रा में आप सब भी जुड़े और कुछ आनंद प्राप्त कर सकें, यही मेरी अभिलाषा है. आइये और सुनिए हमारे शहर बनारस को एक बनारसी की जुबानी.... चली कहानी.. पहली कहानी ह
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यह पाडकाॅस्ट उन कहानियों और घटनाओं के बारे में आपको बताएगा जिसे आपने कभी सुना नहीं और अगर सुना है तो ऐसे नहीं जैसे बनारसी सिंह सुनाने जा रही. बनारस मेरी जन्म भूमि है. महादेव मेरे आराध्य. इसलिए बनारस की कहानियाँ और बातें मेरे लिए प्रार्थना के समान है. यकीन मानिए ये कहानियाँ आपकी जिंदगी बदल सकती हैं. क्योंकि बनारस पर बाबा का आशीर्वाद है. माता अन्नपूर्णा की करुणा है. यहाँ कोई भूखा नहीं सोता. यहाँ हर कण में शिव हैं. हर हर महादेव. इस यात्रा में आप सब भी जुड़े और कुछ आनंद प्राप्त कर सकें, यही मेरी अभिलाषा है. आइये और सुनिए हमारे शहर बनारस को एक बनारसी की जुबानी.... चली कहानी.. पहली कहानी ह
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Banaras ki संकरी गलियाँ/ बनारस is city of street part 2
कल थी काशी, आज है बनारस
36 minutes 16 seconds
3 years ago
Banaras ki संकरी गलियाँ/ बनारस is city of street part 2
हर हर महादेव सभी श्रोता गणों का स्वागत है और आभार भी मेरे द्वारा सुनायी जा रही कहानी और जानकारी को सुनने और अपना क़ीमती समय देने के लिए। चलिए आपको बनारस शहर की उन सकरी गलियों में आपको ले चलते हैं जहां जाने की हर किसी की तमन्ना होती है। आप काशी आए और गलियों में सैर नहीं किया तो काशी की यात्रा और यहां बीतने वाला समय अपने चरम पर नहीं जा सकेगा। 14 नवंबर 2021 को मैंने आपको बनारस की कुछ मशहूर गलियों से मिलाया था आज 14 feberaury 2022 को मॉडर्न ज़माने के प्रेम दिवस के अवसर पर आपको अन्य गलियों में ले जाने का मन हुआ। उम्मीद को आंस भी कहते हैं। जब तक साँस है तब तक आंस hai। बनारस के नीचे बाग इलाके में चौक की तरफ से मैदागिन जाते हुए आपको एक मंदिर दिखेगा आंस भैरव का उसके पास एक सकरी गली गुज़रती है उसे आंस भैरव गली कहते हैं। जहां अंदर एक गुरुद्वारा भी hai। गोविन्द पूरी गली चौक मजार से जब आगे बढ़ते हैं तो बायें हाथ पर एक संकरी गली जा रही wo गोविन्द पूरी गली है जो आग दाल मण्डी गली में मिलती है। इसके अलावा ढूंढी राज गली, गुदड़ी गली, हनुमान गली, भूत ही इमली गली, भैरव नाथ गली, विन्ध्यवासिनी गली नारियल गली और खोया गली आदि। काशी की गली है कि गलियों की काशी। गलियों की काशी है कि काशी की गलियां। ये एक banarasi कवि की कलम की कलाकारी hai। 1400 ईस्वी के मध्य आते आते मंदिरों का शहर काशी घाटों का शहर काशी गालियों का शहर काशी बनने लगा था। 1785 में काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण अहिल्याबाई द्वारा कराया गया तब विश्वनाथ गली का नामकरण हुआ। ऐसे ही घाटों और मंदिर के नगर काशी में जब गंगा पर बाँध बना तब नदी के किनारे स्थिर हुए लोग बसना शुरु किये। ये गलियां शहर के शोर और कोलाहल से आपको दूर ले जाती हैं। गंगा की ओर और घाटों की ओर आपको ले जाती हैं। ये बनारस की समान विशेष मंडी वाली गलियां भी है। जहां सस्ता और अच्छा समान मिलता है।
कल थी काशी, आज है बनारस
यह पाडकाॅस्ट उन कहानियों और घटनाओं के बारे में आपको बताएगा जिसे आपने कभी सुना नहीं और अगर सुना है तो ऐसे नहीं जैसे बनारसी सिंह सुनाने जा रही. बनारस मेरी जन्म भूमि है. महादेव मेरे आराध्य. इसलिए बनारस की कहानियाँ और बातें मेरे लिए प्रार्थना के समान है. यकीन मानिए ये कहानियाँ आपकी जिंदगी बदल सकती हैं. क्योंकि बनारस पर बाबा का आशीर्वाद है. माता अन्नपूर्णा की करुणा है. यहाँ कोई भूखा नहीं सोता. यहाँ हर कण में शिव हैं. हर हर महादेव. इस यात्रा में आप सब भी जुड़े और कुछ आनंद प्राप्त कर सकें, यही मेरी अभिलाषा है. आइये और सुनिए हमारे शहर बनारस को एक बनारसी की जुबानी.... चली कहानी.. पहली कहानी ह