हम अकेले क्यों हैं?
यह एक बहुत बड़ा प्रश्न है जो आदमी के दिमाग में चलता रहता है , इसके बारे में समझना बहुत ही आवश्यक है। इसी सम्बन्ध में कुछ विचार किया गया है जो आप सुन सकते हैं।
क्या अधार्मिक हो कर धर्म के मार्ग पर चला जा सकता है? अगर नहीं तो फिर किस बात की प्रतीक्षा हो रही है? क्यों आदमी अपनी मूर्छा से बाहर आना नहीं चाहता ? अभी नहीं किया तो बहुत देर हो जाएगी , इसलिए इसको समझना होगा! विस्तार से सुनें और जाने समस्या का कारण क्या है?