
क्या अधार्मिक हो कर धर्म के मार्ग पर चला जा सकता है? अगर नहीं तो फिर किस बात की प्रतीक्षा हो रही है? क्यों आदमी अपनी मूर्छा से बाहर आना नहीं चाहता ? अभी नहीं किया तो बहुत देर हो जाएगी , इसलिए इसको समझना होगा! विस्तार से सुनें और जाने समस्या का कारण क्या है?