Home
Categories
EXPLORE
True Crime
Comedy
Business
Society & Culture
History
Sports
Health & Fitness
About Us
Contact Us
Copyright
© 2024 PodJoint
00:00 / 00:00
Sign in

or

Don't have an account?
Sign up
Forgot password
https://is1-ssl.mzstatic.com/image/thumb/Podcasts112/v4/bb/4f/ee/bb4feec0-f855-4a56-8793-54ca46fa0e9d/mza_2389217392606377421.jpg/600x600bb.jpg
Modern Masters
Dhiraj
25 episodes
6 days ago
A contemplative take on stalwarts of modern cultural landscape. It will cover Modern Art, Music, Movies, Television.Abstract paintings to modern art; rock n roll to classical music . So onto Picasso, Matisse, Warhol, Jimi Hendrix, Jim Morrison, Janis Joplin, Yes Minister, BBC mysteries, Modernartists etc
Show more...
Arts
RSS
All content for Modern Masters is the property of Dhiraj and is served directly from their servers with no modification, redirects, or rehosting. The podcast is not affiliated with or endorsed by Podjoint in any way.
A contemplative take on stalwarts of modern cultural landscape. It will cover Modern Art, Music, Movies, Television.Abstract paintings to modern art; rock n roll to classical music . So onto Picasso, Matisse, Warhol, Jimi Hendrix, Jim Morrison, Janis Joplin, Yes Minister, BBC mysteries, Modernartists etc
Show more...
Arts
Episodes (20/25)
Modern Masters
एक कविता लिखनी है
एक कविता लिखनी है। सफ़ेद ख़ामोशी सी पागल गुम अपनेपन सी मुलायम खाली सन्नाटे के दोनो से ढकी एक कविता लिखनी है। बारिश को भिगोते शहर सी खनकती पिघलती बातों सी शर्माए हुए नशे सी एक कविता लिखनी है। करते ही भूले से वादे सी किसी सिसकते पाप सी किसी नापाक हसरत सी एक कविता लिखनी है। तेरी हिकारत के डंक सी मेरी समझ के तंग मकबरे सी इस मरीज दौर के वहशीपन सी एक कविता लिखनी है। कुछ दिल में कुछ दिल के बाहर बिखरे उस आमंत्रण सी एक कविता लिखनी है। कुछ हारने को कुछ लुट जाने को पर बहुत ज्यादा महसूस करने को एक कविता लिखनी है। ए मेरी अबूझी टीस मेरी कविता कभी लिख मत जाना तुझको चाह कर उदास रहता हूँ आदत है मुझे और एक ख़ुशी भी। कुछ कर्ज उतारने के लिए नहीं होते
Show more...
1 year ago
1 minute 22 seconds

Modern Masters
खेद सहित
तक़ादा सा करते सड़क पर पड़े पथ्थर अंधेरे में साये सा खड़ा पेड़ घूरता हवा की गुत्थी भी एक शिकायत सी लिए मुड़ा तो धड़कन खड़ी थी तिरस्कार के शैवाल जीवन से बनी साँस भी कुछ घिसी कुछ छिली एक पिघली सी हँसी गुज़री पूछती कब लिखोगे हमें सफ़ेद काग़ज़ का डाँटता सा सूनापन रोने की कसक भी दूर समर्पण भी टुकड़ों में दर्द भी उधार सा एक भूले से सपने में कल मिला था शायरी के झिझकते उलाहने से कब लिखोगे? सो आज ये खेद सहित......
Show more...
1 year ago
54 seconds

Modern Masters
क्यों न कर जायें चुपके से कोई गुनाह हम
हो बेज़ार राख़ पसरी सन्नाटे के आसमानों में कुरेदें क्यों न उसमें झीनी हँसीं के पठारों को हम बन रहा है थकान विरक्ति और शायद आदतों से एक मक़बरा इसे सजायें क्यों न कुछ पैबंद मुस्कुराहटों से हम बुझती आत्मा में रोज़ उगते हैं नए मरुस्थल बसाएँ क्यों न उन में कुछ बिसरे से गाँव हम किवाड़ें दरक रही हैं जा चुकों के न होने से जलाएँ क्यों न उन पर कुछ नए सूने दीये हम ग़ज़ल की लज़्ज़त सूखने सी लगी है रोज़मर्रा के खंडहारों में डूबें क्यों न इस पिघले नशे के तहख़ानों में हम माना भूल से गए हैं क्या होता है जवाँ होना चुपके से क्यों न कर जाएँ कुछ गुनाह हम
Show more...
1 year ago
1 minute 41 seconds

Modern Masters
इतने भी बेख़्याल नहीं हम
कुछ हम नज़रंदाज़ कर देते हैं कुछ तुम रहने देते हो गफलत का शक वरना इतने भी बेख्याल नहीं हम अपनी मौत के बहानो से। लोग कहते है बड़ा ढीठ है जिए जा रहा है। हम बेक़रार हैं कि जिला जाये कोई। अब बातें नहीं होती अपने भीतर के झोलों से नाराज़ सी जिंदगी जो घूमती है बाहर डूबती इन उम्मीदों में कुछ समझा लेते हैं खुद को कुछ तुम्हारी चुप्पी बुन जाती है कुछ भरम दिल सम्हल जाता है सांस चल जाती है।
Show more...
2 years ago
56 seconds

Modern Masters
प्यास की आबरू
हारी बाज़ी सी फैली रात का भूला हुआ कतरा सहम कर कुछ आरजुए बुनता झगड़ते हुए ये जज़्बात मन बनाते मुक्कम्मल हो जाने का सोचा था क़ि आज तुमको सोचेंगे अब आरजुओं का क्या है बेख़ौफ़ चली आती हैं मैं रह जाता हूँ तुम्हारी बेरुखी की काली चादर को समेटने के लिए ये अकेलेपन के बियाबान के कटीले पेड़ तमगे हैं मेरी प्यास के कम रह जाने के कभी रखो आबरू इन डरे हुए ख्वाबों की अपने अजनबीपन को नफरत का नाम देकर। कुछ मिटें कुछ लुटें इक बेदाम गुमशुदा सी कुर्बानी में मतलब खोजेंगे जब अपने आवारापन को सस्ता करने का मन होगा।
Show more...
2 years ago
1 minute 6 seconds

Modern Masters
क्यों चौंकता है मन
क्यों चौंकता है मन पता तो है ये अहसास धुंध से तराशी एक आयत ही तो है कुछ सुर इस साज पर नहीं लगते गुनगुनाने की हिमाकत कुछ और नहीं एक छोटा मोटा कुफ्र ही तो है अब कोई शुबह नहीं तुम्हारी हिक़ारत कोई नाज़ ओ अदा का खेल नहीं हमारी अर्ज़ी इक सिरफिरे का भरम ही तो है आज फिर सोचा कि दिल की किसी परत में उकेरेंगे बारिशों की खुसफुसाहट कुछ और नहीं राख़ के ढेर से इक गुज़ारिश ही तो है क्यों चौंकता है मन पता तो है.....
Show more...
2 years ago
49 seconds

Modern Masters
कुछ गहरा जियें
जीवन का कुछ कारोबार चले इक सड़क से लम्बे लम्हे मे इक डूबते से वैराग्य में सिर्फ होठों पर ठिठकती इक झीनी हंसी में कुछ वेदना ढूंढे अजीब असमंजस सस्ती ख़ुशी समझ नहीं आती दर्द का शूल विस्मृत इक उदास सांस में एक छिछली सन्तुष्टि के घूँट में इक इठलाते अल्प विराम में कुछ वेदना ढूंढे। कुछ गहरा जियें गंगा के ठंडे विस्तार सी कोई गहरी ख़ुशी खालिस चमकते नीले अंधरे सा कोई गहरा दर्द ऊपर ऊपर बहुत जिये अब डूब कर भी जियें।
Show more...
2 years ago
56 seconds

Modern Masters
सामान्य का सम्मोहन
कभी रुक कर देखो तिलस्मी रोमानियत की ख़ुमारी के झुरमुटे को थोड़ा हटा कर , दिखेगा... छोटे सच सा सलोना सामान्य का सम्मोहन शायर का काम है उड़ना कहीं लुट जाना किसी गुनाह को जी कर अमीर कर देना मगर एक कुफ़्र ये भी करके देखो .... एक उम्र से तराशी घुले मौन सी शक्ति नदी सी उदार भीतर तक तृप्त शाम के सूरज सी थकी मुस्कुराहट को पढ़ के देखो उसमें बैठा सामान्य का सम्मोहन उन रोज़मर्रा समझौतों से पुख़्ता ख़ुद के दर्द को नींव में दबा कर साँस लेता , हँसता हज़ारों परिकथाओ से गहरा रोज़मर्रा की सच्चाई से बना प्रेम उफ़ ये सामान्य का कभी ना दिखने वाला सम्मोहन
Show more...
2 years ago
1 minute 11 seconds

Modern Masters
होने चाहिए कुछ अड्डे
लम्हों के पतझड़ से
Show more...
2 years ago
46 seconds

Modern Masters
खनकती चुभन तुम्हारे न होने की
जैसे बरसती हो बेनाम बे आवाज़ बारिश किसी भूले सागर के धुँधले कोने में जैसे फैलती हो अनमनी सी कस्तूरी किसी अनछुए जंगल के कँवारे सन्नाटे में जैसे सुलगती हो पराई सी चाँदनी किसी अनजान आकाशगंगा के मौन झूलते अकेलेपन में वैसे ही तुम्हारा न होना भर देता है मुझे उस बिना जिए ख़ालीपन की खनकती चुभन से
Show more...
2 years ago
40 seconds

Modern Masters
अलगाव सी उदासी
झुलसती विरक्ति से पोसी थकी सी रात का सूना एक पल रोशनियाँ बांधती भूखे अंधेरों से बने चाँद इक चुप्पी की रजाई और वो टीसों का तांडव अलगाव सी उदासी एक उबा सा वैराग्य शापित सृष्टियों से सजा वो सूना एक पल कब खटखटाता है ये पल भूले दोस्त सा अनमना सा आ खड़ा होता है जैसे पुरानी चोट का दर्द संवेदन के पटल पर शरमाया सा एक दावा एक झीनी सी प्यास जो जिद तो नहीं करती पर घेर पूरा लेती है उस पल के उलझे से सुख उम्र की दीवार के सूखते रंग भीतर का धुंधला संसार सहसा मूर्त हो उठता भटकते धुंए सा कितना कीमती है इस पल का काला खालीपन जो मुझको मेरे और मेरे सच के बीच से हटा देता है।
Show more...
2 years ago
1 minute 20 seconds

Modern Masters
बुरा तो ये कि बुरा भी नहीं लगता…
गुम सी हो गयी ग़ज़ल बुरा तो ये कि बुरा भी नहीं लगता दिल तो आज भी छिलता होगा खनकती बारिशें आज भी भिगोती होंगी रागों का सन्नाटा आज भी भरता होगा चाँद पर कई सागर ये दर्द ये उन्माद ये आह्लाद थकाता तो है छलक कर बहता नहीं है कविता उफनते देखी थी कुंठा, अपमान, प्रेम और भूखी मुलायमियत के बाज़ार में कविता मरते भी देखी थी संतुष्टि, व्यस्तता और पठार होते चेतन पर जो नहीं देखा था वो था रंगों का रंगत खो देना सपनों का गफ़लत खो देना पाप की मादकता का फीका पड़ जाना आत्मा में आदतों के रेगिस्तान कब झबरे होने लगे प्यार की अधपकी मिट्टी का आवारापन कब विनीत स्थापत्य बन गया नयी चौंकाती खोजें रोज़मर्रा जैसा ठहराव कब से देने लगीं हृदय की वीरान बांबी के कुलबुलाते सर्प कब से सभ्य हो गए ब्रह्मांड के बाहर से जब भी देखता हूँ उत्सव अवसाद खामोशी और आकर्षण के प्रेत वैसे ही मदनोत्सव मनाते दिखते हैं उलझन सी मेरे होने की सच्चाई में भी सूत्र, दंशहीन गफ़लत और आदत मेला तो लगाए रखेंगे पर ग़ज़ल गुम हो गयी है और बुरा तो ये कि बुरा भी नहीं लगता ।
Show more...
2 years ago
1 minute 45 seconds

Modern Masters
नहीं जवाबदेह हूँ तुम्हारे नफ़रतों के मक़बरे में- A reposte to whataboutery syndrome कविता
सच सच क्यों है इसलिए क्योंकि मैं एक हद के बाद नापना बंद कर देता हूँ डर भी डर इसलिए है क्योंकि मैं एक हद के बाद बहादुर बनने को नहीं तैयार हूँ दुख दुःख इसलिए है क्योंकि एक हद के बाद मेरे दिल ने वो किवाड़ खोल दी है ख़ुशी ख़ुशी क्यों है क्योंकि वो आ खड़ी हुई है बस मेरे सच , मेरे डर, मेरे दुःख और मेरी ख़ुशियाँ सही है कि नापी जा सकती हैं , नकारी जा सकती हैं आज तुम्हारे पास मेरा सारा इतिहास हैं पर मेरा वजूद शायद अभी भी मेरा है आज शायद तुम्हारे पास सारे सचों की किताब हैं पर मुझे इजाज़त दो कि मैं अपने सच को ख़ुद खोजूँ शायद तुम्हारे पास होंगे और भी माफ़िक़ मौक़े डरने के मेरे दिल को हक़ है मेरा होने का क्या हो नहीं सकता की की मेरे डर का पोस्टमोर्टम न हो क्या मेरी ख़ुशी की एक बूँद अपने में अमीर नहीं हो सकती क्या मेरा दुःख सारे दुःखों से अलग नहीं हो सकता मेरा प्रेम मेरा है शायद नहीं है जवाबदेह तुम्हारी नफ़रत के मक़बरे में एक बात बोलूँ सुनोगे दिलों की बातें दिलों से समझी जाती हैं बही खातों से तो हिसाब होते हैं
Show more...
2 years ago
1 minute 27 seconds

Modern Masters
मन नहीं है तुम्हारे न होने की आदत डालें
जब कोई गया कम याद आए
Show more...
2 years ago
1 minute 21 seconds

Modern Masters
रजनीकांत - एक आदमकद उन्माद

A tribute to Mega star Rajinikanth

Show more...
3 years ago
1 minute 46 seconds

Modern Masters
अमिताभ - कौतूहल सा एक राग
अमिताभ बच्चन को एक नज़र । A tribute to Amitabh Bachchan
Show more...
3 years ago
2 minutes 23 seconds

Modern Masters
ऑगस्ट रोडाँ के साँस लेते पत्थर | Warm Flesh of Rodin's Sculpture| Hindi |
रोडाँ को दिखावटी और भड़कीला कहा गया है। उनकी शोहरत 1917 में उनकी मृत्यु के बाद तेज़ी से नीचे गयी जब नयी पीढ़ी के शिल्पकारों (उनमें से कई उनके शिष्य भी थे जैसे Maillol, Brancusi, Bourdelle, Pompon आदि) रोडाँ के उमड़ते इमोशन और हाइपर डिटेलिंग की जगह आकार और अर्थ के दूसरे अप्रोच के साथ अपनी खुद की शैली ढूँढने लग गए। यद्यपि ये सब रोडाँ के क्लासिसिज़म के पहाड़ को पार करने से लाभान्वित हुए थे पर वो सब इस आंदोलन को आगे ले जाने के लिए नए और शांत तरीक़े ईजाद कर रहे थे जो रोडाँ से अलग, कम जटिल थे। इसके बावजूद आज दुनिया रोडाँ को शिल्पकला में आधुनिकता के निर्विवाद अग्रदूत के तौर पर जानती है और प्रभाव और क़द में उनकी तुलना माइकल एंजेलो तक से की जाती है।
Show more...
3 years ago
2 minutes 23 seconds

Modern Masters
रोवन एटकिंसन: हाइपर कॉमेडी की सादगी| Hindi | Rowen Atkinson- Understated Hyper Comedy

रोवन एटकिंसन एक दुर्लभ प्रजाति हैं - a natural born actor, एक नैसर्गिक अभिनय प्रतिभा। वो इतने सहज और गहरे कॉमेडियन हैं की वो चरित्र को अभिनीत करने के बजाय उसे जीते हैं। उन्होंने कॉमेडी की विधा उठाई और उस पर अपने दबे मुलायम चुम्बकीय व्यक्तित्व की मुहर लगा दी। । सहजता और अंडरस्टेटमेंट उनकी प्रतिभा के प्रमुख तत्व हैं। अंडरस्टेटमेंट और मिस्टर बीन- सुनने में अजीब लगता है लेकिन मिस्टर बीन या एटकिंसन द्वारा निभाया गया किरदार, हमेशा मद्धिम सुर में ही होता है। कोई भी अभिनेता जिसने अभिनय ‘सीखा’ हो वो मिस्टर बीन को थोड़े ऊँचे ऑक्टेव में खेलता पर एटकिंसन के लिए तो अभिनय सांस लेने जैसा सहज है। यहाँ सीखने से ज़्यादा अभिनय instincts से आया होता है। 

https://modernmasters1.blogspot.com/2022/10/blog-post_11.html?m=1

Show more...
3 years ago
8 minutes 11 seconds

Modern Masters
क्लिंट ईस्टवुड: न्यूनता में भव्यता | Hindi | Minimally Grand: Eastwood Enigma

ईस्टवुड गाथा में भी बिना भटके केंद्रीय तत्व की परतें उतारने की शिक्षा साफ़ दीखती  है।  जब सबको सीमित अभिनय क्षमता का एक सुन्दर नौजवान दिखता था तब इटालियन सेकंड यूनिट डायरेक्टर सर्जिओ लिओनी ने उनको लेकर जापानी समुराई फिल्मों और अमरीकी वेस्टर्न्स के मिश्रण से Man With No Name को पैदा किया। उन्होंने वेस्टर्न्स और समुराई फिल्मों के अंतर्निहित संरचना के मुख्य तत्व जैसे लड़ाकू लोग, धमकी भरे तरीके से घूरना, गन स्लिंगिंग को प्रधान कर व्यवधान पैदा करने वाले मेलोड्रामा और दुसरे तत्वों को गौड़ कर नए फॉर्मेट की रचना की।  न्यूनतम डायलाग  के साथ force of the personality का प्रभाव कम से कम मूवमेंट्स के साथ प्राप्त किया गया था। ईस्टवुड की ‘apprising taciturnity’, एक सजग धीर गम्भीर और विशाल व्यक्तित्व, इस विधा के बिल्कुल माफ़िक़ सिद्ध हुए।  उनकी तब ही से पालिसी रही की यदि आपके पास अच्छी सामग्री है, तो उनके साथ बहुत अधिक खिलवाड़ न करें।

Unforgiven को तब 62 वर्ष के ईस्टवुड की विदाई फिल्म के तौर पर देखा जा रहा था एक last  hurrah ! तब से अब तक लगभग 30 वर्षों में उन्होंने 23  फ़िल्में बनायीं और 10 में तो उन्होंने अभिनय भी किया। 80 की उम्र के बाद उनके नाम 14 फ़िल्में हैं। Unforgiven और उसके बाद की फिल्मों ने आलोचकों का दिल और पुरस्कार दोनों प्रचुर मात्रा में जीते।    उनका निर्देशक के रूप में  body of work जैसे  Unforgiven, Invictus, Gran Torino, Hereafter, Mystic River, Changeling, American Sniper, Letter from Iwo Jima और  Sully उनको सिनेमा की सबसे ऊँची जमात में ले जाता है।Sully के बाद भी उन्होंने 15:17 to Paris, The Mule, Richar Jewell और Cry Macho जैसी फिल्मे दी।  Cry Macho  2021 में आई इसमें 91 वर्षीय ईस्टवुड ने निर्देशन के साथ अभिनय भी किया है।   उनके सधे  स्पर्श ने स्थायी महत्व की फिल्में दी हैं।  उन्होंने अपना करियर और स्टाइल खुद गढ़ा और खुद का आविष्कार और पुन: आविष्कार करने में वे निरंतर सफल रहे।एक सीधी और कसी हुई किस्सागोई की अपनी शैली के साथ  उन्होंने ईस्टवुड मिस्टिक, स्टारडम को एक बोझ  नहीं बनने दिया, लेकिन अपने माध्यम की सेवा में उसके निरंतर विस्तार में,  अपने स्टार व्यक्तित्व और अपनी शक्तियों का भरपूर इस्तेमाल किया। उन्होंने वेस्टर्न्स को गहराई दी, उन्होंने righteous stylized violence के लिए जगह बनाई और बाद में उन्होंने हिंसा की निरर्थकता को तलाशने वाली फिल्मों (Unforgiven) को भी एक स्थान दिलवाया।   रिडेम्पशन और reconciliation  (Invictus). नस्लीय मुद्दे  (Gran Torino) और दमदार महिला चरित्र  Changelings और  Million Dollar Baby, The Bridges of Madison County से फिल्म की संभावनाओं को आगे बढ़ाया. अपनी स्टार पावर का इस्तेमाल उन्होंने प्रयोगधर्मिता में किया। सबसे बड़ी बात कि उम्र ने उनकी फिल्मों के कसाव को बिलकुल भी कम नहीं किया। देव आनंद साहब वाला स्वांतः सुखाय फिल्मों  वाला दौर उनका अभी भी नहीं आया है।  उनकी सभी फिल्में, विशेष रूप से बाद की फिल्में सिनेमा की कहानी को आगे ले जाती हैं लेकिन वे मुख्यतः  रूप से 'क्लिंट मूवीज' बनी रहती हैं।. Lean, minimal and spare thing of unbounded beauty.


Minimalism accentuates the force of Clint Eastwood's personality. Clint Eastwood has a lean telegraphic style of delivery that is hallmark of his screen presence and also his directorial output. Clint Eastwood goes for core and is ready to drop everything else, not because it will distract (of course it will) but mostly due to the fact that it is none of his business. He stands stark and abundantly clear. Despite bohemian airs of his youth, Clint Eastwood is a shrewd and intelligent person. This intelligence is reflected the management of his estate, politics, finances, marriages, family cohesion (anyone else would have been hit much harder with all that philandering) but most importantly, Clint Eastwood showed his intelligence in managing his own brand and his own career.

Show more...
3 years ago
22 minutes 34 seconds

Modern Masters
Milan Kundera: A Playful Dialogue with Soul

Milan Kundera is a great novelist and a pioneer for his style which he himself confesses is in the tradition of great European novelists. His key works stand the test of time and resonate with brilliance that appeals to human concerns beyond a certain epochs. His best works contain the intellectual and emotional pleasure of an examined life. His capabilities of “forging connections between the individual consciousness and the shifting currents of history and politics” has the thrum of operatic proportion and never fails to elate. This sophistication of feelings which hovers in the no man land of psycho-philosophical fiction.

He has mastered the art of deploying the tool of novelistic inquiry to issues of his choosing and that has often led to a hugely satisfactory literary pay off.  His key works of the so called middle period are the foundation of his reputation. The Book of Laughter and Forgetting, The Unbearable Lightness of Being and Immortality will find place in any pantheon of great novels for the intensity of their inquiry, their amusement at the complication that grim realities of life throw at us. Despite their playfulness, irony and ponderous meditation these novels were and remain urgent due to their evident connection with the zeitgeist.

Blog - http://modernartists.blogspot.com/2015/11/milan-kundera-remains-pleasure-to-read.html

Show more...
3 years ago
13 minutes 58 seconds

Modern Masters
A contemplative take on stalwarts of modern cultural landscape. It will cover Modern Art, Music, Movies, Television.Abstract paintings to modern art; rock n roll to classical music . So onto Picasso, Matisse, Warhol, Jimi Hendrix, Jim Morrison, Janis Joplin, Yes Minister, BBC mysteries, Modernartists etc