अनन्त, जो आयु, समय से परै हैं बस हैं तो हर पल परिवर्तन ही परिवर्तन, हलचल बस अनन्त जिसमे कुछ न कुछ घटित होता रहता हैं जहाँ हर पल निर्माण- निर्वाण हैं वह अनन्त जिसे न नापा गया न नापा जा सकता हैं केवल अनुभव किया गया हैं वह अनन्त जो स्वयं भ्रम का जाल बुनता हैं वही अनन्त ब्रह्म बनता हैं कोटी-कोटि दुरी तक फैला, अपना आकर बडता तो कभी स्वयं सुकड़नै लगता हैं अनन्त का अंत नही , कोई हद नही ....
पर कौन कहता अनन्त को समझा नही जा सकता हैं कौन कहता हैं अनन्त को नही जाना जा सकता मेरी सोच मे निगाहों से देखने पर अनन्त की हद नही पर अनन्त को अपनी हद मे लाया जा सकता हैं वही तो अंहद योग हैं बस प्रयास की आवश्यकता हैं मेरा अनुभव कहता हैं जो हद मे लाया जा सकता हैं वह साकार रूप हैं और जिसे हद मे नही लाया जा सकता वह निराकार रूप ब्रह्म हैं दोनों को योग द्वारा प्रयोग मे लेने का सूत्र ही अंहद योग हैं आज के विज्ञान मे मे अनन्त को समझने मे आयु, और समय सबसे बड़ी बाधा हैं न मनुष्य के पास बड़ी आयु हैं न समय तो अनन्त को जानने का एक ही मार्ग बचत हैं एक ही सूत्र बचता हैं वह हैं अध्यात्म मार्ग जो अनन्त ब्रह्माण्ड को हद मे ला सकता हैं खोज का सूत्र प्रयासों पर टिकता हैं
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