धर्म,आयुर्वेद,ज्योतिष आध्यात्म चिन्तन, मोटिवेशन,नैचर, और भविष्यवाणी और भी बहुत कुछ पर, परमश्रद्धेय अंहदयोगी स्वामी हरिहर जी का चिंतन और मंथन जो आपका सच्चा मित्र बन मददगार हो सकता है
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अनहद का अर्थ है:- जिसका कोई हद न हो। अर्थात् जिसकी कोई सीमा न हो। यही कारण है कि अनहद शब्द का प्रयोग ब्रह्म या ईश्वर के लिए एक विशेषण के रूप में अनेक स्थानों पर किया जाता है।पर मेरी नज़र में अनहद की सीमा है और केवल योगी योग के माध्यम से अनहद को समझ सकता है वो ब्रहमांड जिसकी कोई हद नही..पर येागी उस ब्रहमांड को सिमित दायरे मे. ला सकते है यु तो वेद पुराण साक्षी है कि ब्रहमांड देह में ही बसता है यही नही देह मे करोडो ब्रहमांड बसते है तो योगी योग के माध्य से ब्रहमांड को चैतन कर सकता है चैतन ब्रहमांड ही ब्रह्म का ईश्वर साकार रूप है
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