आज वापसी का दिन है, न जाने क्यूँ पर आज मन अशांत है उसका, मिलन चाहती है सूरजमुखी से जो सहल दे उसका माथा, फेर दे सर पर प्रेम से भरा हाथ, हौले हौले कदमों से घर में दाखिल हुई,
लेकिन जिसका डर था, वही हुआ....
मैं आज भी उस सपने के सच होने के इंतज़ार में हूँ।