
श्लोक का निहितार्थ (सारांश):
श्रीकृष्ण कहते हैं कि जो व्यक्ति इस गीता के ज्ञान को दूसरों को बताएगा, वह मेरे लिए सभी मनुष्यों में सबसे प्रिय होगा। पृथ्वी पर ऐसा कोई अन्य व्यक्ति नहीं होगा जो मुझे उससे अधिक प्रिय हो।
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