आम ज़िन्दगी से जुड़ी हुई कहानियां। कुछ दुःख की कुछ सुख की बातें। कुछ संघर्ष के लिए हौसला बढ़ाने वाली । कुछ हास-परिहास से दिल को गुदगुदाने वाली। कभी ज्ञान कभी विज्ञान। हर तरह औऱ हर किस्म की कहानियां। कुछ जानी सी कुछ पहचानी सी।
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आम ज़िन्दगी से जुड़ी हुई कहानियां। कुछ दुःख की कुछ सुख की बातें। कुछ संघर्ष के लिए हौसला बढ़ाने वाली । कुछ हास-परिहास से दिल को गुदगुदाने वाली। कभी ज्ञान कभी विज्ञान। हर तरह औऱ हर किस्म की कहानियां। कुछ जानी सी कुछ पहचानी सी।
दांतों की साफ सफाई जरूरी है। लेकिन कुछ लोग इसे जानबूझकर खराब और गंदा करने पर तुले रहते हैं। पान गुटखा बीड़ी सिगरेट तो दाँतों के सबसे बड़े दुश्मन है। मगर कुछ लोग है जो खुद को दाँतों के शेर समझते हैं। किंतु जब दर्द होता है तो ढेर होते देर नहीं होती।
शराब आदमी को बर्बाद कर देती है। शराब का अत्यधिक सेवन एक शराबी के अंदर की मनुष्यता को खत्म कर उसे जानवर में तब्दील कर देता है। दुनिया की शैतानी ताकतों ने शायद इसे इरादे से आदमी को शराब बनाने का आईडिया दिया । एक शराब पीने आदमी यह नहीं जानता कि शराब के आनंद में वह खुद को जानवर बना रहा है। रूसी कथाकार लियो टॉलस्टॉय अपनी कहानी के जरिए यही समझा रहे हैं।
कुछ कलाकार अपने अतीत के सुखद और लोकप्रियता की याद में ही जीना चाहते हैं। तेजी से बदलती दुनिया से वे कुछ अपेक्षा या चाहत भी नहीं रखते और न फिट बैठते है। सिर्फ उन्हें एक एकांत चाहिए जहां वे अपनी पुरानी याद में कुछ पल जी कर खुश रह सकें उस पल जिंदा रह सकें।
ईदगाह के मेले में घूमने गए अनाथ और मासूम हामिद के पास सिर्फ तीन पैसे थे । वह चाहता तो इन पैसों से मिठाईयां खा सकता था खिलौने खरीद सकता था मगर उसने लिया क्या ?अपनी बूढ़ी दादी के लिए चिमटा ! आखिर क्यों ? यह जानने के लिए सुनिए प्रेमचंद की यह खूबसूरत कहानी जिसमें बाल मनोविज्ञान का सुंदर चित्रण है।
अष्टावक्र भले ही शरीर से अक्षम था मगर बुद्धि उसकी तेज थी। महर्षि उद्दालक के सानिध्य में रहकर उसने कम उम्र में ही वेद पुराण और विभिन्न शास्त्रों का अध्ययन कर लिया था। एक घटना के दौरान जब उसे अपने पिता की मौत का कारण पता चला तो उसने अपने पिता के कातिल से बदला लेने का संकल्प लिया! कौन था उसके पिता का कातिल? कैसा था उसका बदला?इसे जानने के लिए सुनिए यह कहानी।
मशहूर अफसाना निगार मंटो ,प्रसिद्ध लेखक कृष्ण चंदर के अच्छे दोस्त थे। और उन्होंने साथ-साथ काम किया था। मंटो की याद में लिखा उनका यह संस्मरण भावभिभोर कर देने वाला है।
उर्वशी और पुरुरवा की प्रेम कथा बड़ी अजीब थी। दोनों अलग-अलग दुनिया के थे। दोनों की संस्कृति भी अलग-अलग थी किन्तु दोनों में प्यार हो गया। दोनों अपनी जिद और जद्दोजहद से मिल तो गए। मगर मिलकर भी पूरी तरह मिल न सके। उर्वशी तो अपनी दुनिया अपने कार्य मे व्यस्त हो गई मगर बेचारा पुरुरवा मिलान की आशा में भटकता रहा। और मिलन के बस एक खास दिन का बेसब्री से इंतज़ार करता रहा।
हालांकि प्रेमचंद ने यह कहानी काफी व्यंग्यात्मक और हास्यपूर्ण ढंग से लिखी है परंतु इस कहानी के माध्यम से उनके कहने का यही मतलब है जिन्दगी के सही निर्वाह के लिए सिर्फ डिग्रीयां ही काफी नहीं होती आपको प्रैक्टिकल होना पड़ता है। और पढ़ाई का अर्थ सिर्फ किताबों को रट कर पास होना नहीं बल्कि किताबो के विषय का अभिप्राय समझना और आम जीवन में उस पढ़ाई का सदुपयोग करना है।
कहानी उस दौर की है जब दलितों के लिए किसी जल स्रोत से पानी भरना भी मुहाल था। अपने बीमार पति के लिए गंगी ने डरते हुये, चुपके से ठाकुर के कुआं से पानी भरना चाहा मगर अचानक ठाकुर ने उसे देख लिया। मजबूरन जोखु को गंदा बदबूदार पानी ही पीना पड़ा। एक जगह प्रेमचंद लिखते हैं कि गंगी चाहती तो उस गन्दे पानी को उबाल कर बीमार जोखु को पिला सकती थी। मगर स्वच्छ जल के लिए जोखिम उठाना ही उचित समझा। और शायद यही लाइन इस कहानी मुख्य आधार बिंदु है।
दरिद्रता एक आदत सी है। हल्कू यदि चाहता तो पूस की सर्द रात से बचने के लिए एक कंबल खरीद सकता था मगर वह ऐसा नही कर सका और जब नीलगायों से खेतों को बचाने की जरूरत थी तब वह आलास कर गया। जबकि उसके कुत्ते जबरा ने अपनी सारी तकलीफ भूल कर अपना कर्तव्य निभाया मगर उतना ही जितना उसके वश की बात थी।
सर रामन को उनके रामन एफ्फेक्ट्स की खोज के लिए 1930 में विज्ञान का नोबेल पुरस्कार मिला था। उन्होंने अपने रामन इफेक्ट्स के प्रयोगों के जरिये किसी पारदर्शी पदार्थ से गुजरने वाली प्रकाश किरणों के रंग परिवर्तन और उन पदार्थों की अंदरूनी संरचना का रहस्य सुलझया।
कभी कभी विपरीत परिस्थितियों में ताकत की बजाए अक्ल का उपयोग करना चाहिए। प्रस्तुत है एक पौराणिक कथा का तोड़ा मोड़ा गया अंश। और हाँ, इस कथा के सभी पात्र काल्पनिक हैं और घटनायें भी किन्तु यदि इस कथा का प्लॉट या चरित्र या घटनायें किसी हालिया घटना से मैच खा जाए तो इसमें लेखक का कोई कसूर नहीं !😊😊😊👺🙊🙉🙈😽🙀😾👹
एक मर्द पैरासाइट बन कर जीना नहीं चाहता वह लगतार अपनी जिजीविषा के लिए संघर्षरत रहता है लेकिन विनोद दा जैसे कुछ लोग हैं जो जीवन से हार चुके हैंअपने जीने का उद्देश्य खो चुके हैं! और यही विनोद दा की कहानी का निराशाजनक अन्त है।
अपने खूबसूरत रंग बिरंगेपन और सजावटी गुणों के कारण जरवेरा फूलों की मांग बहुत अधिक है। इस किस्म के फूल वर्ष भर उपलब्ध होते हैं। इन्ही कारणों से जरवेरा फूलों की खेती किसानो और उद्यमियों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।
आम ज़िन्दगी से जुड़ी हुई कहानियां। कुछ दुःख की कुछ सुख की बातें। कुछ संघर्ष के लिए हौसला बढ़ाने वाली । कुछ हास-परिहास से दिल को गुदगुदाने वाली। कभी ज्ञान कभी विज्ञान। हर तरह औऱ हर किस्म की कहानियां। कुछ जानी सी कुछ पहचानी सी।