लद्दाख दुनिया के सबसे चरम जलवायु वाले प्रदेशों में है। यहाँ के विषय में यह बात कि यहाँ घास भी नहीं उगती, कितनी सच है? लद्दाख यात्रा के साथ-साथ बतकही कई राज खोलती है
आज जब यूरोप में चरम दक्षिणपंथ के उभार की संभावनाएँ दिख रही हैं, एक बार फिर हिटलर को याद किया जाने लगा है। अखबारों में लेख आ रहे हैं, किताबें लिखी जा रही है, पत्रिकाओं में सचित्र विवरण आने लगे हैं। संभवतः अडोल्फ़ हिटलर को भुलाना यूरोप या दुनिया के लिए कभी मुमकिन न हो। कारण सिर्फ़ यह नहीं कि हिटलर एक निरंकुश तानाशाह था, बल्कि यह कि वह जनता द्वारा चुना गया और पसंद किया गया नेता था। उसने तख़्ता-पलट नहीं किया, बल्कि लोकतंत्र के माध्यम से गद्दी तक पहुँचा। वह लोकतंत्र की एक ऐसी संभावना है जो लोकतंत्र का ही गला घोंट सकती है। ऐसी संभावना से यूरोप या दुनिया का घबराना लाज़मी है।
गिरमिटिया वे लाखों लोग थे जिनको भारत से जहाज पर बिठा कर सुदूर द्वीपों पर ले जाया गए, और उनमें से कई आज तक भारत नहीं लौटे। आखिर कौन थे ये गिरमिटिया, और क्यों कहा जाता है उन्हें गिरमिटिया? सुनें प्रवीण कुमार झा की पुस्तक ‘कुली लाइंस’ से एक अंश
एलन मस्क 2025 में दुनिया के सबसे ताकतवर लोगों में शुमार हैं, लेकिन कभी वह दक्षिण अफ्रीका में एक कमजोर बच्चे की तरह बड़े हो रहे थे जिनके पिता उनको स्टुपिड बुलाते। किस तरह मस्क ने यह सीढ़ियाँ चढ़ी, और कैसे वह कर दिखाया जो बचपन से उनका स्वप्न था। किस तरह उनके अंदर राजनीतिक बदलाव आए, और कैसे उन्होंने व्यवसायों में सफलता पायी। वाल्टर आइजकसन की लिखी जीवनी पर आधारित यह पॉडकास्ट
चीन भारत का निकटतम पड़ोसी देश है, जिसकी भारत के साथ सबसे लंबी सीमा है। फिर भी चीन के विषय में भारतीयों का ज्ञान सीमित है। हालाँकि इसकी राजनीतिक वजह भी है, लेकिन चीन के इतिहास से गुजरते हुए भारत से जुड़े कई तार मिल जाते हैं।
चीन भारत का निकटतम पड़ोसी देश है, जिसकी भारत के साथ सबसे लंबी सीमा है। फिर भी चीन के विषय में भारतीयों का ज्ञान सीमित है। हालाँकि इसकी राजनीतिक वजह भी है, लेकिन चीन के इतिहास से गुजरते हुए भारत से जुड़े कई तार मिल जाते हैं।
चीन भारत का निकटतम पड़ोसी देश है, जिसकी भारत के साथ सबसे लंबी सीमा है। फिर भी चीन के विषय में भारतीयों का ज्ञान सीमित है। हालाँकि इसकी राजनीतिक वजह भी है, लेकिन चीन के इतिहास से गुजरते हुए भारत से जुड़े कई तार मिल जाते हैं।
चीन भारत का निकटतम पड़ोसी देश है, जिसकी भारत के साथ सबसे लंबी सीमा है। फिर भी चीन के विषय में भारतीयों का ज्ञान सीमित है। हालाँकि इसकी राजनीतिक वजह भी है, लेकिन चीन के इतिहास से गुजरते हुए भारत से जुड़े कई तार मिल जाते हैं।
चीन भारत का निकटतम पड़ोसी देश है, जिसकी भारत के साथ सबसे लंबी सीमा है। फिर भी चीन के विषय में भारतीयों का ज्ञान सीमित है। हालाँकि इसकी राजनीतिक वजह भी है, लेकिन चीन के इतिहास से गुजरते हुए भारत से जुड़े कई तार मिल जाते हैं।
चीन भारत का निकटतम पड़ोसी देश है, जिसकी भारत के साथ सबसे लंबी सीमा है। फिर भी चीन के विषय में भारतीयों का ज्ञान सीमित है। हालाँकि इसकी राजनीतिक वजह भी है, लेकिन चीन के इतिहास से गुजरते हुए भारत से जुड़े कई तार मिल जाते हैं।
चीन भारत का निकटतम पड़ोसी देश है, जिसकी भारत के साथ सबसे लंबी सीमा है। फिर भी चीन के विषय में भारतीयों का ज्ञान सीमित है। हालाँकि इसकी राजनीतिक वजह भी है, लेकिन चीन के इतिहास से गुजरते हुए भारत से जुड़े कई तार मिल जाते हैं।
चीन भारत का निकटतम पड़ोसी देश है, जिसकी भारत के साथ सबसे लंबी सीमा है। फिर भी चीन के विषय में भारतीयों का ज्ञान सीमित है। हालाँकि इसकी राजनीतिक वजह भी है, लेकिन चीन के इतिहास से गुजरते हुए भारत से जुड़े कई तार मिल जाते हैं।
चीन भारत का निकटतम पड़ोसी देश है, जिसकी भारत के साथ सबसे लंबी सीमा है। फिर भी चीन के विषय में भारतीयों का ज्ञान सीमित है। हालाँकि इसकी राजनीतिक वजह भी है, लेकिन चीन के इतिहास से गुजरते हुए भारत से जुड़े कई तार मिल जाते हैं।
चीन भारत का निकटतम पड़ोसी देश है, जिसकी भारत के साथ सबसे लंबी सीमा है। फिर भी चीन के विषय में भारतीयों का ज्ञान सीमित है। हालाँकि इसकी राजनीतिक वजह भी है, लेकिन चीन के इतिहास से गुजरते हुए भारत से जुड़े कई तार मिल जाते हैं।
मुक्केबाज़ मुहम्मद अली कभी कैशियस क्ले जूनियर हुआ करते थे। किस तरह यह काला अमरीकी कभी राष्ट्रद्रोही कहा गया, और किस तरह उसने ओलंपिक स्वर्ण जीतने से लेकर हैवीवेट चैंपियन बनने की यात्रा की। एक चिर विद्रोही जो अपने देश ही नहीं, दुनिया का चहेता बन गया
रोम शहर को मलबों का शहर कहा जा सकता है। इतिहास पर लगी चिप्पियों का शहर। इस पॉडकास्ट में उसी शहर की एक यात्रा
लॉर्ड्स का मैदान अपने साथ क्रिकेट की कई कहानियाँ समेटे हुए है। चाहे वह कपिल देव का विश्व कप उठाना हो या सौरव गांगुली का टीशर्ट लहराना। चलते हैं आज लॉर्ड्स की उसी मुंडेर पर
लॉर्ड मकाले का एक भाषण Minutes on Education (1835) खासा प्रचलित और विवादित रहा। इसे अक्सर भारतीय शिक्षा व्यवस्था में ऐसे बदलाव की तरह देखा जाता है जिसने भारतीयों में अंग्रेज़ीयत ला दी, या हीन-भावना ला दी। आज सुनते हैं उस मूल भाषण का हिंदी सरल अनुवाद
राज मोहन भारतीय-सूरीनाम मूल के गायक हैं, जो सरनामी भोजपुरी की गायकी में नया आयाम रच रहे हैं। 2018 में उनके साथ एक बातचीत रिकॉर्ड की थी
अरब में तेल की खोज और फ़िलिस्तीन में यहूदियों का प्रवास एक साथ घट रही थी, और पश्चिमी शक्तियों की दखल ने समीकरण अलग बना दिए थे। इस आखिरी एपिसोड में उसी पर बात।