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Pratidin Ek Kavita
Nayi Dhara Radio
951 episodes
23 hours ago
कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।
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कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।
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Prarthna | Antonio Rinaldi | Translation - Dharamvir Bharti
Pratidin Ek Kavita
1 minute
2 weeks ago
Prarthna | Antonio Rinaldi | Translation - Dharamvir Bharti

प्रार्थना। अन्तोन्यो रिनाल्दी

अनुवाद : धर्मवीर भारती


सई साँझ

आँखें पलकों में सो जाती हैं


अबाबीलें घोसलों में

और ढलते दिन में से आती हुई


एक आवाज़ बतलाती है मुझे

अँधेरे में भी एक संपूर्ण दृष्टि है


मैं भी थक कर पड़ रहा हूँ

जैसे उदास घास की गोद में


फूल

धूप के साथ सोने के लिए


हवा हमारी रखवाली करे—

हमें जीत ले यह आस्मान की


निचाट ज़िंदगी जो हर दर्द को धारण करती है


Pratidin Ek Kavita
कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।