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Pratidin Ek Kavita
Nayi Dhara Radio
950 episodes
1 day ago
कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।
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कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।
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Kahan Tak Waqt Ke Dariya Ko | Shahryar
Pratidin Ek Kavita
2 minutes
1 week ago
Kahan Tak Waqt Ke Dariya Ko | Shahryar

कहाँ तक वक़्त के दरिया को । शहरयार


कहाँ तक वक़्त के दरिया को हम ठहरा हुआ देखें


ये हसरत है कि इन आँखों से कुछ होता हुआ देखें

बहुत मुद्दत हुई ये आरज़ू करते हुए हम को


कभी मंज़र कहीं हम कोई अन-देखा हुआ देखें

सुकूत-ए-शाम से पहले की मंज़िल सख़्त होती है


कहो लोगों से सूरज को न यूँ ढलता हुआ देखें

हवाएँ बादबाँ खोलीं लहू-आसार बारिश हो


ज़मीन-ए-सख़्त तुझ को फूलता-फलता हुआ देखें

धुएँ के बादलों में छुप गए उजले मकाँ सारे


ये चाहा था कि मंज़र शहर का बदला हुआ देखें

हमारी बे-हिसी पे रोने वाला भी नहीं कोई


चलो जल्दी चलो फिर शहर को जलता हुआ देखें

Pratidin Ek Kavita
कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।