यदि कोई पुलिस अधिकारी आपकी शिकायत स्वीकार नहीं करता है तो आप अपनी शिकायत लिखकर पुलिस अधीक्षक को भेज सकते हैं।
एक बार जब आपने अपराध की सूचना एफआइआर दर्ज करके दे दी, तो इसके बाद प्रभारी अधिकारी को यह रिपोर्ट मजिस्ट्रेट को भेजनी होगी, जो बिना किसी अनावश्यक देरी के मामले पर ध्यान देंगे और जांच को आगे बढ़ाएंगे।
यदि आप निम्नलिखित में से किसी अपराध के बारे में जानकारी देना चाहते हैं तो ऐसी जानकारी किसी महिला पुलिस अधिकारी या किसी अन्य महिला अधिकारी को ही दर्ज करानी होती है:
किसी भी पुलिस थाने में एफआइआर दर्ज की जा सकती है।
यदि कोई अपराध हुआ हो तो:
आप एफआइआर दर्ज कर सकते हैं यदि आप:
Yes, if the review or critique of any public material or performance was made in good faith, then it is not considered an act of defamation.
If you print or engrave something you know is defamatory to a person’s reputation, the court can punish you with jail time of up to 2 years and/or with a fine. Generally, newspapers are prosecuted under this provision.
To prove a defamation case, you have to show the following things:
If you say or write something to insult the reputation of a person, group of people or a company, a court can punish you for defamation.
Saying or writing something harmful to a person’s reputation is defamation.
आप, ‘भरण-पोषण न्यायधिकरण’ (मेंटीनेन्स ट्रिब्यूनल) में ‘माता पिता और वरिष्ठ नागरिक के भरण-पोषण एवं देखभाल’ अधिनियम, 2007 के तहत अर्जी दे सकते हैं।
अपने संतानों या रिश्तदारों को, मासिक आधार पर अस्थायी भरण-पोषण का भुगतान करने का आदेश देने के लिए, आप न्यायालय में अर्जी दे सकते हैं।
‘आपराधिक प्रक्रिया संहिता’ की धारा 125 के तहत यदि पर्याप्त संसाधनों वाला कोई व्यक्ति अपने माता-पिता को, जो अपने भरण-पोषण के लिये स्वयं को असमर्थ पाते हैं,
जैविक/दत्तक माता-पिता जो हिंदू, बौद्ध, जैन या सिख हैं और वृद्ध हैं
भरण-पोषण के तौर पर दी जाने वाली कोई मानक राशि नहीं है।
यदि आप किसी वरिष्ठ नागरिक को किसी स्थान पर छोड़ देते हैं परित्याग करने के विचार से
भारतीय कानून के अनुसार, परिस्थितियों के आधार पर, सभी व्यक्तियों को अपने माता-पिता के भरण-पोषण और आश्रय की जिम्मेदारी लेना आवश्यक है, चाहे वो उनके जैविक माता-पिता हों, सौतेले हों, या दत्तक हों।
माता-पिता के भरण-पोषण का कर्तव्य किसी व्यक्ति के लिये, स्वयम् के मृत्यु के बाद भी रहती है।
यदि कोई छात्र किसी अन्य छात्र की रैगिंग करते पकड़ा जाता है, तो उसे दंडित किया जा सकता है।