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Movies Philosophy
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100 episodes
2 months ago
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Sholay: Full Movie Recap, Iconic Dialogues & Story Explained in Hindi
Movies Philosophy
6 minutes 57 seconds
2 months ago
Sholay: Full Movie Recap, Iconic Dialogues & Story Explained in Hindi
मूवीज़ फिलॉसफी में आपका स्वागत है! नमस्ते दोस्तों, स्वागत है हमारे पॉडकास्ट 'मूवीज़ फिलॉसफी' में, जहां हम भारतीय सिनेमा की गहराइयों में उतरते हैं और उन कहानियों को जीवंत करते हैं जो हमारे दिलों को छू जाती हैं। आज हम बात करेंगे 1975 की एक ऐतिहासिक फिल्म 'दीवार' की, जिसने न केवल बॉलीवुड को एक नया आयाम दिया, बल्कि अमिताभ बच्चन को 'एंग्री यंग मैन' की पहचान भी दिलाई। यह फिल्म दो भाइयों की कहानी है, जो अलग-अलग रास्तों पर चलते हैं—एक अपराध की दुनिया में, दूसरा कानून की राह पर। तो चलिए, इस भावनात्मक और संघर्ष से भरी कहानी को फिर से जीते हैं। परिचय: दो भाइयों की कहानी, दो अलग रास्ते 'दीवार' एक ऐसी फिल्म है जो परिवार, बलिदान, और नैतिकता की जटिलताओं को बखूबी दर्शाती है। यह विजय वर्मा (अमिताभ बच्चन) और रवि वर्मा (शशि कपूर) की कहानी है—दो भाई, जो एक ही माँ की कोख से जन्मे, लेकिन जिनकी नियति ने उन्हें एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा कर दिया। फिल्म की शुरुआत एक ट्रेड यूनियनिस्ट पिता आनंद वर्मा (सत्येन कप्पू) की कहानी से होती है, जो अपने परिवार को बचाने के लिए अपने सिद्धांतों से समझौता करता है, लेकिन फिर भी उसे अपमान और तिरस्कार का सामना करना पड़ता है। इस अपमान का बोझ विजय और रवि की माँ सुमित्रा (निरूपा रॉय) और दोनों भाइयों पर पड़ता है। मुंबई की सड़कों पर फुटपाथ के नीचे रहते हुए, सुमित्रा अपने बच्चों को अकेले पालती है। विजय, बड़ा भाई होने के नाते, अपने पिता की बेइज्जती का दंश झेलता है। उसे हर कदम पर ताने सुनने पड़ते हैं—*"मेरा बाप चोर है!"*—यह शब्द उसके दिल में चुभते हैं और उसे एक ऐसी राह पर ले जाते हैं, जहां वह अपने भाग्य को खुद लिखने का फैसला करता है। दूसरी ओर, रवि एक ईमानदार और कानून का पक्का इंसान बनता है, जो पुलिस की वर्दी पहनकर अपने परिवार का नाम रोशन करना चाहता है। लेकिन नियति का खेल देखिए, रवि को अपने ही भाई विजय को पकड़ने का जिम्मा सौंपा जाता है। कहानी: संघर्ष, बलिदान और टकराव फिल्म की कहानी मुंबई की गलियों से शुरू होती है, जहां विजय और रवि की माँ उन्हें तमाम मुश्किलों के बीच पालती है। विजय, जो बचपन में जूते पॉलिश करता है, बड़ा होकर डॉकयार्ड में काम करने लगता है। लेकिन वहां भी उसे अन्याय का सामना करना पड़ता है। वह गुंडों की धमकियों को ठुकरा देता है और उनकी पिटाई कर देता है। इसी दौरान वह अंडरवर्ल्ड की दुनिया में कदम रखता है। एक बार जब वह समंत (मदन पुरी) के गुंडों को हराता है, तो समंत का प्रतिद्वंद्वी दावर (इफ्तेखार) उसे अपने लिए काम करने का ऑफर देता है। विजय अपनी चतुराई से दोनों को खेलता है—वह समंत को दावर की सोने की खेप की जानकारी देता है, फिर समंत से पैसे लेकर सोना चुरा लेता है और दावर को सौंप देता है। इस चालाकी से वह रातों-रात अमीर बन जाता है और अपनी माँ और भाई के लिए एक शानदार बंगला खरीदता है। लेकिन उसकी माँ इस बंगले को ठुकरा देती है, क्योंकि वह जानती है कि यह पैसा गलत रास्ते से आया है। विजय का यह रास्ता उसे अपराध की गहराइयों में ले जाता है। वह दावर का विश्वास जीत लेता है और उसकी पूरी जिम्मेदारी संभाल लेता है। लेकिन उसका दिल हमेशा अपनी माँ और भाई के लिए धड़कता है। एक सीन में वह अपनी माँ से कहता है, *"आज मेरे पास बंगला है, गाड़ी है, पैसा है... तुम्हारे पास क्या है?"* और माँ का जवाब होता है, *"मेरे पास रवि है।"* यह डायलॉग फिल्म का सबसे भावनात्मक पल है, जो विजय के अंदर की पीड़ा और माँ की ईमानदारी को दर्शाता है। दूसरी ओर, रवि अपनी मेहनत और लगन से पुलिस में सब-इंस्पेक्टर बनता है। उसकी प्रेमिका वीरा (नीतू सिंह) और उसके पिता उसे हर कदम पर साथ देते हैं। लेकिन जब रवि को पता चलता है कि उसे अपने ही भाई को पकड़ना है, तो उसका दिल टूट जाता है। वह विजय से आत्मसमर्पण करने की गुहार लगाता है, लेकिन विजय कहता है, *"मैंने जिंदगी भर अन्याय सहे हैं, अब मैं कानून के सामने नहीं झुकूंगा।"* यह डायलॉग विजय के गुस्से और उसकी जिद को बयान करता है। चरमोत्कर्ष: भाई-भाई का टकराव और ट्रैजेडी फिल्म का चरमोत्कर्ष तब आता है, जब रवि को अपने कर्तव्य और परिवार के बीच चुनाव करना पड़ता है। एक घटना में, वह एक गरीब बच्चे को रोटी चुराने के लिए गोली मार देता है। जब वह उस बच्चे के परिवार से माफी मांगने जाता है, तो बच्चे के पिता (ए.के. हंगल) कहते हैं, *"चोरी चाहे एक लाख की हो या रोटी की, चोरी तो चोरी है।"* यह डायलॉग रवि को प्रेरित करता है कि वह अपने कर्तव्य से पीछे न हटे। विजय की जिंदगी में एक नया मोड़ आता है, जब वह अनीता (परवीन बाबी) से मिलता है और उसे प्यार हो जाता है। अनीता उसे बताती है कि वह उसके बच्चे की माँ बनने वाली है। विजय, जो नहीं चाहता कि उसके बच्चे को भी *"मेरा ब
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