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Dangal: Full Movie Recap, Iconic Quotes & Hidden Facts in Hindi Dangal: Full Movie Recap, Iconic Quotes & Hidden Facts in Hindi
Movies Philosophy
7 minutes 44 seconds
3 months ago
Dangal: Full Movie Recap, Iconic Quotes & Hidden Facts in Hindi Dangal: Full Movie Recap, Iconic Quotes & Hidden Facts in Hindi
https://moviesphilosophy.com/haider-full-movie-recap-iconic-quotes-hidden-facts-in-hindi/
Dangal movie full story in Hindi
मूवीज़ फिलॉसफी में आपका स्वागत है!
निर्देशक
“Dangal” का निर्देशन नितेश तिवारी ने किया है। वे अपनी कहानी कहने की अनूठी शैली और मजबूत पात्रों के लिए जाने जाते हैं।
मुख्य कलाकार
इस फिल्म में आमिर खान, फातिमा सना शेख, सान्या मल्होत्रा, साक्षी तंवर, और अपारशक्ति खुराना ने मुख्य भूमिकाएँ निभाई हैं। आमिर खान ने महावीर सिंह फोगाट का दमदार किरदार निभाया है।
कहानी की पृष्ठभूमि
“Dangal” की कहानी महावीर सिंह फोगाट पर आधारित है, जो अपने बेटियों गीता और बबीता को कुश्ती में प्रशिक्षित कर उन्हें विश्व स्तर पर पहचान दिलाते हैं। यह फिल्म महिला सशक्तिकरण और दृढ़ निश्चय की प्रेरणात्मक कहानी है।
संगीत
फिल्म का संगीत प्रीतम ने दिया है, और इसके गाने जैसे “धाकड़” और “गिलहरियां” काफी लोकप्रिय हुए हैं।
रिलीज और सफलता
“Dangal” 2016 में रिलीज हुई थी और इसे आलोचकों और दर्शकों से व्यापक प्रशंसा मिली। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त हिट रही और कई पुरस्कार भी जीते।
नमस्ते दोस्तों, स्वागत है हमारे पॉडकास्ट ‘मूवीज़ फिलॉसफी’ में, जहां हम भारतीय सिनेमा की उन कहानियों को जीते हैं, जो हमें प्रेरणा देती हैं, रुलाती हैं और हंसाती हैं। आज हम बात करेंगे एक ऐसी फिल्म की, जिसने न सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचाया, बल्कि हर भारतीय के दिल में एक खास जगह बनाई। जी हां, हम बात कर रहे हैं आमिर खान की सुपरहिट फिल्म ‘दंगल’ की। यह फिल्म सिर्फ कुश्ती की कहानी नहीं, बल्कि एक पिता की जिद, बेटियों की हिम्मत और सपनों को हकीकत में बदलने की जंग की कहानी है। तो चलिए, इस प्रेरणादायक सफर पर चलते हैं और जानते हैं कि कैसे हरियाणा के एक छोटे से गांव से निकली दो बेटियां पूरी दुनिया में भारत का नाम रौशन करती हैं।
परिचय: एक पिता का अधूरा सपना
‘दंगल’ की कहानी शुरू होती है हरियाणा के बलाली गांव से, जहां महावीर सिंह फोगाट (आमिर खान) एक पहलवान हैं। महावीर, जो खुद एक राष्ट्रीय चैंपियन रह चुके हैं, का सपना है कि वह भारत के लिए ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतें। लेकिन भारतीय पहलवानी में संस्थागत समर्थन की कमी और अपने पारंपरिक पिता के दबाव के चलते उन्हें कुश्ती छोड़कर नौकरी करनी पड़ती है। कुश्ती ने उन्हें इज्जत और शोहरत तो दी, लेकिन पैसा नहीं। एक दिन ऑफिस में टीवी पर ओलंपिक देखते हुए वह भारत की कुश्ती में कमजोर स्थिति से निराश हो जाते हैं। तभी एक नया कर्मचारी (विवान भटेना) उन्हें कुश्ती के लिए चुनौती देता है, और महावीर उसे हरा देते हैं। लेकिन उनका सपना अब भी अधूरा है। वह ठान लेते हैं कि उनका बेटा उनके सपने को पूरा करेगा। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। उनकी पत्नी दया शोभा कौर (साक्षी तंवर) चार बेटियों को जन्म देती हैं – गीता, बबीता, रितु और संगीता। महावीर का सपना टूट जाता है, क्योंकि वह मानते हैं कि बेटियां कुश्ती नहीं लड़ सकतीं। वह अपने सारे मेडल और कुश्ती का सामान एक ट्रंक में बंद कर देते हैं।
कहानी: बेटियों में दिखी कुश्ती की चिंगारी
कई साल बीत जाते हैं। गीता (फातिमा सना शेख) और बबीता (सान्या मल्होत्रा) अब किशोरावस्था में हैं। एक दिन पड़ोस के दो लड़के उन पर भद्दी टिप्पणी करते हैं, और गीता-बबीता उन लड़कों को बुरी तरह पीट देती हैं। जब यह बात महावीर को पता चलती है, तो उनकी आंखों में एक नई उम्मीद जागती है। वह समझ जाते हैं कि उनकी बेटियों में कुश्ती का जुनून और ताकत है। वह कहते हैं, “सोना तो सोना होता है, चाहे लड़का जीते या लड़की!” यह डायलॉग फिल्म का एक अहम मोड़ है, जो दर्शाता है कि महावीर अब लिंग भेद को तोड़कर अपनी बेटियों को पहलवान बनाने की ठान चुके हैं।
महावीर अपनी पत्नी दया से एक साल का समय मांगते हैं। वह कहते हैं, “दया, बस एक साल दे दो, अगर मैं इनको पहलवान न बना सका, तो जिंदगी भर अपने सपने को भूल जाऊंगा।” दया अनमने मन से हामी भरती हैं। इसके बाद महावीर गीता और बबीता को कठोर प्रशिक्षण देना शुरू करते हैं। सुबह-सुबह कसरत, मिट्टी में कुश्ती, और सख्त डाइट – सब कुछ इतना कठिन कि बेटियां तंग आ जाती हैं। जब उनके बाल मिट्टी में खराब हो जाते हैं, तो महावीर उनके बाल कटवा देते हैं। घर के काम छुड़वाकर सिर्फ कुश्ती पर ध्यान लगाने को कहा जाता है। स्थानीय अखाड़ों में बेटियों को प्रवेश नहीं मिलता, तो महावीर अपने खेत में ही कुश्ती का पिट बनाते हैं। वह अपने भतीजे ओमकार (अपारशक्ति खुराना) को बुलाते हैं ताकि बेटियां उसके साथ अभ्यास कर सकें। लेकिन बेटियां अपने पिता की इस सख्ती से नाराज हैं। वे चुपके से मसालेदार खाना खाती हैं, अलार्म बदल देती हैं, और ठीक से अभ्यास नहीं करतीं।
भावनात्मक मोड़: पित