महाभारत युद्ध का अंत तो हो गया लेकन भागवत गीता इस विश्व को दे गया ! श्रीकृष्ण युद्ध के मैदान को छोड़ने से पूर्व संजय को मिलते हैं उनके दिव्य नेत्रों को वापस लेते हैं , संजय युद्ध का उदेशय श्रीकृष्ण से जब जानना चाहते हैं तो प्रभु उन्हे विस्तार से कौरव ओर पांडव को इंसान की इंद्रिय बताते हैं लोभ स्वाद गंध जीवहया को उलेखित कर गीता का सार बताते हैं !
महाभारत युद्ध के रचियाता युद्ध के आखिरी दिन अश्वतहामा के वार से उतरा के गर्भ मे अभिमन्यु के वंश को बचा लेते हैं ! अश्वतहामा अपनी पराजय स्वीकार कर युद्धभूमि को छोड़ देता है !भीष्म पितामह मिरत्यु के लिए बाड़ों की शया पर अभी भी लेटे हैं , श्री कृष्ण पितामह के समीप जाते हैं पितामह उन्हे देखकर प्रसन होते हैं ओर कृष्ण से संवाद करते हैं !प्रभु उन्हे राम जन्म से अपने द्वापर युग के सारे रूप ओर कारण बताते हैं !
युद्ध का सत्रहवाँ दिन पाँडव सेना का लिए सबसे ज्यादा विध्वंसक रहा , अश्वतहामा ने रात के अंधेरे मे अपने पिता का बदला लेने के लिए सोते हुए पांडव व शिविर मे सेनिकों पर आक्रमण कर दिया , भगवान कृष्ण ने पांडव का स्थान परिवर्तित कर दिया था जिससे वो बच गए लेकिन द्रोपदी पुत्र मारे गए !दर्योधन ने अपने प्राण त्याग दिए !अश्वतहामा की खोज मे पांडव निकल पड़े !भगवान कृष्ण ने अर्जुन को युद्ध का सार उपदेशीत किया
सोलहवाँ दिन महाभारत का सबसे गतिविधियों भरा था आज ही के दिन युधिसठर शल्य का वध कर देते हैं ! श्री कृष्ण भीम को उनकी शपथ याद दिलाते हैं की उन्हे दुर्योधन की जांघ तोड़नी है !गांधारी दुर्योधन को अपने सतीत्व के वरदान का उपयोग करने को उसको आदेश देती है की वो निर्वस्त्र स्नान करके उसके समुख प्रसतूत हो जाए !श्रीकृष्ण चालाकी से दुर्योधन को भ्रमित कर देते हैं ओ अपना निचला हिस्सा पत्तों से ढक लेता है , गांधारी उसे देखती है ओर कहती है ये किया पुत्र मैने तुम्हें निर्वस्त्र आने को कहा था अब तुम अमरत्व को प्राप्त नहीं हो सकते !भीम दुर्योधन की जांघ पर गदा से वर कर अपनी प्रतिज्ञा पूरी करते हैं !
अभिमन्यु की मृत्यु से अर्जुन बुरी तरह विचलित थे वो कौरव सेना का सम्पूर्ण विनाश करना चाहते थे युद्ध के पन्द्रहवे दिन भीम ने दुशासन का लहू उसकी छाती से निकाल कर पांचाली को भेज दिया ! अर्जुन ने महाबली कर्ण का वध कर दिया !द्रोपदी शिविर मे आज काफी शांत थी , कहीं न कहीं उसे अपमान का बदला मिल गया !दुर्योधन अभी भी जीवित था !
महाभारत युद्ध का चौदहवाँ दिन सबसे बड़ा दिन था पांडव सेना कौरव सेना के सभी चक्रविहयु तोड़ रही थी !अर्जुन जैद्रथ को तलाश रहे थे !भीम पुत्र घटोकच के आक्रमण से घबरा कर कर्ण उसे अपने दिव्य अस्त्र से मार देता है !द्रोण को मारने के लिए धर्मराज युधिसठर बोलते हैं "अश्वतहामा मारा गया >>>श्रीकृष्ण ढोल बजवाते हैं गुरु द्रोण पूरा वाक्य सुन नहीं पाते पांडव उनकी हत्या कर देते हैं !जैद्रथ को मारने के लिए श्रीकृष्ण सूरज को ढक देते हैं जैद्रथ बाहर निकल आता है ,अर्जुन उसका वाढ कर अपनी प्रतिज्ञा पूरी करते हैं।
महाभारत के युद्ध मे सबसे बड़ा अधरम कर्ण ने किया जब वीर अभिमन्यु चक्रविहयु मे फसा हुआ था तो भी ओ बड़ी बहादुरी से युद्ध कर रहा था ,लेकिन गुरु द्रोण के कहने पर उसने अभिमन्यु को पीछे से वार कर घायल कर दिया ओर अंत मे उसके ऊपर चारों तरफ से प्रहार कर मिरत्यु के हवाले कर दिया !कृष्ण ने कर्ण की दानवीरता के अध्याय को सबसे बड़ा अधरमी बना दिया !
महाभारत युद्ध के इस DIN अधरम का बोलबाला रहा , कर्ण ने पीछे से अभिमन्यु पर वार किया ,दूसरी ओर युधिस्थर को घेर कर बंदी बनाने के योजना मे छल का प्रयास किया गया !युद्ध के अंत मे श्री कृष्ण को यकीन था की अभिमन्यु का आज आखिरी दिन था ,वो सुभद्रा से मिलने शिविर को बढ चले !पांडव अपनी योजना बना रहे थे ओर दुर्योधन शिविर मे बेचैन बैठ लाशों को गिन रहा था
दसवें दिन के युद्ध के पश्चात भीष्म का स्थान लेने गुरु द्रोण को कौरव सेनापति बनाया जाता है ! गुरु द्रोण अंतर्मन से पांडव के साथ थे और वे युद्ध मे उन्हें नहीं मारना चाहते थे ! वे दृयोधन के कहने पर युधिसठर कोजिंदा पकड़कर बंदी बनाने की योजना बनाते हैं लेकिन अर्जुन अचानक वहाँ पहुँच जाते हैं ओर गुरु द्रोण के इरादे कामयाब नहीं हो पाते ! कर्ण इस दुविधा मे था की वो अभिमन्यु को धोके से कैसे मारे ओर क्यों मारे .
महाभारत युद्ध के दस दिनों के पश्चात भीष्म पितामह ने अर्जुन को अपनी मिरत्यु के विषय मे बताया की यदि शिखंडी को उनके सामने युद्ध के लिए भेजा गया तो वो किन्नेर पर हथियार नहीं चलाएंगे ! पांडव ओर श्री कृष्ण ने दसवें दिन यही किया ! अर्जुन अपने रथ पर शिखंडी को आगे खढ़ा कर पीछे से भीष्म पर बाड़ों की बओछार कर देते हैं !
युद्ध के नवें दिन पांडव सेना भीष्म पितामह के वध के लिए आतुर होती है किन्तु भीष्म अर्जुन का रथ तोड़ देते हैं ! श्री कृष्ण ये देखकर क्रोधित हो जाते हैं और रथ के पहिये को अपनी अनुगली से उठाकर पितामह की ओर लपकते हैं ! अर्जुन कृष्ण को शस्त्र न उठाने की प्रतिज्ञा याद दिलाते हैं !
युद्ध संपाती के पश्चात पांडव भीष्म के शिविर मे जाकर उनसे उनकी मिरत्यु के उपाय को पूछते हैं !भीष्म को इकछा मिरत्यु का वरदान प्राप्त था
इस एपिसोड मे अर्जुन के दूसरे पुत्र इरावन के पराक्रम ओर उसकी माता उलूपई के विषय मे बताया गया है ! कृष्ण अर्जुन को कर्म के उपरांत फल के परिणाम की चिंता नहीं करने को कहते हैं ! गांधारी और धृतरास्टर अपनी करनी पर आँसू बाहतें हैं
महाभारत युद्ध के सातवाँ दिन दोनों पक्षों के लिए बराबरी पर था लेकिन कर्ण युद्ध के मध्य कुंती का मिलन ओर उसको दिया हुआ वचन याद करने लगता है ! कर्ण अपनी पूरी शक्ति से युद्ध नहीं लड़ पाता , श्री कृष्ण इस बात को जानते थे !
कौरव सेना अभिमान से भरी हुई थी पर अभिमन्यु के सामने साहस नहीं दिखा पाई !
ये महाभारत युद्ध की छ ठे दिन की कहानी है , अभिमन्यु बड़ी वीरता से लड़ता है , कर्ण गुरु डोरण के कहने पर उसके रथ पर पीछे से प्रहार कर अधर्म का परिचय देता है ! महल मे गांधारी ओर पांडव शिविर मे द्रोपदी चिंतित हैं !श्री कृष्ण अपनी बहन एवं अर्जुन की पत्नी सु भ धरा को जन्म ओर मरत्यु का सत्य बताते हैं।! युद्ध के छठे दिन दिरसतदयुम का सारथी मार जाता है
This is the story of the sixth day of the Mahabharata war, Abhimanyu fights with great valor, Karna, at the behest of Guru Doran, shows his unrighteousness by striking his chariot from behind. Gandhari in the palace and Draupadi in the Pandava camp are worried! Shri Krishna tells the truth of birth and death to his sister and Arjuna's wife Subha Dhara. On the sixth day of the battle, the charioteer of Dirsatdayum is killed.
This is the story of fifth day of the Mahabharat Yudh, Bhism and Guru Drona constituted the Makar Vihuyu to tap Abhimanyu, The Bhumisharva killed 10 sons of Satikya . The Arjun was helpless as he and Pandavas could not kill Duryodhan even 5 th day of the war.
यह महाभारत युद्ध के पांचवें दिन की कहानी है, भीष्म और गुरु द्रोण ने अभिमन्यु को टैप करने के लिए मकर विहुयु का गठन किया, भूमिशर्वा ने सातिक्य के 10 पुत्रों को मार डाला। अर्जुन असहाय था क्योंकि वह और पांडव 5वें दिन भी दुर्योधन को नहीं मार सके
अर्जुन युद्ध करने से मना करते हैं , अपने ही भाइयों का खून कैसे बहाऊँ , श्री कृष्ण उन्हे आत्मा के आजार अमर होने का उपदेश देते हैं ओर समझाते हैं अधर्मी किसी क्षमा के यौग्य नहीं हो सकते इसलिए अपना गाँडीव उठाओ ओर युद्ध करो ! अर्जुन भीष्म पितामह से युद्ध के लिए तैयार हो जाते हैं !
Arjuna refuses to fight, how can I shed the blood of my own brothers, Shri Krishna instructs him to be immortal in the form of soul and explains that the unrighteous cannot be worthy of any forgiveness, so pick up your Gandiva and fight! Arjuna gets ready for battle with Bhishma Pitama
ये महाभारत युद्ध के 18 दिन के कौरव ओर पांडव युद्ध के बीच की अनजानी घटना को बताती है !दोनों ही पक्षों मे धरम की जीत हुई ऐसा माना जाता है लेकिन वास्तव मे अधरम इस युद्ध मे चरम पर था !कलयुग मे ये ओर भयंकर होगा श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता उपदेश के उपरांत सावधान किया था !
It narrates the unknown incident of 18 days of Mahabharata war between Kaurava and Pandava war! Dharam is believed to have won on both sides but in reality, Adharam was at its peak in this war! In Kaliyuga this side will be fierce. Krishna warned Arjuna after preaching the Gita
युद्ध के चौथे दिन द्रोपदी पांडवों से पूछती है की अभी तक दुर्योधन ओर दुशशांन कैसे ओर क्यों जीवित हैं ! अभिनन्यू युद्ध मे जाने की जिद करता है !भूमिशरवा ओर द्रोण मे युद्ध होता है , सतीयकीय का दस पुत्रों का अंत भी इसी दिन होता है !
On the fourth day of the war, Draupadi asks the Pandavas how and why Duryodhana and Dushashan are still alive! Abhimanyu insists on going to war! There is a war between Bhumisharva and Drona, the ten sons of Satyakiyya also end on this day!
युद्ध के दूसरे दिन की कहानी मे दोनों ओर लगी लाशों का ढेर देख ,सभी ये सोचते हैं युद्ध को समाप्त कर दिया जाए लेकिन दुर्योधन इसके लिए राजी नहीं होता !पांडव विचलित हैं लेकिन द्रोपदी की अस्मत का बदला उनको युद्ध के लिए प्रेरित करता है ! चक्रव्यू की रचना की जाती है ! एक ओर कौरव सेनापति भीषमपितमः ओर अर्जुन पांडव सेना का सेनापति है !
महान ग्रंथ महाभारत पर आधारित ये पॉडकास्ट स्टोरीस हैं , महा ऋषि वेदव्यास जी ने गणेश जी को आग्रह किया ओर इस ग्रंथ की रचना की !धर्मराज युधिस्टिर जुए मे द्रोपदी को हार जाते हैं , भरे राजदरबार मे द्रोपदी का दुश्शान चीरहरण करता है लेकिन भगवान श्री कृष्ण उसकी रक्षा करते हैं !भीम ओर पांडव दुर्योधन से बदला लेने की कसम खाते हैं ! श्री कृष्ण के कहने ओर गीता उपदेश के पश्चात महाभारत का युद्ध होता है ! ये धारावाहिक 19 एपीड़सोड का है आवाज कुंजबीहरी श्रीवास्तव की है !