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Krishna Bhajan
Himanshu Chauhan
14 episodes
6 months ago
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Society & Culture
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Society & Culture
Episodes (14/14)
Krishna Bhajan
Nazar bhar dekh le

नजर भर देख ले मुझको शरण में तेरी आया हूं 

कोई माता पिता बंधु सहायक है नहीं मेरा

 काम और क्रोध दुश्मन से बहुत दिन से सताया हूं

 भुलाकर याद को तेरी पड़ा दुनिया के लालच में

 माया के जाल में चारों तरफ से मैं फंसाया हूं

 कर्म सब नीचे हैं मेरे तुम्हारा नाम है पावन

 तार संसार सागर से गहन जल में डुबाया हूं 

छुड़ाकर जन्म बंधन से चरण में राख ले अपने

वो ब्रह्मानंद में मन में यही आशा लगाया हूं

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2 years ago
6 minutes

Krishna Bhajan
Mat kar

mat kar maya ko ahankaar

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2 years ago
6 minutes

Krishna Bhajan
2 din ka mela

do din ki zindagi hai, do din ka mela

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2 years ago
4 minutes

Krishna Bhajan
shree raghunaath

हमारे साथ श्री रघुनाथ तो किस बात की चिंता

शरण में रख दिया जब माथ तो किस बात की चिंता

शरण में रख दिया जब माथा तो किस बात की चिंता


किया करते हो तुम दिन रात क्यों बिन बात की चिंता

किया करते हो तुम दिन रात क्यों बिन बात की चिंता


किया करते हो तुम दिन रात क्यों बिन बात की चिंता

किया करते हो तुम दिन रात क्यों बिन बात की चिंता


तेरे स्वामी,

तेरे स्वामी को रहती है, तेरे हर बात की चिंता

तेरे स्वामी को रहती है, तेरे हर बात की चिंता


हमारे साथ श्री रघुनाथ तो किस बात की चिंता

हमारे साथ श्री रघुनाथ तो किस बात की चिंता


न खाने की, न पीने की, न मरने की, न जीने की

न खाने की, न पीने की, न मरने की, न जीने की

न खाने की, न पीने की, न मरने की, न जीने की


रहे हर स्वास

रहे हर स्वास में भगवान के प्रिय नाम की चिंता

रहे हर स्वास में भगवान के प्रिय नाम की चिंता


हमारे साथ श्री रघुनाथ तो किस बात की चिंता

हमारे साथ श्री रघुनाथ तो किस बात की चिंता


विभीषण को अभय वर दे किया लंकेश पल भर में

विभीषण को अभय वर दे किया लंकेश पल भर में

विभीषण को अभय वर दे किया लंकेश पल भर में


उन्ही का हा, उन्ही का हा

उन्ही का हा कर रहे गुण गान तो किस बात की चिंता

उन्ही का हा कर रहे गुण गान तो किस बात की चिंता


हमारे साथ श्री रघुनाथ तो किस बात की चिंता

हमारे साथ श्री रघुनाथ तो किस बात की चिंता


हुई भक्त पर किरपा बनाया दास प्रभु अपना

हुई भक्त पर किरपा बनाया दास प्रभु अपना

हुई भक्त पर किरपा बनाया दास प्रभु अपना


उन्ही के हाथ,

उन्ही के हाथ में अब हाथ तो किस बात की चिंता

उन्ही के हाथ में अब हाथ तो किस बात की चिंता


हमारे साथ श्री रघुनाथ तो किस बात की चिंता

हमारे साथ श्री रघुनाथ तो किस बात की चिंता


शरण में रख दिया जब माथ तो किस बात की चिंता

शरण में रख दिया जब माथ तो किस बात की चिंता


किस बात की चिंता, अरे किस बात की चिंता

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2 years ago
4 minutes

Krishna Bhajan
man mar liya

मैं तो उन संतन का दास जिन्होंने मन मार लिया

मन मारा तन बस करा रे हुवा भरम सब दूर

बाहर तो कछु दीखत नाहीं अन्दर चमके नूर

काम क्रोध मद लोभ मार के मिटी जगत की आस

बलिहारी उन संत की रे प्रकट करा है प्रकास

आपो त्याग जगत में बैठे नहीं किसी से काम

उनमें तो कछु अंतर नाही संत कहो चाहे राम

नरसीजी के सतगरू स्वामी दिया अमीरस पाय

एक बूंद सागर में मिल गयी क्या तो करेगा जमराज

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2 years ago
4 minutes

Krishna Bhajan
Saadho re

साधो ये मुरदों का गांव

पीर मरे पैगम्बर मरिहैं

मरि हैं जिन्दा जोगी

राजा मरिहैं परजा मरिहै

मरिहैं बैद और रोगी

चंदा मरिहै सूरज मरिहै

मरिहैं धरणि आकासा

चौदां भुवन के चौधरी मरिहैं

इन्हूं की का आसा

नौहूं मरिहैं दसहूं मरिहैं

मरि हैं सहज अठ्ठासी

तैंतीस कोट देवता मरि हैं

बड़ी काल की बाजी

नाम अनाम अनंत रहत है

दूजा तत्व न होइ

कहत कबीर सुनो भाई साधो

भटक मरो ना कोई

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2 years ago
5 minutes

Krishna Bhajan
siya ram jay ram jay jay ram

siya ram jay ram jay jay ram

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2 years ago
16 minutes

Krishna Bhajan
Nahi chale unke ghar rishwat

Nahi chale unke ghar rishwat nahi chale chalaki.....

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2 years ago
6 minutes

Krishna Bhajan
Krishna Chalis

बंशी शोभित कर मधुर, नील जलद तन श्याम। 

अरुणअधरजनु बिम्बफल, नयनकमलअभिराम॥

 

पूर्ण इन्द्र, अरविन्द मुख, पीताम्बर शुभ साज।

जय मनमोहन मदन छवि, कृष्णचन्द्र महाराज॥


जय यदुनंदन जय जगवंदन।

जय वसुदेव देवकी नन्दन॥


जय यशुदा सुत नन्द दुलारे।

जय प्रभु भक्तन के दृग तारे॥


जय नट-नागर, नाग नथइया ।

कृष्ण कन्हइया धेनु चरइया॥


पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो।

आओ दीनन कष्ट निवारो॥


वंशी मधुर अधर धरि टेरौ।

होवे पूर्ण विनय यह मेरौ॥


आओ हरि पुनि माखन चाखो।

आज लाज भारत की राखो॥


गोल कपोल, चिबुक अरुणारे।

मृदु मुस्कान मोहिनी डारे॥


राजित राजिव नयन विशाला।

मोर मुकुट वैजन्तीमाला॥


कुंडल श्रवण, पीत पट आछे।

कटि किंकिणी काछनी काछे॥


नील जलज सुन्दर तनु सोहे।

छबि लखि, सुर नर मुनिमन मोहे॥


मस्तक तिलक, अलक घुंघराले।

आओ कृष्ण बांसुरी वाले॥


करि पय पान, पूतनहि तार्‌यो।

अका बका कागासुर मार्‌यो॥


मधुवन जलत अगिन जब ज्वाला।

भै शीतल लखतहिं नंदलाला॥


सुरपति जब ब्रज चढ़्‌यो रिसाई।

मूसर धार वारि वर्षाई॥


लगत लगत व्रज चहन बहायो।

गोवर्धन नख धारि बचायो॥


लखि यसुदा मन भ्रम अधिकाई।

मुख मंह चौदह भुवन दिखाई॥


दुष्ट कंस अति उधम मचायो॥

कोटि कमल जब फूल मंगायो॥


नाथि कालियहिं तब तुम लीन्हें।

चरण चिह्न दै निर्भय कीन्हें॥


करि गोपिन संग रास विलासा।

सबकी पूरण करी अभिलाषा॥


केतिक महा असुर संहार्‌यो।

कंसहि केस पकड़ि दै मार्‌यो॥


मात-पिता की बन्दि छुड़ाई।

उग्रसेन कहं राज दिलाई॥


महि से मृतक छहों सुत लायो।

मातु देवकी शोक मिटायो॥


भौमासुर मुर दैत्य संहारी।

लाये षट दश सहसकुमारी॥


दै भीमहिं तृण चीर सहारा।

जरासिंधु राक्षस कहं मारा॥


असुर बकासुर आदिक मार्‌यो।

भक्तन के तब कष्ट निवार्‌यो॥


दीन सुदामा के दुख टार्‌यो।

तंदुल तीन मूंठ मुख डार्‌यो॥


प्रेम के साग विदुर घर मांगे।

दुर्योधन के मेवा त्यागे॥


लखी प्रेम की महिमा भारी।

ऐसे श्याम दीन हितकारी॥


भारत के पारथ रथ हांके।

लिये चक्र कर नहिं बल थाके॥


निज गीता के ज्ञान सुनाए।

भक्तन हृदय सुधा वर्षाए॥


मीरा थी ऐसी मतवाली।

विष पी गई बजाकर ताली॥


राना भेजा सांप पिटारी।

शालीग्राम बने बनवारी॥


निज माया तुम विधिहिं दिखायो।

उर ते संशय सकल मिटायो॥


तब शत निन्दा करि तत्काला।

जीवन मुक्त भयो शिशुपाला॥


जबहिं द्रौपदी टेर लगाई।

दीनानाथ लाज अब जाई॥


तुरतहि वसन बने नंदलाला।

बढ़े चीर भै अरि मुंह काला॥


अस अनाथ के नाथ कन्हइया।

डूबत भंवर बचावइ नइया॥


'सुन्दरदास' आस उर धारी।

दया दृष्टि कीजै बनवारी॥


नाथ सकल मम कुमति निवारो।

क्षमहु बेगि अपराध हमारो॥


खोलो पट अब दर्शन दीजै।

बोलो कृष्ण कन्हइया की जै॥

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3 years ago
13 minutes

Krishna Bhajan
Bhajman Narayan

A beautiful Narayan chanting bhajan

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3 years ago
25 minutes

Krishna Bhajan
Om namo bhagvate

Om namo bhavate vasudevay vasudevay hari vasudevay

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3 years ago
30 minutes

Krishna Bhajan
Shri krishna Govind

This is another master piece by Ankit Batra

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3 years ago
6 minutes

Krishna Bhajan
Jis sukh ki chahat me

जिस सुख की चाहत में तू, दर दर को भटकता है, वो श्याम के मंदिर में, दिन रात बरसता है, जिस सुख की चाहत में तु, दर दर को भटकता है अनमोल है हरपल, तेरी जिंदगानी का, कब अंत हो जाए, तेरी कहानी का, जिस पावन गंगाजल से, जीवन ये सुधरता है, वो श्याम के मंदिर में, दिन रात बरसता है, जिस सुख की चाहत में तु, दर दर को भटकता है।।


जैसे भरा पानी, सागर में खारा है, वैसे भरा दुःख से, जीवन हमारा है, जिस अमृत को पिने को, संसार तरसता है, वो श्याम के मंदिर में, दिन रात बरसता है, जिस सुख की चाहत में तु, दर दर को भटकता है।।


ना कर भरोसा तू, ‘सोनू’ दीवाने पर, तू देख ले जाकर, इसके ठिकाने पर, वो सावन जो धरती की, तक़दीर बदलता है, वो श्याम के मंदिर में, दिन रात बरसता है जिस सुख की चाहत में तू, दर दर को भटकता है, वो श्याम के मंदिर में, दिन रात बरसता है, जिस सुख की चाहत में तु, दर दर को भटकता है।।

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3 years ago
5 minutes

Krishna Bhajan
Achutam keshviam

Ankit batra has sung this song so beautifully listen to it.

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3 years ago
9 minutes

Krishna Bhajan
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