Listen in to a recitation of the poem "Lafson Ki Wapasi" written by Aks.
Lyrics in Hindi:
सिंगापुर में हूँ आजकल, ये तो है सही,
दिल्ली वाला हूँ मगर, ये मत भूलिएगा कभी।
ज़िंदगी की दौड़ में सब कुछ पा लिया है सही,
पर जो खो गया था बचपन में, वो मिल न सका कभी।
कलम को भूल बैठे थे, कुछ साल पहले सही,
अब लफ़्ज़ फिर से आने लगे हैं, जैसे लौटे कोई कभी।
किसी मिसरे में छुपा हूँ, किसी नज़र में सही,
मैं अब किताबों की तरह खुलता हूँ धीरे-धीरे कभी।
भीड़ में भी अक्सर ख़ुद से दूर रहा हूँ सही,
शेरों ने ही पास बुलाया, जब कोई न था कभी।
हर शेर में दिखा कोई अक्स-सा चेहरा सही,
लोग समझे शायरी है, मैं समझा ज़िंदगी कभी।
Listen in to a recitation of the poem "Jo Sindoor Tha Ab Sitara Bana" written by Aks.
Lyrics in Hindi:
जो सिंदूर था, अब सितारा बना,
जो बिखरा था कल, वो सहारा बना।
वो माँ की दुआ थी कि बेटे का फ़र्ज़,
जो चुप था कभी, अब इशारा बना।
जो कांपते लफ़्ज़ों में छुपती थी आग,
वही जख़्म अब इक शरारा बना।
जिसे ख़त में बस "मैं ठीक हूँ" लिखा,
वो जुमला ही जैसे दोबारा बना।
कभी जूते, कभी रेत में मिले नाम,
हर गुमशुदा अब नज़ारा बना।
वो बच्चा जो सीमा पे लहरा गया,
उसी का जुनूँ अब किनारा बना।
"अक्स" ने जो ख़ामोशी में कह दिया,
वो लफ़्ज़ हर दिल का नारा बना।
Listen in to a recitation of the poem "Zindagi Aur Maut Ka Fasana" written by Aks.
Lyrics in Hindi:
हयात क्या है, हर सांस में मौत का साया है
सपने अधूरे क्यों, ये राज़ समझ न आया है
रोज़ जीते हैं मगर ज़िंदगी क्या हासिल है
सिर्फ़ मौत ने ही हकीकत का आईना दिखाया है
ज़िंदगी रंगों की महफ़िल है, पर फीके रंग सभी
बस मौत के रंग ने सच्चा रंग दिखाया है
उम्मीद जन्म लेती है तो सांसें लेती हैं
पर मौत ने उम्मीदों को हरदम मिटाया है
क्या यही जीवन है, दर्द-ओ-ग़म की दास्तां
गर मौत राहत है तो क्यों जीना सिखाया है
कर्म के बंधन में कब तक गुनाह का बोझ उठा
धर्म के बिना क्या मौत ने चैन दिलाया है
जुस्तजू में उम्र गुज़री, मंज़िल मिली नहीं
आखिर सफ़र का अंत मौत ने दिखाया है
पछतावे से भरी जब मौत की गहराई में उतरे
पूछा उसी ने, क्या खुद को अब तक भुलाया है
ज़िंदगी की जंग में चैन आखिरी रस्म में
मौत के बाद क्या जंग को नया मोड़ आया है
उम्र भर रहे जुदा, दिलों में थी दूरियां
आख़िर मौत ने ही सबको मिलाया है
मेरी बेजान आंखों को देख कर बताओ ये
क्या जीवन का एहसास कहीं लौट आया है
रूह जब घर छोड़ के चल पड़ी सफ़र पर
क्या अकेला है सफ़र, या कोई संग आया है
ज़िंदगी बांटती रही रिश्तों को हमेशा
सिर्फ़ मौत ने ही सबको फिर एक बनाया है
ए मौत ज़रा ठहर, अभी थोड़ी मोहलत दे
तुझसे बचें कब तक, ये सवाल भी आया है
ज़िंदगी-मौत की सच्चाई का बस इतना फसाना है
जो आज तक आया, उसे वापस भी जाना है
Listen in to a recitation of the poem “Humko Bihari Mat Kehna” by Sahil Kumar.
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Listen in to a recitation of the poem "Ayodhaya Dharm Aur Sanskriti Ki Gatha" written by Aks.
Lyrics in Hindi:
सुना नहीं शायद तुमने फैसला न्यायालय का,
राम लला हैं विराजमान, देव भूमि है जन्मस्थान।
अयोध्या की इस पावन धरा पर,
इतिहास के पन्नों में मिलता संस्कृति का सार।
जहां राम की पदचाप से, मिटते सभी अंधकार,
वहीं उजाला फैला हर घर, हर द्वार।
न्याय की इस जीत ने जोड़ा हर दिल,
अयोध्या अब बन गयी है आस्था का गिल।
धरा पर जहाँ धर्म और आदर्श की ज्योत जली,
वहां राम की महिमा से बदली हर गली।
सदियों से जो गूँज रहा था हर हृदय में,
अब लय मिली, अनुराग मिला, इस अद्भुत छवि में।
राम के चरणों में जहाँ बसती है संस्कृति,
उस अयोध्या में है हर रंग, हर ऋतु की सुगंधित वृत्ति।
समय की धारा में भी, यहाँ अटल है आस्था,
जहां एकता और प्रेम का, बहता निर्मल वास्ता।
अयोध्या की इस धरा पर, जहाँ हर दिन है दिवाली,
राम राज्य की इस भूमि पर, जहाँ प्रेम है अति विशाली।
इस पावन भूमि की महिमा, अनंत काल तक गूँजे,
जहां हर भाव, हर कर्म, राम के नाम को दूँजे।
वहां प्रकृति भी गाती है, रामायण के गीत सुनहरे,
अयोध्या की इस पावन भूमि पर, जहाँ सदा सत्य के दीप जले।
अयोध्या, जहां धर्म और इतिहास का, मिलता है संगम,
जहां हर रंग है राम का, जहां हर ध्वनि में है राम का दम।
यह अयोध्या की गाथा, जो हृदय में बस जाती है,
जीवन के हर पथ पर, जो सत्य और धर्म की राह दिखाती है।
इस गाथा में समाया सभी का प्यार, यहाँ की मिट्टी में है संस्कार,
सद्भावना और प्रेम का संचार, यही अयोध्या का है आधार।
Listen in to a recitation of the poem "Kab Tak Geet Sunau Radha" written by Kumar Vishwas.
Lyrics in Hindi:
कब तक गीत सुनाऊं राधा कब तक गीत सुनाऊं मथुरा छूटी, छूटी द्वारिका, इंद्रप्रस्थ ठुकराऊं बंसी छूटी, गोकुल छूटा, कब तक चक्र उठाऊं पिछले जन्म जानकी तुझ बिन जैसे तैसे बीता महासमर में रीता रीता, कब तक गाउ गीता और अभी कितने जन्मों तक तुझे दूर बिताऊं.... कब तक गीत सुनाऊं राधा कब तक गीत सुनाऊं
बचपन से प्रभुता का बोजा ढोते कटी जवानी हरपल षडयंत्रो में उलझी सांसे आनी जानी युगकी आंखे अमृत पीती रही मुझे तक तक कर अधर मधुर देखे सबने पर पीड़ा न पहचानी इस पीडाको यार सुदामा कबतक महल दिखाऊ' कब तक गीत सुनाऊं राधा कब तक गीत सुनाऊं
दो माँ ओने लाड लड़ाया, दो चहेरोने चाहा फिरभी भरी द्वरिकामे में खुदको लगा पराया मेरा क्या अपराध के मेरा गाँव गली घर छूटा आँचलसे बिछडेको जग ने पीताम्बर पहनाया चाहे जाते जाते भी बंसी मधुर बजाऊ, कब तक गीत सुनाऊं राधा कब तक गीत सुनाऊं
जग भरके अपराध सदा हीं, अपने शीश उठाये रस का माखन समने चाखा, चोर हमी कहलाये युगके दुर्योधनके जब जब अहंकार को कुचला दुनिया जीती, गांधारी के शाप हमीने खाये मुझको गले लगाओ या में ही गले लगाऊ, कब तक गीत सुनाऊं राधा कब तक गीत सुनाऊं
In this poem, god Krishna is talking to his beloved Radha. He is lamenting the fact that he has to be away from her for so long, and he is asking her how long he has to keep singing songs to her before she will come back to him.
Listen in to a recitation of a "Kuch Chote Sapno Ke Badle" written by Kumar Vishwas.
Lyrics in Hindi:
कुछ छोटे सपनो के बदले,
बड़ी नींद का सौदा करने,
निकल पडे हैं पांव अभागे,जाने कौन डगर ठहरेंगे !
वही प्यास के अनगढ़ मोती,
वही धूप की सुर्ख कहानी,
वही आंख में घुटकर मरती,
आंसू की खुद्दार जवानी,
हर मोहरे की मूक विवशता,चौसर के खाने क्या जाने
हार जीत तय करती है वे, आज कौन से घर ठहरेंगे
निकल पडे हैं पांव अभागे,जाने कौन डगर ठहरेंगे !
कुछ पलकों में बंद चांदनी,
कुछ होठों में कैद तराने,
मंजिल के गुमनाम भरोसे,
सपनो के लाचार बहाने,
जिनकी जिद के आगे सूरज, मोरपंख से छाया मांगे,
उन के भी दुर्दम्य इरादे, वीणा के स्वर पर ठहरेंगे
निकल पडे हैं पांव अभागे,जाने कौन डगर ठहरेंगे
Listen in to a recitation of a poem written for the occasion of baby shower “Woh Aane Wali Hai Ya Aane Wala Hai” by an unknown poet.
Lyrics in Hindi:
वो आने वाली है, या आने वाला है।
ये जल्दी ही पता चल जाने वाला है।
कोई छोटे छोटे हाथों से,
हमारा संसार सजाने वाला है।
बचपन जीने का एक मौका फिर से लाने वाला है।
उनगली पकड़ कर किसी नए रास्ते ले जाने वाला है।
बेटा तेरी हर ज़िद का मतलब पूछूंगा,
तू बाप बनेगा जिस दिन, तुझसे तब पूछूंगा।
दादाजी का ये कहना अब सच होने वाला है।
कोई नटखट, नानी का आराम चुराने वाला है।
और वो जिस ने अपना सब कुछ बंटा आधा आधा है।
प्यार जिस्का बाकी सबसे, नो महिने ज्यादा है।
कभी हसने कभी रुलाने, रात जगाने वाला है।
अभी तो बस शुरवात है, वो खूब नचाने वाला है।
प्यार उससे रोज रोज बार बार होगा,
अभी बहुत कुछ बाकी है जो पहली बार होगा।
उसे अपने पेरों पे चलते देखना,
उसका मा कहते खुद को पिघलते देखना।
धेर सारे नए नए एहसास करने वाला है,
कोई कमरे की छत पर अब तारे लगाने वाला है।
वो आने वाली है, या आने वाला है।
ये जल्दी ही पता चल जाने वाला है।
कोई छोटे छोटे हाथों से,
हमारा संसार सजाने वाला है।
Listen in to a recitation of a few lines of the famous poem “Teri Yaad Aati Hai” by Kumar Vishwas.
This is a voice message contributed by our listener Krishna Upadhyay.
For the complete recitation of the poem you can listen to our previous episode - Teri Yaad Aati Hai - Kumar Vishwas
Listen in to a recitation of the famous poem “Yeh Kadamb Ka Ped” by Subhadra Kumari Chauhan.
Lyrics in Hindi:
यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे।
मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे॥
ले देतीं यदि मुझे बांसुरी तुम दो पैसे वाली।
किसी तरह नीची हो जाती यह कदंब की डाली॥
तुम्हें नहीं कुछ कहता पर मैं चुपके-चुपके आता।
उस नीची डाली से अम्मा ऊँचे पर चढ़ जाता॥
वहीं बैठ फिर बड़े मजे से मैं बांसुरी बजाता।
अम्मा-अम्मा कह वंशी के स्वर में तुम्हे बुलाता॥
सुन मेरी बंसी को माँ तुम इतनी खुश हो जाती।
मुझे देखने काम छोड़ कर तुम बाहर तक आती॥
तुमको आता देख बांसुरी रख मैं चुप हो जाता।
पत्तों में छिपकर धीरे से फिर बांसुरी बजाता॥
गुस्सा होकर मुझे डांटती, कहती "नीचे आजा"।
पर जब मैं ना उतरता, हंसकर कहती "मुन्ना राजा"॥
"नीचे उतरो मेरे भैया तुम्हें मिठाई दूंगी।
नए खिलौने, माखन-मिसरी, दूध मलाई दूंगी"॥
बहुत बुलाने पर भी माँ जब नहीं उतर कर आता।
माँ, तब माँ का हृदय तुम्हारा बहुत विकल हो जाता॥
तुम आँचल फैला कर अम्मां वहीं पेड़ के नीचे।
ईश्वर से कुछ विनती करतीं बैठी आँखें मीचे॥
तुम्हें ध्यान में लगी देख मैं धीरे-धीरे आता।
और तुम्हारे फैले आँचल के नीचे छिप जाता॥
तुम घबरा कर आँख खोलतीं, पर माँ खुश हो जाती।
जब अपने मुन्ना राजा को गोदी में ही पातीं॥
इसी तरह कुछ खेला करते हम-तुम धीरे-धीरे।
यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे॥
Listen in to a recitation of the famous poem “Kuch Dost Bahut Yaad Aate Hain” by Harivansh Rai Bachchan.
Lyrics in Hindi:
मै यादों का किस्सा खोलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं
मै गुजरे पल को सोचूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं
अब जाने कौन सी नगरी में,
आबाद हैं जाकर मुद्दत से
मै देर रात तक जागूँ तो ,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं
कुछ बातें थीं फूलों जैसी,
कुछ लहजे खुशबू जैसे थे,
मै शहर-ए-चमन में टहलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.
सबकी जिंदगी बदल गयी,
एक नए सिरे में ढल गयी,
किसी को नौकरी से फुरसत नही
किसी को दोस्तों की जरुरत नही
सारे यार गुम हो गये हैं...
"तू" से "तुम" और "आप" हो गये है
मै गुजरे पल को सोचूँ
तो, कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं
धीरे धीरे उम्र कट जाती है...
जीवन यादों की पुस्तक बन जाती है,
कभी किसी की याद बहुत तड़पाती है
और कभी यादों के सहारे ज़िन्दगी कट जाती है
किनारो पे सागर के खजाने नहीं आते,
फिर जीवन में दोस्त पुराने नहीं आते
जी लो इन पलों को हस के दोस्त,
फिर लौट के दोस्ती के जमाने नहीं आते
Listen in to a recitation of the famous poem “Ye Nav Varsh Hame Swikar Nahi” by Ramdhari Singh Dinkar.
Lyrics in Hindi:
ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
है अपनी ये तो रीत नहीं
है अपना ये व्यवहार नहीं
धरा ठिठुरती है सर्दी से
आकाश में कोहरा गहरा है
बाग़ बाज़ारों की सरहद पर
सर्द हवा का पहरा है
सूना है प्रकृति का आँगन
कुछ रंग नहीं , उमंग नहीं
हर कोई है घर में दुबका हुआ
नव वर्ष का ये कोई ढंग नहीं
चंद मास अभी इंतज़ार करो
निज मन में तनिक विचार करो
नये साल नया कुछ हो तो सही
क्यों नक़ल में सारी अक्ल बही
उल्लास मंद है जन -मन का
आयी है अभी बहार नहीं
ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
ये धुंध कुहासा छंटने दो
रातों का राज्य सिमटने दो
प्रकृति का रूप निखरने दो
फागुन का रंग बिखरने दो
प्रकृति दुल्हन का रूप धार
जब स्नेह – सुधा बरसायेगी
शस्य – श्यामला धरती माता
घर -घर खुशहाली लायेगी
तब चैत्र शुक्ल की प्रथम तिथि
नव वर्ष मनाया जायेगा
आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर
जय गान सुनाया जायेगा
युक्ति – प्रमाण से स्वयंसिद्ध
नव वर्ष हमारा हो प्रसिद्ध
आर्यों की कीर्ति सदा -सदा
नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा
अनमोल विरासत के धनिकों को
चाहिये कोई उधार नहीं
ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
है अपनी ये तो रीत नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
Listen in to a recitation of "Kagazon Mein Hai Salamat Ab Bhi Naksha Gaon Ka" written by Devmani Pandey.
Lyrics in Hindi:
काग़ज़ों में है सलामत अब भी नक़्शा गाँव का।
पर नज़र आता नहीं पीपल पुराना गाँव का।
बूढ़ीं आँखें मुंतज़िर हैं पर वो आख़िर क्या करें
नौजवाँ तो भूल ही बैठे हैं रस्ता गाँव का।
पहले कितने ही परिन्दे आते थे परदेस से
अब नहीं भाता किसी को आशियाना गाँव का।
छोड़ आए थे जो बचपन फिर नज़र आया नहीं
हमने यारो छान मारा चप्पा-चप्पा गाँव का।
हो गईं वीरान गलियाँ, खो गई सब रौनक़ें
तीरगी में खो गया सारा उजाला गाँव का।
वक़्त ने क्या दिन दिखाए चन्द पैसों के लिए
बन गया मज़दूर इक छोटा-सा बच्चा गाँव का।
सुख में, दुख में, धूप में जो सर पे आता था नज़र
गुम हुआ जाने कहाँ वो लाल गमछा गाँव का।
हर तरफ़ फैली हुई है बेकसी की तेज़ धूप
सब के सर से उठ गया है जैसे साया गाँव का।
जो गए परदेस उसको छोड़कर दालान में
राह उनकी देखता है अब बिछौना गाँव का।
शाम को चौपाल में क्या गूँजते थे क़हक़हे
सिर्फ़ यादों में बचा है वो फ़साना गाँव का।
हाल इक-दूजे का कोई पूछने वाला नहीं
क्या पता अगले बरस क्या हाल होगा गाँव का।
सोच में डूबे हुए हैं गाँव के बूढ़े दरख़्त
वाक़ई क्या लुट गया है कुल असासा गाँव का।
Listen in to a recitation of "Covid" written by Harjeet Singh Tuktuk.
Lyrics in Hindi:
हमारा तो निकल गया रोना।
जब पता चला कि पड़ोसी को हो गया है कोरोना।
रात के अंधेरे में, सुबह और सवेरे में।
हम भी आ गए, शक के घेरे में।
हमने सबको यक़ीन दिलाया।
कि हम हैं सोबर और सुशील।
फिर भी करम जलों ने।
कर दिया हमारा घर सील।
हम इस बात से थे दुखी।
तभी पत्नी पास आके रुकी।
बोली घर में खतम हो गया हैं राशन।
हमने कहा देवी बंद करो यह भाषण।
पत्नी को नहीं पसंद आया हमारा टोन।
उठा के तोड़ दिया हमारा मोबाइल फ़ोन।
ग़ुस्से में उसका चेहरा हो गया लाल पीला।
पता नहीं, ग़रीबी में ही क्यों होता है आटा गीला।
अब हमें पत्नी के हुक्म का पालन करना था।
घर के लिए राशन का इंतज़ाम करना था।
हमने अपनी इज्जत खूँटी पे टांगी।
खिड़की से चिल्ला चिल्ला के सबसे मदद माँगी।
कोई नहीं आया।
जो भी कहते थे कि हम भगवान के दूत हैं।
बिना देखे ऐसे निकल गए जैसे हम कोई भूत हैं।
आख़िर एक बूढ़ा चौक़ीदार आया।
उसने घर के बाहर एक बोर्ड लगाया।
बोर्ड पे लिखा था,
साहब वैसे तो जेंटल हैं।
लॉकडाउन में हो गए मेंटल हैं।
इफ़ यू हीयर शोर,प्लीज़ इग्नोर।
हमने कहा,
भैया, आ रहा है मज़ा।
दूसरे के कर्मों की हमको दे के सजा।
वो बोला बाबूजी,
लाखों रोज़गार छोड़ कर चले गए घर।
हज़ारों बिना इलाज के कर रहे हैं suffer।
सैकड़ों रोज़ करते हैं भूख से लड़ाई।
वो सब भी इसी बात की दे रहे हैं दुहाई।
आख़िर किसकी गलती की सजा हमने है पाई।
बुरा मत मानिएगा,
बात सच्ची है, कड़वी लग सकती है।
पर किसी की गलती की सजा
किसी को भी मिल सकती है।
वैसे आपकी बताने आया था विद स्माइल।
आपके पड़ोसी की बदल गयी थी फ़ाइल।
हमने भगवान को लाख लाख धन्यवाद दिया।
और कविता का अंत कुछ इस तरह से किया।
पड़ोसी तो लग के आ गया
हॉस्पिटल की लाइन में।
हम अभी भी चल रहे हैं
क्वॉरंटाइन में।
Listen in to a recitation of "Moko Kahan Dhunde Tu Bande" written by Kabir Das.
Lyrics in Hindi:
मोको कहां ढूढें तू बंदे मैं तो तेरे पास मे ।
ना मैं बकरी ना मैं भेडी ना मैं छुरी गंडास मे ।
नही खाल में नही पूंछ में ना हड्डी ना मांस मे ॥
ना मै देवल ना मै मसजिद ना काबे कैलाश मे ।
ना तो कोनी क्रिया-कर्म मे नही जोग-बैराग मे ॥
खोजी होय तुरंतै मिलिहौं पल भर की तलास मे
मै तो रहौं सहर के बाहर मेरी पुरी मवास मे
कहै कबीर सुनो भाई साधो सब सांसो की सांस मे ॥
Listen in to a recitation of a "muktak" written by Kumar Vishwas.
Lyrics in Hindi:
बस्ती बस्ती घोर उदासी पर्वत पर्वत खालीपन
मन हीरा बेमोल बिक गया घिस घिस रीता तन चंदन
इस धरती से उस अम्बर तक दो ही चीज़ गज़ब की है
एक तो तेरा भोलापन है एक मेरा दीवानापन||1||
जिसकी धुन पर दुनिया नाचे, दिल एक ऐसा इकतारा है,
जो हमको भी प्यारा है और, जो तुमको भी प्यारा है.
झूम रही है सारी दुनिया, जबकि हमारे गीतों पर,
तब कहती हो प्यार हुआ है, क्या अहसान तुम्हारा है||2||
जो धरती से अम्बर जोड़े, उसका नाम मोहब्बत है ,
जो शीशे से पत्थर तोड़े, उसका नाम मोहब्बत है ,
कतरा कतरा सागर तक तो,जाती है हर उमर मगर ,
बहता दरिया वापस मोड़े, उसका नाम मोहब्बत है||3||
बहुत टूटा बहुत बिखरा थपेड़े सह नहीं पाया
हवाओं के इशारों पर मगर मैं बह नहीं पाया
रहा है अनसुना और अनकहा ही प्यार का किस्सा
कभी तुम सुन नहीं पायी कभी मैं कह नहीं पाया||4||
तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है समझता हूँ
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है समझता हूँ
तुम्हे मैं भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नहीं लेकिन
तुम्ही को भूलना सबसे ज़रूरी है समझता हूँ||5||
पनाहों में जो आया हो तो उस पर वार करना क्या
जो दिल हारा हुआ हो उस पर फिर अधिकार करना क्या
मुहब्बत का मज़ा तो डूबने की कश्मकश में है
हो गर मालूम गहराई तो दरिया पार करना क्या||6||
समन्दर पीर का अन्दर है लेकिन रो नहीं सकता
ये आँसू प्यार का मोती है इसको खो नहीं सकता
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले
जो मेरा हो नहीं पाया वो तेरा हो नहीं सकता||7||
पुकारे आँख में चढ़कर तो खू को खू समझता है,
अँधेरा किसको को कहते हैं ये बस जुगनू समझता है,
हमें तो चाँद तारों में भी तेरा रूप दिखता है,
मोहब्बत में नुमाइश को अदाएं तू समझता है||8||
गिरेबां चाक करना क्या है, सीना और मुश्किल है,
हर एक पल मुस्काराकर अश्क पीना और मुश्किल है
हमारी बदनसीबी ने हमें इतना सिखाया है,
किसी के इश्क में मरने से जीना और मुश्किल है||9||
मेरा अपना तजुर्बा है तुम्हें बतला रहा हूँ मैं
कोई लब छू गया था तब अभी तक गा रहा हूँ मैं
फिराके यार में कैसे जिया जाये बिना तड़पे
जो मैं खुद ही नहीं समझा वही समझा रहा हूँ मैं||10||
किसी पत्थर में मूरत है कोई पत्थर की मूरत है
लो हमने देख ली दुनिया जो इतनी ख़ूबसूरत है
ज़माना अपनी समझे पर मुझे अपनी खबर ये है
तुम्हें मेरी जरूरत है मुझे तेरी जरूरत है||11||
Listen in to a recitation of the famous poem “Waqt” by Vikram Singh Rawat.
Lyrics in Hindi:
ज़िन्दगी में कुछ भी कभी हरपल नहीं रहता
जो आज साथ होता है तुम्हारे वो कल नहीं रहता।
मैं फ़िज़ूल रोया करता था लम्हों पे दशको पे
समझ आया अब की वक़्त खुद भी सदा प्रबल नहीं रहता।
मरते हैं इसके भी पल जो बहते हैं इसकी धाराओ में
सदा को ठहरा हुआ कोई भी इसका पल नहीं रहता।
जीवनचक्र निरंतर है, मत कोस तू अपनी किस्मत को
इस दौर में ये दरिया किसी के लिये कल-कल नहीं बहता।
तुम्हे पता ही नहीं वक्त का दूसरा नाम ही जिंदगी है
यूँहीं तुम कहतें हो तुम्हारे पास ये किसीपल नहीं रहता।
इस दूध की धारा को मैंने पूजा भी दिए भी सिराये
पर जब से सागर में मिला फिर वो गंगाजल नहीं रहता।
कितना लालची हूँ की जिसके सजदे किये नवाज़ा भी
वो जिस दिन खारा हुआ ठोकरों के भी काबिल नहीं रहता।
ज़िन्दगी केवल मौत से मौत के सफ़र का नाम है
और बंजारों का कोर्इ् ठौर—ठिकाना ऊम्रभर नहीं रहता।
तू हाथों की लकीरों पे चला तो नदी जैसा भटकता रहा
तूने खुद को कभी नहीं खोजा तभी तू सफल नहीं रहता।
और तू मुझे मसीहा मत समझ मैं खुद विफल हूँ हालातों से
हाँ मगर हौंसला अब तक नहीं हरा वर्ना ये ग़ज़ल नहीं कहता।
॥ज़िन्दगी में कुछ भी कभी हरपल नहीं रहता॥
॥जो आज साथ होता है तुम्हारे वो कल नहीं रहता॥
Listen in to a recitation of the famous poem “Aaj Phir Se” by Harivansh Rai Bachchan.
Lyrics in Hindi:
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।
है कंहा वह आग जो मुझको जलाए,
है कंहा वह ज्वाल पास मेरे आए,
रागिनी, तुम आज दीपक राग गाओ;
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।
तुम नई आभा नहीं मुझमें भरोगी,
नव विभा में स्नान तुम भी तो करोगी,
आज तुम मुझको जगाकर जगमगाओ;
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।
मैं तपोमय ज्योती की, पर, प्यास मुझको,
है प्रणय की शक्ति पर विश्वास मुझको,
स्नेह की दो बूंदे भी तो तुम गिराओ;
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।
कल तिमिर को भेद मैं आगे बढूंगा,
कल प्रलय की आंधियों से मैं लडूंगा,
किन्तु आज मुझको आंचल से बचाओ;
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।
Listen in to a recitation of the famous poem “Aao Phir Se Diya Jalaye” by Atal Bihari Vajpayee.
Lyrics in Hindi:
आओ फिर से दिया जलाएँ
भरी दुपहरी में अँधियारा
सूरज परछाई से हारा
अंतरतम का नेह निचोड़ें-
बुझी हुई बाती सुलगाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ
हम पड़ाव को समझे मंज़िल
लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल
वर्त्तमान के मोहजाल में-
आने वाला कल न भुलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ।
आहुति बाकी यज्ञ अधूरा
अपनों के विघ्नों ने घेरा
अंतिम जय का वज़्र बनाने-
नव दधीचि हड्डियाँ गलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ
Listen in to a recitation of the famous poem “Jagmag Jagmag” by Sohan Lal Dwivedi.
Lyrics in Hindi:
हर घर, हर दर, बाहर, भीतर,
नीचे ऊपर, हर जगह सुघर,
कैसी उजियाली है पग-पग?
जगमग जगमग जगमग जगमग!
छज्जों में, छत में, आले में,
तुलसी के नन्हें थाले में,
यह कौन रहा है दृग को ठग?
जगमग जगमग जगमग जगमग!
पर्वत में, नदियों, नहरों में,
प्यारी प्यारी सी लहरों में,
तैरते दीप कैसे भग-भग!
जगमग जगमग जगमग जगमग!
राजा के घर, कंगले के घर,
हैं वही दीप सुंदर सुंदर!
दीवाली की श्री है पग-पग,
जगमग जगमग जगमग जगमग!