
हम भारत के लोग अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से देश का शासन करते हैं। हमारा प्रतिनिधि जब पार्टी प्रतिनिधि बन जाय तो हमारा क्या होगा?
आज हमारे नेता जी हमारी समस्याओं को सुलझाने के बजाय पार्टी की समस्याओं को सुलझाने में उलझे रहते हैं। हमारे हित में उनका हित उन्हें क्यों नहीं समझ आता? आइए समस्याओं के इसी भँवर जाल को सुनते हैं हमारी कविता " जन प्रतिनिधि " से।