
योग जीवन जीने की कला है।यह शरीर, चित्तवृत्तियाँ, मनोविकार और मस्तिष्क के परिशोधन का संस्थान है। भारतीय सनातन परंपरा का यह संस्थान भारतीयता का धरोहर है। विश्व को उद्देश्यपूर्ण शांति से जीवन जीने की कला योगसूत्र ने ही दी है। योग के विभिन्न आयामों पर सुनते हैं हमारी कविता " योग "।