
वाल्मीकि रामायण के बालकाण्ड के 51वें सर्ग में ऋषि शतानन्द द्वारा ऋषि विश्वामित्र से श्रीराम के विषय में जानकारी प्राप्त करने और श्रीराम को विश्वामित्र की पुरानी कथा सुनाने का विस्तृत वर्णन है।
1. शतानन्द जी का आगमन और प्रश्न
महर्षि शतानन्द, जो राजा जनक के राजपुरोहित और अहल्या-पुत्र थे, को जब ज्ञात हुआ कि उनके माता-पिता का उद्धार श्रीराम के द्वारा हुआ है, तो वे अत्यंत प्रसन्न हुए। वे स्वयं राजा जनक के साथ श्रीराम, लक्ष्मण और ऋषि विश्वामित्र के दर्शन के लिए आए।
महर्षि शतानन्द ने विश्वामित्र से पूछा:
“हे मुनिवर! यह बताइए कि ये दिव्य राजकुमार कौन हैं, जिनके तेज और सौम्यता से यह सभा कांतिमान हो रही है?”
2. विश्वामित्र द्वारा श्रीराम का परिचय
ऋषि विश्वामित्र ने श्रीराम और लक्ष्मण का परिचय दिया:
• ये अयोध्या नरेश महाराज दशरथ के पुत्र हैं।
• बड़े भाई श्रीराम और छोटे भाई लक्ष्मण हैं।
• श्रीराम ने ताड़का, सुबाहु और मारीच जैसे राक्षसों का वध करके यज्ञ की रक्षा की है।
• इन्होंने अहल्या का उद्धार किया है।
3. शतानन्द का प्रसन्न होना
शतानन्द अपने माता-पिता के उद्धार से बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने श्रीराम की प्रशंसा की। वे अत्यंत कृतज्ञता से भर गए और भगवान श्रीराम को अपने परिवार के उद्धारकर्ता के रूप में देखा।
4. विश्वामित्र की पुरानी कथा का वर्णन
शतानन्द ने श्रीराम को महर्षि विश्वामित्र की महान कथा सुनाई:
a. राजा से ऋषि बनने की यात्रा
• विश्वामित्र पहले एक प्रतापी राजा थे, जो अपने पराक्रम और राज्य-व्यवस्था के लिए प्रसिद्ध थे।
• एक बार वे अपनी सेना के साथ महर्षि वशिष्ठ के आश्रम पहुंचे।
• वशिष्ठ ने कामधेनु गाय के माध्यम से पूरी सेना का आतिथ्य किया।