
वाल्मीकि रामायण – बालकाण्ड – सर्ग 47 में महर्षि विश्वामित्र राम और लक्ष्मण को लेकर विशाला नगरी पहुँचते हैं। वहाँ के राजा सुमति उनका आदरपूर्वक स्वागत करते हैं। इस दौरान राजा सुमति, विश्वामित्र से पूछते हैं कि वे इन दो दिव्य रूप वाले राजकुमारों (राम और लक्ष्मण) को कहाँ ले जा रहे हैं और उनके आने का उद्देश्य क्या है।
राजा सुमति के वंश का उल्लेख
राजा सुमति के वंश का उल्लेख करते हुए महर्षि विश्वामित्र कहते हैं कि –
1. इक्ष्वाकु वंशीय राजा अनरण्य के वंश में एक महाप्रतापी राजा विशाल उत्पन्न हुए।
2. उन्होंने इस विशाला नगरी की स्थापना की, जो अब बहुत समृद्ध और वैभवशाली नगरी बन चुकी है।
3. विशाल के बाद उनके पुत्र हेमचन्द्र राजा बने।
4. हेमचन्द्र के बाद उनका पुत्र सुतपास्तथा राजा बना।
5. सुतपास्तथा के पुत्र बृहदश्व हुए, जो बहुत पराक्रमी राजा थे।
6. बृहदश्व के पुत्र कुशिक हुए, जिन्होंने अपने शौर्य और पराक्रम से प्रसिद्धि पाई।
7. कुशिक के पुत्र संहिताश्व हुए, जो इस कुल के एक और महान राजा थे।
8. इन्हीं के वंश में आगे चलकर सुमति राजा हुए, जो वर्तमान में इस विशाला नगरी के शासक हैं।
इस प्रकार, राजा सुमति का वंश इक्ष्वाकु वंश से संबंधित है और उनके पूर्वजों में कई प्रतापी राजाओं का जन्म हुआ, जिन्होंने अपनी वीरता और धर्मपरायणता से ख्याति अर्जित की।