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DEVINE VERSES (दिव्य श्लोक)
कीर्ति बल्लभ जोशी
70 episodes
1 day ago
"दिव्य श्लोक" एक आध्यात्मिक पॉडकास्ट है जो वाल्मीकि रामायण और अन्य पवित्र हिंदू ग्रंथों की कालातीत कहानियों और शिक्षाओं को साझा करने के लिए समर्पित है। इस श्रृंखला में, हम प्राचीन ग्रंथों की गहरी और अद्भुत कथाओं को प्रस्तुत करेंगे, उनकी ज्ञानवर्धक शिक्षाओं को समझेंगे और आज के जीवन में उनकी प्रासंगिकता को खोजेंगे। हर एपिसोड में श्रोताओं को भगवान राम, सीता, और अन्य प्रमुख पात्रों की अद्भुत कहानियों की यात्रा पर ले जाया जाएगा, जैसा कि वाल्मीकि रामायण में वर्णित है। साथ ही, पॉडकास्ट में अन्य पवित्र ग्रंथों से प्रेरक चर्चाएँ और कथाएँ भी प्रस्तुत की जाएंगी, जो आध्यात्मिक ज्ञान और प्रेरणा का खजाना है
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"दिव्य श्लोक" एक आध्यात्मिक पॉडकास्ट है जो वाल्मीकि रामायण और अन्य पवित्र हिंदू ग्रंथों की कालातीत कहानियों और शिक्षाओं को साझा करने के लिए समर्पित है। इस श्रृंखला में, हम प्राचीन ग्रंथों की गहरी और अद्भुत कथाओं को प्रस्तुत करेंगे, उनकी ज्ञानवर्धक शिक्षाओं को समझेंगे और आज के जीवन में उनकी प्रासंगिकता को खोजेंगे। हर एपिसोड में श्रोताओं को भगवान राम, सीता, और अन्य प्रमुख पात्रों की अद्भुत कहानियों की यात्रा पर ले जाया जाएगा, जैसा कि वाल्मीकि रामायण में वर्णित है। साथ ही, पॉडकास्ट में अन्य पवित्र ग्रंथों से प्रेरक चर्चाएँ और कथाएँ भी प्रस्तुत की जाएंगी, जो आध्यात्मिक ज्ञान और प्रेरणा का खजाना है
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वाल्मीकि रामायण बालकाण्ड त्रिषष्टितम: सर्ग
DEVINE VERSES (दिव्य श्लोक)
9 minutes
8 months ago
वाल्मीकि रामायण बालकाण्ड त्रिषष्टितम: सर्ग

1. विश्वामित्र की तपस्या और महर्षि पद की प्राप्ति

शुनःशेप की रक्षा करने के बाद महर्षि विश्वामित्र ने फिर से कठोर तपस्या आरंभ कर दी। उन्होंने अनेक वर्षों तक घोर तप किया, जिससे प्रसन्न होकर ब्रह्मदेव ने उन्हें दर्शन दिए और कहा—

"हे विश्वामित्र! तुम्हारी तपस्या अत्यंत प्रभावशाली है। अब तुम 'महर्षि' कहलाओगे।"

ब्रह्मदेव ने यह भी कहा कि यद्यपि उन्होंने महर्षि पद प्राप्त कर लिया है, फिर भी वे 'ब्रह्मर्षि' तब तक नहीं बन सकते जब तक कि ऋषि वशिष्ठ उन्हें यह पद स्वीकार नहीं कर लेते।

  • जब विश्वामित्र अपनी तपस्या को और भी कठोर बनाने लगे, तो देवराज इंद्र को चिंता होने लगी।

  • उन्होंने सोचा कि यदि विश्वामित्र ने इतनी प्रचंड तपस्या जारी रखी, तो वे स्वर्ग को भी चुनौती दे सकते हैं।

  • इस कारण इंद्र ने अप्सरा मेनका को विश्वामित्र का तप भंग करने के लिए भेजा।

  • अप्सरा मेनका अत्यंत सुंदर और आकर्षक थी।

  • उसने अपने मधुर स्वर, मनोहर रूप, और कोमल हाव-भावों से विश्वामित्र का मन मोह लिया।

  • धीरे-धीरे वह उनके पास जाने लगी और अपनी सौंदर्य-माया से उन्हें रिझाने का प्रयास करने लगी।

  • विश्वामित्र, जो वर्षों से कठोर तपस्या में लीन थे, मेनका के मोहजाल में फँस गए।

  • विश्वामित्र ने मेनका के साथ कई वर्षों तक रमण किया और उनके प्रेम में बंध गए।

  • इस संबंध से एक कन्या 'शकुंतला' का जन्म हुआ, जो आगे चलकर राजा दुष्यंत की पत्नी बनीं और जिनके पुत्र भरत के नाम पर भारतवर्ष का नामकरण हुआ।

  • अनेक वर्षों के बाद, जब विश्वामित्र को अपनी तपस्या के भंग होने का आभास हुआ, तो उन्हें घोर पश्चाताप हुआ।

  • वे यह समझ गए कि इंद्र ने उनकी तपस्या को भंग करने के लिए यह योजना बनाई थी।

  • क्रोधित होकर उन्होंने मेनका को त्याग दिया और पुनः कठोर तपस्या का संकल्प लिया।

  • उन्होंने यह निश्चय किया कि वे अब अत्यंत कठिन तपस्या करेंगे और किसी भी प्रकार के मोह में नहीं पड़ेंगे।

  1. मन पर नियंत्रण रखना आवश्यक है – विश्वामित्र जैसे महान तपस्वी भी मोह-माया के कारण भटक गए।

  2. इंद्र का भय और ऋषियों की तपस्या – देवता सदैव ऋषियों की तपस्या से भयभीत रहते थे, क्योंकि तपस्या से ऋषियों को अपार शक्ति मिलती थी।

  3. मोह का प्रभाव – मेनका के रूप में भोग-विलास ने विश्वामित्र की कठोर तपस्या को बाधित कर दिया।

  4. पश्चाताप और सुधार – विश्वामित्र ने अपनी गलती को पहचाना और पुनः कठोर तपस्या का निश्चय किया।

DEVINE VERSES (दिव्य श्लोक)
"दिव्य श्लोक" एक आध्यात्मिक पॉडकास्ट है जो वाल्मीकि रामायण और अन्य पवित्र हिंदू ग्रंथों की कालातीत कहानियों और शिक्षाओं को साझा करने के लिए समर्पित है। इस श्रृंखला में, हम प्राचीन ग्रंथों की गहरी और अद्भुत कथाओं को प्रस्तुत करेंगे, उनकी ज्ञानवर्धक शिक्षाओं को समझेंगे और आज के जीवन में उनकी प्रासंगिकता को खोजेंगे। हर एपिसोड में श्रोताओं को भगवान राम, सीता, और अन्य प्रमुख पात्रों की अद्भुत कहानियों की यात्रा पर ले जाया जाएगा, जैसा कि वाल्मीकि रामायण में वर्णित है। साथ ही, पॉडकास्ट में अन्य पवित्र ग्रंथों से प्रेरक चर्चाएँ और कथाएँ भी प्रस्तुत की जाएंगी, जो आध्यात्मिक ज्ञान और प्रेरणा का खजाना है