मंथरा की मति भ्रष्ट | अयोध्या काँड | Bharatvani KavitaSingsIndia Bhakti Sahitya Sangeet
सीता की विदाई Sita ki Vidai | राधेश्याम रामायण Radheshyam Ramayan recited by Kavita Singh | भारतवाणी Bharatvani KavitaSingsIndia भक्ति साहित्य संगीत
विवाह के उपरांत सीता विदा होकर चलीं ससुराल, जनकपुरी से अयोध्या
Sita Ram Vivah Vachan विवाह वचन | राधेश्याम रामायण | Bharatvani KavitaSingsIndia भक्ति साहित्य संगीत
सीता राम विवाह | बालकाण्ड राधेश्याम रामायण | Narrated by Kavita | Bharatvani KavitaSingsIndia
धनुष तोड़ श्रीराम ने किया सीता का वरण | बालकाण्ड | राधेश्याम रामायण | Narrated by Kavita Singh | Bharatvani KavitaSingsIndia
सीता स्वयंवर Sita Swayamvar | बालकाण्ड राधेश्याम रामायण Baalkand Radheshyam Ramayan | Bharatvani KavitaSingsIndia
पुष्प वाटिका में राम सीता साक्षात्कार | बालकाण्ड | Radheshyam Ramayan narrated by Kavita Singh | Bharatvani KavitaSingsIndia
पुष्पवाटिका भ्रमण को निकले राम | Baalkand | Radheshyam Ramayan narrated by Kavita Singh | Bharatvani KavitaSingsIndia
Ram Janm | Radheshyam Ramayan narrated by Kavita Singh | Bharatvani KavitaSingsIndia
Ram Avtaar ki katha | Radheshyam Ramayan narrated by Kavita Singh | Bharatvani KavitaSingsIndia
विश्वास, विनय और विश्राम - Bharat Bharati 65 (भविष्यत खण्ड ) - मैथिलीशरण गुप्त
भविष्य की आशा और हमारे आदर्श - Bharat Bharati 64 (भविष्यत खण्ड ) - मैथिलीशरण गुप्त
नवयुवाओं से उद्बोधन - Bharat Bharati 63 (भविष्यत खंड) - मैथिलीशरण गुप्त
Soundaryalahari Shlok 100_
प्रदीप ज्वालाभि-र्दिवसकर-नीराजनविधिः_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
प्रदीप ज्वालाभि-र्दिवसकर-नीराजनविधिः
सुधासूते-श्चन्द्रोपल-जललवै-रघ्यरचना ।
स्वकीयैरम्भोभिः सलिल-निधि-सौहित्यकरणं
त्वदीयाभि-र्वाग्भि-स्तव जननि वाचां स्तुतिरियम् ॥ 100 ॥
Soundaryalahari Shlok 99_
सरस्वत्या लक्ष्म्या विधि हरि सपत्नो विहरते_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
सरस्वत्या लक्ष्म्या विधि हरि सपत्नो विहरते
रतेः पतिव्रत्यं शिथिलपति रम्येण वपुषा ।
चिरं जीवन्नेव क्षपित-पशुपाश-व्यतिकरः
परानन्दाभिख्यं रसयति रसं त्वद्भजनवान् ॥ 99 ॥
Soundaryalhari Shlok 98_
कदा काले मातः कथय कलितालक्तकरसं_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitasingsIndia
कदा काले मातः कथय कलितालक्तकरसं
पिबेयं विद्यार्थी तव चरण-निर्णेजनजलम् ।
प्रकृत्या मूकानामपि च कविता0कारणतया
कदा धत्ते वाणीमुखकमल-ताम्बूल-रसताम् ॥ 98 ॥
Soundaryalahari Shlok 97_ गिरामाहु-र्देवीं द्रुहिणगृहिणी-मागमविदो_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
गिरामाहु-र्देवीं द्रुहिणगृहिणी-मागमविदो
हरेः पत्नीं पद्मां हरसहचरी-मद्रितनयाम् ।
तुरीया कापि त्वं दुरधिगम-निस्सीम-महिमा
महामाया विश्वं भ्रमयसि परब्रह्ममहिषि ॥ 97 ॥
Soundaryalahari Shlok 96_
कलत्रं वैधात्रं कतिकति भजन्ते न कवयः_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
कलत्रं वैधात्रं कतिकति भजन्ते न कवयः
श्रियो देव्याः को वा न भवति पतिः कैरपि धनैः ।
महादेवं हित्वा तव सति सतीना-मचरमे
कुचभ्या-मासङ्गः कुरवक-तरो-रप्यसुलभः ॥ 96 ॥
Soundaryalahari Shlok 95_
पुरारन्ते-रन्तः पुरमसि तत-स्त्वचरणयोः_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
पुरारन्ते-रन्तः पुरमसि तत-स्त्वचरणयोः
सपर्या-मर्यादा तरलकरणाना-मसुलभा ।
तथा ह्येते नीताः शतमखमुखाः सिद्धिमतुलां
तव द्वारोपान्तः स्थितिभि-रणिमाद्याभि-रमराः ॥ 95 ॥
Soundaryalahari Shlok 94_
कलङ्कः कस्तूरी रजनिकर बिम्बं जलमयं_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
कलङ्कः कस्तूरी रजनिकर बिम्बं जलमयं
कलाभिः कर्पूरै-र्मरकतकरण्डं निबिडितम् ।
अतस्त्वद्भोगेन प्रतिदिनमिदं रिक्तकुहरं
विधि-र्भूयो भूयो निबिडयति नूनं तव कृते ॥ 94 ॥