शास्त्रों से प्राप्त होता है कि लक्ष्मी जी, श्रीनारायण की वक्ष निवासिनी भी गोपी बनने की तपस्या करती हैं । इसी से स्पष्ट होता है कि गोपी भाव कितना श्रेष्ठ है...!!
किन्तु गौड़ीय वैष्णव के मूल आचार्य गोपी बनने की कामना भी नहीं करते ।
इसका क्या कारण है ?
गोपी भाव या मञ्जरी भाव - क्या श्रेष्ठ है ?
अपनी संस्था के आचार्य के प्रति सम्मान होना चाहिए किन्तु इस आधार पर अपना जीवन व्यतीत करना कि - "हम अपनी संस्था के आचार्य (उदाहरण - श्रील प्रभुपाद) के अलावा किसी के ग्रन्थ नहीं पढ़ते— क्या यह बुद्धिमता है? इस video के द्वारा स्पष्ट किया जा रहा है।
Iskcon को गौड़ीय वैष्णव संस्था कहा जाता है । किंतु क्या iskcon में भक्ति गौड़ीय वैष्णव सम्प्रदाय के अनुसार करी जाती है ?
क्या iskcon का तिलक और गौड़ीय सम्प्रदाय का तिलक एक समान है ?
क्या iskcon और गौड़ीय सम्प्रदाय की भोग पद्धति, पञ्चतत्व मन्त्र, दीक्षा मन्त्र, वस्त्र इत्यादि एक समान हैं ?
वास्तविकता जानिए एवं स्वयं निर्णय कीजिए ।
सामान्यतः Iskcon भक्तों को राधा नाम लेने के लिए मना किया जाता है ।
तो क्या गौड़ीय वैष्णव राधा-नाम नहीं ले सकते ?
गौड़ीय वैष्णवों के मूल आचार्यों का क्या मत है - श्रीश्री 108 शचीनन्दन जी महाराज इस Video में स्पष्ट कर रहे हैं।
भक्ति विज्ञान है... साथ ही भक्ति अति सरल एवं स्पष्ट है। रसिकजन गाते हैं -
जाकी उपासना ताहि की वासना
ताहि के नाम, रूप, गुण गाइये ।
इस Video में श्रीश्री 108 शचीनन्दन जी महाराज इसका विस्तृत वर्णन देते हैं ।
य इदं परमं गुह्यं मद्भक्तेष्वभिधास्यति।
भक्तिं मयि परां कृत्वा मामेवैष्यत्यसंशयः ॥
(भगवद् गीता १८.६८)
भगवद् गीता का यह श्लोक जो Iskcon संस्था का आधार है, उसका वास्तविक अर्थ क्या है ? किस प्रकार भक्त भगवान् का प्रिय बन सकता है ?
भक्त का अर्थ है कि वह भगवान् को भोग अर्पण तो अवश्य करेगा।
किन्तु Iskcon में बताया जाता है कि हम भगवान् को सीधे भोग नहीं अर्पण कर सकते क्योंकि हम योग्य नहीं हैं ।
अतः श्रीप्रभुपाद को निवेदन करते हैं कि वे भोग अर्पण करें ।
क्या यही सही विधि है ?
क्या हम भगवान् को भोग अर्पण करने के योग्य नहीं है ?
"गौड़ीय ग्रन्थों में केवल रस तत्त्व हैं, उसमें सिद्धान्त के विषय में नहीं बताया गया ।"
- यह प्रचलित धारणा है ।
क्या यह वास्तविकता है ?
श्रीश्री 108 शनीनन्दन जी महाराज इसका स्पष्टीकरण करते हैं ।
इस audio में श्री श्री 108 शचीनन्दन जी महाराज हमारे लिए एक legitimate doubt (विधिसम्मत संशय) उत्पन्न कर उसी का निवारण सरल एवं शास्त्रीय शब्दों से कर रहे हैं कि हमारी, गौड़ीय वैष्णवों की माधुर्य भाव में गोपी भाव की उपासना है या मञ्जरी भाव की ??
सिद्ध श्रीश्री गौरकिशोर दास बाबाजी महाराज और सिद्ध श्रीश्री जगन्नाथदास बाबाजी महाराज क्या एक परम्परा में हो सकते हैं?
Iskcon में क्या कहा जाता है और वास्तविकता क्या है? इस video के माध्यम से समझा जा सकता है।
Iskcon में प्रचलित है कि - वे श्रीभक्तिविनोद ठाकुर, श्रीगौरकिशोर दास बाबाजी, श्रीजगन्नाथदास बाबाजी की शिक्षा परम्परा में हैं। तो क्या वह उनकी शिक्षाओं का वास्तव में अनुसरण करते हैं?
गौड़ीय वैष्णव का अर्थ है- महाप्रभु के अनुयायी होना । Iskcon के सभी भक्तों को स्वयं से पूछना चाहिए-
क्या आप श्रीमन् महाप्रभु द्वारा प्रदत्त साधना कर रहे हैं ?
इस Video के माध्यम से गौड़ीय वैष्णवों की साधना के सम्बन्ध में श्रीश्री 108 शचीनन्दन जी महाराज मार्ग दर्शन कर रहे हैं ।
0:00 - Intro
1:06 - Guru’s Praṇāma Mantra: namaḥ oṁ viṣṇu-pādāya
7:31 - Mātājī’s name-Devi Dāsī…. Or…. In Mātājī’s name-Devi Dāsī ???
12:17 - Difference between Cult & Sampradāya
21:51 - Bhaktisiddhānta Sarasvatī Ṭhākura... The Saviour, The Destroyer
47:49 - ISKCON ke Dīkṣā Guru ka tyāga ~ Aparādha?!?
56:46 - Gauḍīya Vaiṣṇavism & Iskcon
1:07:34 - Can we directly offer Flowers, Garland to Spiritual Master?
1:16:44 - गौड़ीय वैष्णवों की मंगला आरती
1:25:28 - Granthas ~ As it is OR from Preaching Point of view
1:34:55 - Bhagavad Gītā 18.68-18.69
1:43:54 - Can Gaura Kiśora Dāsa Bābājī Mahārāja and Jagannātha Dāsa Bābājī Mahārāja be in same Paramparā?
1:49:04 - Are you in Śikṣā Paramparā of Bhaktivinoda Ṭhākura, Gaura Kiśora Dāsa Bābājī Mahārāja, Jagannātha Dāsa Bābājī Mahārāja?
1:58:55 - We ONLY know and follow Śrīla Prabhupāda…!!
2:04:28 - DEITIES- Rādhā-London Īśvara
Rādhā-Paris Īśvara
Rādhā-Bombay Īśvara
जब पता चलता है कि Iskcon में बहुत कुछ गलत प्रकार से किया जाता है - तिलक, भोग अर्पण की विधि इत्यादि और भक्त में गौड़ीय वैष्णव सम्प्रदाय में आश्रय लेने की इच्छा जागृत होती है, तो समान्यता देखा जाता है कि उसे Iskcon गुरु त्याग करने के अपराध का भय होता है ।
इस विषय पर महाराज जी समस्त वैष्णवों के कल्याण हेतु संशयों का निवारण कर रहे हैं ।