CT scan fatty liver kitna hona chahiye|क्या CT स्कैन फैटी लिवर की जानकारी देता है ?#liver #ct #fatty
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गैस्ट्रिक क्या है और इसका सही इलाज?
*परिचय*
भारत में इस तरह की प्रॉब्लम अब बहुत ही ज्यादा देखने को मिलता है।  गैस की समस्या ,आज के समय में  बहुत ही आम बात हो गयी है।
-यह समस्या तब होती है, जब पेट में गैस का ज्यादा उत्पादन होता है. या तो सही तरह से गैस बाहर नहीं निकल पाती है ।
- यह एक सामान्य प्रॉब्लम है, पर इसका सही इलाज और ध्यान नही दिया जाए, तो यह *एसिडिटी, पेट में तेज दर्द, या अल्सर* जैसी गंभीर बीमारियों हो सकती है.
१ ) गैस्ट्रिक समस्या क्या है?
गैस्ट्रिक को हम दूसरे शब्दो में “पेट में गैस बनना” भी कहा जाता है।
- जब भोजन सही ढंग से नहीं पचता है, तो उसमें मौजूद कार्बोहाइड्रेट और फैट्स आंतों में किण्वित होकर गैस उत्पन्न करते हैं।
- इस गैस से छाती या पेट के ऊपरी भाग में तेज दर्द या सीने में जलन , और भारीपन का कारण बनती है।
२) गैस्ट्रिक की मुख्य वजह क्या है?
- 1. **ख़राब तरह का खानपान** : – बहुत ही ज्यादा तला-भुना, और मसालेदार भोजन , या बाहर का खाना बहुत ही ज्यादा मात्रा में खाना या तो,देर से खाना खाना।
- 2. **खाने की अनियमित दिनचर्या** :– बहुत ही लंबे समय तक रहना या बार-बार खाना।
- 3. मानसिक तनाव से पाचन को बहुत ही ज्यादा असर होता है।
- 4. शरीर में से पानी की कमी का होना।
- 5. ज्यादा कैफीन और शराब का सेवन करने से पेट की अम्लता को बढ़ाता हैं।
- 6. **धूम्रपान करने से पेट के म्यूकोसा को नुकसान होता है।
३)  गैस्ट्रिक के क्या लक्षण हो सकते है?
गैस्ट्रिक के लक्षण निचे बताये अनुसार हो सकते है , जैसे की,
- पेट में गैस बन जाना और सीने में बहुत ही तेज दर्द का होना
- मुँह में से खट्टी डकारें का आना
- सही तरह से भूख न लगना
* सिर में तेज दर्द और चिड़चिड़ापन लगना
यदि इस तरह की स्थिति बार-बार हो, जाये तो *GERD** का संकेत हो सकता है।
४ ) गैस्ट्रिक होने पर क्या खाएँ और क्या नहीं खाएँ?
#क्या खाएँ#
* हल्का और कम मसाले वाला भोजन को खाना
* केला, पपीता और सेब बहुत ही लाभदायक है
* दही और छाछका सेवन करना
* उचित मात्रा में पानी को पीना
# क्या न खाएँ#
* ज्यादा  तले-भुने और मसालेदार वाला  भोजन नहीं करना
* फास्ट फूड, और कोल्ड ड्रिंक से दुरी बनाये रखना 
* चाय और कॉफ़ी को कम पीना
* देर रात में खाना को नहीं खाना
# दैनिक आदतें#
* खाना को अच्छे से चबाकर और धीरे-धीरे खाएँ।
* भोजन करने के बाद में तुरंत न लेटें।
* डेली कसरत या मॉर्निंग में टहलना
५) गैस्ट्रिक से बचाव के प्रभावी उपाय क्या है?
निचे कुछ उपाय को बताया गया है, जैसे की,
- 1. दिन में ३ बार हल्का - हल्का करके भोजन करें,
- 2. कम से कम 7 घंटे तक नींद लें।
- 3. भोजन करने के बाद में तुरंत नहीं सोना चाहिए।
- 4. धूम्रपान और शराब से पूरी तरह से दूरी को बनाएँ
- 5. तनाव को कम करने के लिए मॉर्निंग में योग करें।
- 6. ज्यादा मसालेदार, तैलीय और जंक फूड से परहेज़ करें।
१) Pancreatitis Atrophy का इलाज – कारण, लक्षण और उपचार की पूरी जानकारी?
#परिचय
**पैंक्रियाटाइटिस एट्रोफी ** का अर्थ होता है की, *अग्न्याशय  का सिकुड़ जाना।
- यह प्रकार की स्थिति **क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस** के ज्यादा लंबे समय तक बने रहने के कारण से होता है।
- जब बार-बार सूजन होता है, तो पैंक्रियाज के ऊतक धीरे-धीरे से नष्ट हो जाते हैं, और उसका अंग छोटा और कमजोर हो जाता है।
 - यह तरह की समस्या धीरे-धीरे पाचन को असर करती है ,और शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाने से ,या तो,  वज़न  कम होने जैसी परेशानी  होती है.
२) पैंक्रियाटाइटिस एट्रोफी का प्रमुख कारण क्या होता है?
पैंक्रियाज  सिकुड़ने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे की,
 1.** ज्यादा लंबे समय तक शराब का सेवन** लगातार शराब पीने से पैंक्रियाज में सूजन हो जाती है, जो की बाद में उसे हानि कर सकता है.
 2. **क्रॉनिक पैंक्रिएटाइटिस**   – पुराने सूजन के कारण से पैंक्रियाज के टिश्यू फाइब्रोटिक होने से काम करना बंद कर देते हैं। 
 3. **ऑटोइम्यून पैंक्रिएटाइटिस**   – शरीर की रोग-प्रतिरोधक प्रणाली पैंक्रियाज के कोशिका पर हमला कर देते है। 
 4. कुछ लोगों में तो, जन्म से ही पैंक्रियाज कमजोर होता है, और सही तरह के  एंजाइम असामान्य बनते हैं।  5. गॉलब्लैडर स्टोन**   – पित्त नली के अवरोध से पैंक्रियाज में दबाव बढ़ने लग जाता है, जिस से की हानि होता है।
३)  Pancreatitis Atrophy के क्या लक्षण हो सकते है?
इसके लक्षण धीरे-धीरे से होते हैं. जो की इस तरह से होते है, * ऊपरी पेट में लगातार दर्द का होना
 *  अपच  जैसा लगना
 * वज़न का कम  हो जाना
 * भूख में भी कमी होना या तो भूख नहीं लगना
 * ब्लड शुगर का बढ़ जाना इस तरह के लक्षणों को नज़रअंदाज़ किया गया , तो पैंक्रियाज के  कार्य करने की क्षमता लगभग खत्म हो जाती है।
 ४) Pancreatitis Atrophy के लिए डॉक्टर किस तरह की (जांचें) करते है?
Pancreatic atrophy का पता करने के लिए डॉ. कुछ जाँच करवाने को कहते हैं, जैसे की,  1. CT Scan या MRI :– पैंक्रियाज के आकार और संरचना को देखने के लिए किया जाता है. 2. **Endoscopic Ultrasound** :– ऊतक के हानि और फाइब्रोसिस का आकलन के लिए । 3. **Pancreatic Function Test** :– एंजाइम और कार्य क्षमता को मापने के लिए।
 4. **Blood Test ** : – सूजन और एंजाइम असामान्यता के जांच के लिए।
 #उपचार?
Pancreatitis Atrophy का इलाज उसके कारण और लक्षण पर निर्भर करता है। जैसे की,  #1. *आहार और जीवनशैली में परिवर्तन* पैंक्रियाटाइटिस एट्रोफी के दर्दी को खाने-पीने में और अपने जीवन शैली पर ध्यान देना चाहिए।  **खाने में क्या खाना चाहिए** -  उबली हुई सब्ज़ियाँ और दलिया का उपयोग करना 
 *  पचने वाले प्रोटीन * विटामिन- A, D, K वाले खाद्य पदार्थ को खाने से 
 ** क्या नहीं खाना चाहिए**  -  ज़्यादा तैलीय और ज्यादा मसालेदार तली हुई चीज़ें।  * चाय और कॉफ़ी और कार्बोनेटेड ड्रिंक * शराब और धूम्रपान *
*किस आदत को सुधारें** * भोजन को छोटे - छोटे हिस्सों में ३-४ बार-बार खाएं  * तनाव से बचें और डेली कसरत करे।  * सही तरह से ७-८ घंटे की नींद को लें.  #2 .*सर्जिकल या एंडोस्कोपिक उपचार*  कई बार डक्ट ब्लॉकेज होने पर सर्जरी की आवश्यकता होती है, जैसे की,
 *Endoscopic stenting :  – पित्त या पैंक्रियाज डक्ट को खोलने के लिए.  *Partial Pancreatectomy : – खराब भाग को निकालना। *Celiac plexus block * :– दर्द को कम करने के लिए नर्व ब्लॉक
१)सीलिएक डिज़ीज़ का इलाज क्या है?
यह ऑटोइम्यून विकार है, जिस में शरीर ग्लूटेन नामक प्रोटीन को पचाने में असमर्थ है।
- जब भी कोई मरीज सीलिएक रोग से पीड़ित होते है, तो भी ग्लूटेन वाला भोजन करते है, तो उसके रोग-प्रतिरोधक प्रणाली आंतों के दीवार पर हमला करते है। जिस के कारण से आंतों में सूजन आ जाते है.
- भोजन से मिलने वाला पोषक तत्व को ठीक से अवशोषित भी नहीं कर पाता है। जिस के परिणाम स्वरूप शरीर में पोषण की कमी और एनीमिया, हड्डियों में कमजोरी और अन्य जटिल समस्याएँ भी हो सकती हैं।
आज के लेख में समझेंगे कि, सीलिएक डिज़ीज़ का इलाज क्या है, इसका प्रबंधन कैसे किया जाता है. और मरीज़ को क्या सावधानियों का पालन करना चाहिए।
२) सीलिएक डिज़ीज़ का मूल उपचार क्या है?
चिकित्सा विज्ञान में **सीलिएक रोग का कोई स्थायी इलाज ** अभी तो उपलब्ध नहीं है।
- इस बीमारी को दवा से ठीक नहीं कर सकते है , पर जीवनशैली और आहार में परिवर्तन करके कर सकते है। सबसे प्रभावी और प्रमुख इलाज है।
#1.**ग्लूटेन-फ्री डाइट**
सीलिएक डिज़ीज वाले  मरीज को जीवनभर **ग्लूटेन-मुक्त भोजन** करना होता है। जिसका अर्थ है, कि गेहूँ, और जौ ,राई में से बनने वाले  पदार्थ को पूरी तरह छोड़ देना सही है।
**Avoid Foods**
* गेहूँ की रोटी, नान, ब्रेड, केक, बिस्किट आदि को नहीं खाना ।
* जौ से बने पेय पदार्थ को भी नहीं खाना चाहिए.
* किसी भी तरह का प्रसंस्कृत खाना जिसमें ग्लूटेन मिश्रित हो।
**खाने वाले खाद्य पदार्थ**
* मक्का (कॉर्न)
* बाजरा, और ज्वार
* आलूऔर शकरकंद
* ताजे फल और ताजे सब्ज़ियाँ
* दूध से बनने वाले उत्पाद (यदि लैक्टोज इनटॉलरेंस नही हो तो )
# 2. **पोषण कमी की पूर्ति **
सीलिएक मरीज को अक्सर पोषण की कमी होती है, क्योंकि ज्यादा लंबे समय तक आंतें पोषक तत्वों को सही तहर से अवशोषित नहीं कर पातीं है।  इसलिए डॉ.कुछ निम्नलिखित सप्लीमेंट्स लेने की सलाह भी  देते हैं – जैसे की ,
* आयरन सप्लीमेंट : – एनीमिया को दूर करने के लिए.
* हड्डियों के मजबूती के लिए कैल्शियम और विटामिन-D
* विटामिन-B12 और फोलिक एसिड : – थकान और न्यूरोलॉजिकल समस्याओं से बचाव के लिए।
* मेटाबॉलिज्म को सुधारने के लिए जिंक और मैग्नीशियम।
#3. **दवाइयाँ और अन्य उपचार**
* सीलिएक का **कोई इलाज दवा से नहीं होता है.**
* यदि ग्लूटेन-फ्री डाइट देना शुरू करने के बाद भी लक्षण बने हैं, तो डॉ. सूजन को कम करने के लिए **स्टेरॉयड दवाएँ** देते है।
#4. **जीवनशैली और सावधानियाँ**
* कोई भी तरह का पैक्ड फूड खरीदते समय हमेशा **ग्लूटेन-फ्री वाला लेबल** को देखें।
* ज्यादातर बाहर खाना खाते टाइम में सावधानी रखें, क्योंकि यह तली हुई चीज़ों में छुपा हुआ ग्लूटेनहो सकता है।
* अपने परिवार और मित्र को इसके बारे में बताएं, ताकि वे खाने-पीने में ध्यान रख सकें।
5. **दीर्घकालिक प्रबंधन**
यह रोग अगर हो जाए तो जीवनभर  ग्लूटेन से परहेज़ करना बहुत ही जरुरी हो जाता है।
* अगर मरीज नियमित रूप से डाइट का पालन करे, तो वह भी सामान्य जीवन जी सकता है।
6. **भविष्य की संभावनाएँ**
विज्ञान लगातार सर्च कर रहा है, ताकि सीलिएक रोग का कोई स्थायी इलाज खोज सके। अभी जिन क्षेत्रों पर काम हो रहा है, जैसे की ,–
* वैकल्पिक दवाइयाँ: ** :- ऐसी कोई दवा जो ग्लूटेन को तोड़कर उसे नुकसानदायक बनने से रोक सके ।
* टीकाकरण (Vaccine):** :- इम्यून सिस्टम को ग्लूटेन को सहन करने योग्य बनाने के प्रयास।
*एंजाइम सप्लीमेंट्स:** जो खाने में होने वाला ग्लूटेन को हानिरहित बना सकें।
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१. होम्योपैथी मेडिसिन कैसे काम करती है?
होम्योपैथी एक वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली है जो "समरूपता के सिद्धांत" (Law of Similars) पर आधारित है। इस सिद्धांत के अनुसार, जो पदार्थ स्वस्थ व्यक्ति में किसी विशेष रोग के लक्षण उत्पन्न करता है, वही पदार्थ बहुत ही सूक्ष्म मात्रा में लेकर रोगी में उन लक्षणों का उपचार कर सकता है। यह चिकित्सा प्रणाली 18वीं शताब्दी में जर्मन चिकित्सक सैमुएल हैनीमैन द्वारा विकसित की गई थी।
  
२. होम्योपैथी का सिद्धांत और कार्यप्रणाली?
(1)समरूपता का नियम (Law of Similars) इस सिद्धांत के अनुसार, "जो चीज बीमारी उत्पन्न कर सकती है, वही उसे ठीक भी कर सकती है।"
 -उदाहरण के लिए, क्विनाइन (Cinchona Bark) मलेरिया जैसी बीमारी के लक्षण पैदा करता है, इसलिए होम्योपैथी में इसे मलेरिया के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
 (२) अत्यधिक पतला (Ultra Dilution) और शक्ति प्रदान करना (Potentization) होम्योपैथिक दवाओं को प्राकृतिक स्रोतों (पौधे, खनिज, पशु उत्पाद) से तैयार किया जाता है और उन्हें बार-बार पतला (dilute) किया जाता है।
 - इस प्रक्रिया को "पोटेंशिएशन" कहा जाता है, जिससे दवा में मूल पदार्थ के अणु नगण्य रह जाते हैं, लेकिन उसकी ऊर्जा या कंपन शरीर को प्रभावित करता है।
 (३) शरीर की आत्म-उपचार शक्ति (Self-Healing Power) को बढ़ावा होम्योपैथी शरीर की प्राकृतिक रोग-प्रतिरोधक क्षमता (immunity) को बढ़ाकर उसे खुद से ठीक करने में मदद करती है। यह सिर्फ लक्षणों को दबाने के बजाय बीमारी के मूल कारण को ठीक करने पर ध्यान केंद्रित करती है।
३.होम्योपैथी के कार्य करने का तरीका ?
- ऊर्जा स्तर पर कार्य करती है
 होम्योपैथिक दवाएं अत्यधिक पतली होती हैं, वे शरीर की ऊर्जा प्रणाली को संतुलित करने का काम करती हैं।
 यह जैव-ऊर्जा (Vital Force) को उत्तेजित करके शरीर को खुद से ठीक करने के लिए प्रेरित करती हैं।  - कोशिकाओं और अंगों पर प्रभाव  जब होम्योपैथिक दवा शरीर में जाती है, तो यह कोशिकाओं के स्तर पर कार्य करके उनके कार्यों को सामान्य बनाती है।  - बिमारी के मूल कारण पर काम
 होम्योपैथी सिर्फ बाहरी लक्षणों को ठीक करने के बजाय बीमारी की जड़ तक पहुंचकर उसे ठीक करने का कार्य करती है। यह मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक स्तर पर कार्य करके समग्र स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करती है।
 ४.होम्योपैथिक उपचार के फायदे?
-सुरक्षित और प्राकृतिक
– इसमें केमिकल्स नहीं होते, इसलिए यह शरीर के लिए सुरक्षित है।
 -बच्चों और बुजुर्गों के लिए उपयुक्त – होम्योपैथी दवाएं सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए सुरक्षित हैं।  -पुरानी और जटिल बीमारियों में प्रभावी – एलर्जी, अस्थमा, त्वचा रोग, माइग्रेन, और आर्थराइटिस जैसी बीमारियों में लाभकारी होती हैं। -मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव – तनाव, चिंता, डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याओं में भी असरदार होती है।
 ५ .क्या होम्योपैथी वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है?
होम्योपैथी पर कई शोध हुए हैं, लेकिन वैज्ञानिक समुदाय में इसे लेकर मिश्रित राय है। कुछ अध्ययन होम्योपैथी को प्रभावी मानते हैं, जबकि कुछ इसे प्लेसिबो प्रभाव (Placebo Effect) मानते हैं। हालांकि, दुनियाभर में लाखों लोग इसे अपनाते हैं और इसका लाभ अनुभव कर चुके हैं।
Bulky Pancreas | Acute Necrotizing Pancreatitis treatment | Hepatosplenomegaly | lesser SAC | EDEMAबिना ऑपरेशन पैंक्रियास का इलाज : प्राकृतिक और चिकित्सीय उपाय
पैंक्रियास हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो पाचन तंत्र को नियंत्रित करने और इंसुलिन उत्पादन में मदद करता है। पैंक्रियास से जुड़ी बीमारियाँ, जैसे कि पैंक्रियाटाइटिस (Pancreatitis) या पैंक्रियाटिक इनसफिशिएंसी, काफी गंभीर हो सकती हैं। हालांकि, शुरुआती अवस्था में कई मामलों में ऑपरेशन के बिना भी इलाज संभव है।
 -इस लेख में, हम पैंक्रियास की समस्याओं के बिना सर्जरी इलाज के प्राकृतिक, आयुर्वेदिक और चिकित्सीय उपायों पर चर्चा करेंगे।
  
1. पैंक्रियास की समस्याओं के लक्षण क्या होते है ?
यदि पैंक्रियास सही से काम नहीं कर रहा है, तो निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं: - पेट के ऊपरी भाग में दर्द होना
 -जी मिचलाना और उल्टी
 -वज़न में कमी
 -गैस, बदहजमी, दस्त  -ब्लड शुगर लेवल में अनियमितता
   
2. बिना ऑपरेशन पैंक्रियास का इलाज कैसे होता है ?
(A) जीवनशैली और आहार में बदलाव
 पैंक्रियास को अच्छा रखने के लिए खान-पान और जीवनशैली में बदलाव ज़रूरी हैं।
 1. पौष्टिक आहार लें
-कम चर्बी वाला भोजन करें, क्योंकि चर्बी पैंक्रियास पर अधिक दबाव डाल सकता है।
 -उच्च फाइबर युक्त आहार लें, जैसे कि फल, सब्ज़ियाँ और साबुत अनाज।
 -प्रोसेस्ड फूड, तला-भुना और मसालेदार भोजन से बचें।
 2. हाइड्रेशन
 -पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, जिससे शरीर से विषैले तत्व निकलते रहें। 
 3. शराब और धूम्रपान से दुरी
 शराब और धूम्रपान पैंक्रियास को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं इसलिए इनसे दुरी बनाये रखे 
 4. नियमित व्यायाम करें
(B) आयुर्वेदिक और प्राकृतिक उपचार 
1. गिलोय और हल्दी 
 गिलोय एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जो पाचन क्रिया को बेहतर बनाती है और सूजन कम करती है। हल्दी में करक्यूमिन (Curcumin) पाया जाता है, जो पैंक्रियास की सूजन को कम करने में सहायक है।
 (C) होम्योपैथिक और प्राकृतिक चिकित्सा कुछ होम्योपैथिक दवाएँ और प्राकृतिक उपचार पैंक्रियास के इलाज में मदद कर सकते हैं: 
Iris Versicolor: यह पैंक्रियास की सूजन को कम करने में मदद करती है।
 Phosphorus: पाचन क्रिया को सुधारने के लिए उपयोगी होती है।
 Nux Vomica: अपच और गैस की समस्या के लिए कारगर है।
 (D) डॉक्टर द्वारा सुझाए गए मेडिकल उपचार
 अगर समस्या ज्यादा गंभीर है, तो डॉक्टर द्वारा सुझाए गए गैर-सर्जिकल उपचार अपनाने चाहिए:  
1. एंजाइम सप्लीमेंट्स
पैंक्रियास अगर पर्याप्त एंजाइम नहीं बना पा रहा हो, तो डॉक्टर एंजाइम सप्लीमेंट्स दे सकते हैं, जो पाचन में मदद करते हैं। 2. दर्द निवारक दवाएँ
अगर पैंक्रियाटाइटिस के कारण दर्द हो रहा है, तो डॉक्टर दर्द कम करने वाली दवाएँ लिख सकते हैं। 
 3. इंसुलिन थेरेपी
अगर पैंक्रियास इंसुलिन का उत्पादन कम कर रहा है, तो इंसुलिन थेरेपी की जरूरत पड़ सकती है।
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१) मेसेंटेरिक लिम्फ नोड्स कब-कब बढ़ते हैं?
मानव शरीर की रोग-प्रतिरोधक में लिम्फ नोड्स बहुत ही महत्वपूर्ण रोल अदा करते है।
- ये छोटे-छोटे ग्रंथि होती हैं, जिनका कार्य संक्रमण या सूजन से लड़ना है।
- जब पेट या आंतों में कोई संक्रमण या सूजन हो जाती है, तो **मेसेंटरी (mesentery)** यानी आंतों को पेट की दीवार से जोड़ने वाले हिस्से में मौजूद लिम्फ नोड्स अक्सर बढ़ जाते हैं। इसे **Mesenteric Lymphadenopathy** भी कहा जाता है।
२). सामान्य कारण मेसेंटेरिक लिम्फ नोड्स बढ़ते हैं?
#(क) संक्रमण
- बच्चों में वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस बहुत ही नार्मल कारण है। जिस में की दस्त, और बुखार के साथ लिम्फ नोड्स बढ़ सकते हैं।
- कुछ बैक्टीरियल संक्रमण कारण से भी ये संक्रमण आंत की दीवार में सूजन कर देते हैं, जिससे बड़े हो जाते हैं।
#(ख) सूजन के संबंधी रोग
*क्रोहन * और ** अल्सरेटिव कोलाइटिस ** में सूजन के कारण से भी लिम्फ नोड्स बड़े हो जाते हैं।
- जब अपेंडिक्स में सूजन हो जाती है, तो उसके आस- पास में मेसेंटेरिक लिम्फ नोड्स भी बढ़ सकते हैं।
#(ग) कैंसर संबंधी कारण
* कैंसर के फैलने से भी  लिम्फ नोड्स में असामान्य वृद्धि को देखा  जा सकता है।
३)इसके क्या लक्षण हो सकते है?
सामान्य लक्षण इस तरह के हो सकते है. जैसे की,
* पेट में बहुत ही तेज दर्द खासकर के नाभि की और।
* दस्त या उल्टी का होना
* पेट में सूजन हो जाना
* बार -बार थकान लगना
४)मेसेंटेरिक लिम्फ नोड्स में क्या  जांच करते है?
डॉ. कुछ इस तरह के  जांचें कर सकते हैं जैसे की,
*अल्ट्रासाउंड से बच्चों में लिम्फ नोड्स की वृद्धि को देखने के लिए किया जाता है.
*CT Scan / MRI: → नोड्स के आकार और उनकी स्थिति की पूरी जानकारी के लिए।
* ब्लड टेस्ट से संक्रमण और सूजन के कारणों का पता के लिए।
*बायोप्सी : यदि कैंसर , टीबी की संभावना है, तो लिम्फ नोड से सैंपल लेकर जांच की जाती है।
५) कब डॉक्टर से संपर्क करें?
* जब बार-बार पेट का दर्द लगातार बढ़े तब ।
* बुखार ३-४ दिनों तक रहते रहे।
* वजन का अचानक से कम हो जाना ।
* अल्ट्रासाउंड/CT रिपोर्ट में बड़े लिम्फ नोड्स दिखें।
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१)पैंक्रियाज के Neck में Mildly Atrophied का इलाज?
मानव शरीर में पैंक्रियाज बहुत ही  महत्वपूर्ण अंग है, जो की पाचन और रक्त शर्करा को नियंत्रण में भूमिका निभाता है।
- पैंक्रियाज पेट के पीछे होता है, और मुख्य तीन भाग में बाँटा गया है –
**हेड **, **नेक**, और **टेल**।
- कभी-कभी इमेजिंग टेस्ट में रिपोर्ट में पता चलता है कि, पैंक्रियाज के नेक वाले भाग में हल्की सिकुड़न देखी गई है।
२) पैंक्रियाज में एट्रोफी क्या है?
Atrophy का अर्थ है,की  किसी भाग या ऊतक के आकार छोटा हो जाना या तो उसका  कार्य करने की क्षमता में कमी का आ जाना।
* जब पैंक्रियाज के किसी भाग में एट्रोफी होता है, तो वहां की कोशिका सिकुड़ जाती हैं।
* यदि यह **(हल्की)** है, तो कोई भी गंभीर लक्षण नहीं देती है, पर समय के साथ समस्या और भी बढ़ सकती है।
३) पैंक्रियाज के Neck में Mild Atrophy के संभावित कारण क्या है?
1. * उम्र बढ़ने के साथ में पैंक्रियास का साइज भी धीरे-धीरे से छोटा हो जाता है।
* एट्रोफी वृद्ध लोगों में बहुत ही ज्यादा देखने को मिलती है।
2. क्रॉनिक पैन्क्रियाटाइटिस में लंबे समय तक सूजन हो जाने से ग्रंथी सिकुड़ सकती है।
* इसमें बहुत ही दर्द, और पाचन की समस्या और मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है।
3. * यदि उस भाग में खून का प्रवाह कम होने लग जाए तो ऊतक धीरे-धीरे सिकुड़ने लग जाते है.
4.* पैंक्रियाज की नली में रुकावट आ जाने से उस क्षेत्र पर दबाव पड़ता है और साथ में एट्रोफी हो सकता है।
5. * कई बार तो पैंक्रियाज की कोशिका सिकुड़ कर उस ही जगह पर में फैट जमा होने लग जाता है। इसे **lipomatosis** भी कहते हैं।
४) क्या लक्षण है?
इसके लक्षण निचे बताये अनुसार हो सकते है , जैसे की.
* ऊपरी पेट में तेज दर्द का होना या तो , पीठ में दर्द का होना
* भूख भी कम लगना
* वज़न का घट जाना
* अपच, और गैस, की प्रॉब्लम का होना
* मधुमेह का खतरा हो सकता है।
५) डॉ. किस तरह की जाँच करते है?
अगरआप के रिपोर्ट में *“mildly atrophied pancreas neck”* लिखा है, तो डॉ. इन टेस्ट्स की सलाह देते हैं: जैसे की,
1.इमेजिंग टेस्ट में तो :– CT Scan, MRI, या तो Ultrasound जैसे टेस्ट करवाना।
2. रक्त की जांच : – एमिलेज , लिवर फंक्शन टेस्ट , ब्लड शुगर।
3. **स्टूल टेस्ट से **: – चर्बी की मात्रा और पाचन एंजाइम कमी की जाँच करने के लिए।
#क्या जटिलताएँ हो सकते है?
अगर एट्रोफी का कारण इलाज के बिना बढ़ता रहा तो.
* बार-बार पेट में तेज दर्द का होना
* कुपोषण
* मधुमेह का खतरा भी होता है ।
#किस तरह से बचाव कर सकते है?
* शराब और धूम्रपान से पूरी तरह की दूरी बनाएं।
* हेल्दी डायट को अपनाएं जिस में की ताजे फल, और सब्जियां, प्रोटीन होता है ।
* डेली कसरत करें।
* अगर पेट में बार-बार दर्द होता हो या तो पाचन समस्या लंबे समय तक हो तो तुरंत डॉ. को दिखाएं।
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१) क्या अल्सरेटिव कोलाइटिस जानलेवा बीमारी है?
भारत में आजकल पाचन तंत्र से जुड़ी बीमारी तेजी से बढ़ रही हैं। जो की महिला और पुरुष दोनों वर्ग में देखने को मिलता है।  इनमें से **अल्सरेटिव कोलाइटिस **, है, जो की बड़ी आंत और मलाशय  को असर करती है।
- यह **दीर्घकालिक सूजन से संबंधी रोग** है, जिसमें की आंत की अंदर की परत पर छाले और सूजन हो जाते हैं।
- कुछ लोग इसको साधारण पेट की बीमारी समझ लेते हैं, पर वास्तव में यह गंभीर स्थिति भी बन सकती है।
२) अल्सरेटिव कोलाइटिस क्या है में मरीज को क्या लक्षण होते है?
इस में रोगी को अक्सर ये लक्षण दिखाई देते हैं. जैसे की , 
 * बार-बार दस्त का होना, जिस में  की खून आ सकता है.
 * पेट में बहुत ही तेज दर्द और ऐंठन का होना
 * अचानक से  वजन का कम हो जाना 
 * थकान और कमजोरी जैसा हो जाना  *कभी -कभी तो भूख न लगन भी नहीं लगना
  
३) क्या यह जानलेवा बीमारी है?
सामान्य स्थिति में अल्सरेटिव कोलाइटिस ** जानलेवा नहीं है **, अगर इस बीमारी को नजर अंदाज कर दिया जाए और इलाज सही से न किया जाए तो यह **गंभीर जटिलताओं** का कारण बन सकती है।
- इन्हीं जटिलता के कारण से यह बीमारी **जीवन के लिए खतरा** बन सकती है।
*अल्सरेटिव कोलाइटिस से जुड़ी गंभीर जटिलताएँ*
1.**गंभीर रक्तस्राव** लगातार आंत में से खून आ जाने पर कभी-कभी तो **एनीमिया** भी हो सकता है। अधिक रक्तस्राव की स्थिति जानलेवा भी बन जाती है। 
 2. **टॉक्सिक मेगाकोलन ** यह गंभीर स्थिति है, जिस में की बड़ी आंत अचानक से फैलने  लग जाती है और उस में गैस जमा होने लग  जाती है। समय पर सही इलाज न हो तो आंत फट सकती है, जिस से की संक्रमण और मृत्यु का खतरा और भी बढ़ जाता है। 
 3.**आंत का फटना** आंत में छेद होने से बैक्टीरिया पेट की गुहा में पहुँच सकते हैं. और **सेप्सिस** जैसी जानलेवा समस्या हो सकती है. 4. **कैंसर का खतरा**   ज्यादा समय तक अल्सरेटिव कोलाइटिस रहने पर बड़ी आंत में **कोलन कैंसर** होने का खतरा ज्यादा होता है.
 5.**शरीर पर अन्य प्रभाव** * लिवर की बीमारी * आँखों, त्वचा और जोड़ों में सूजन हो जाना * हड्डियों में भी कमजोरी होना इन सभी कारणों से यह बीमारी गंभीर रूप ले सकती है।
 ४) अल्सरेटिव कोलाइटिस का  इलाज क्यों ज़रूरी है?
इसका  अभी तक  कोई भी तरह से **पूर्ण इलाज** नहीं है, पर दवा और जीवनशैली में बदलाव लाने से इसे **नियंत्रित** किया जा सकता है। - अगर मरीज समय पर इलाज ले और डॉ. की सलाह का पालन करे, तो वह सामान्य जीवन जी सकता है।
 #अल्सरेटिव कोलाइटिस का इलाज 
१) **सर्जरी** जब दवा से फायदा न मिले, तो डॉ. आंत का प्रभावित भाग निकालने की सलाह दे सकते हैं।
 - कई बार पूरी बड़ी आंत को हटाना भी पड़ सकता है। जिस से की रोग पूरी तरह खत्म हो सकता है, पर यह बड़ा और बहुत ही जटिल ऑपरेशन होता है।  २). *जीवनशैली और खानपान में परिवर्तन से**   *आसानी से पचने वाले और  संतुलित भोजन को  लें.  * ज्यादा मसालेदार और तैलीय भोजन नहीं खाना चाहिए।  * शराब और धूम्रपान से दुरी बनाये रखना। 
 * तनाव को कम करने के लिए कसरत करे.
 ५) क्या मरीज सामान्य जीवन जी सकता है?
जवाब = हाँ, पर रोगी ** सही समय पर सही निदान** कराए और **नियमित इलाज** ले, तो वह सामान्य जीवन जी सकता है।
 - बहुत से लोग इस बीमारी के साथ रहते हुए भी पढ़ाई, और  नौकरी, परिवार की जिम्मेदारियाँ निभाते हैं।
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होम्योपैथी में कैंसर का उपचार: एक समग्र दृष्टिकोण
कैंसर एक जटिल और घातक बीमारी है, जो असामान्य कोशिका वृद्धि के कारण होती है। आधुनिक चिकित्सा में कैंसर के उपचार के लिए सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी जैसे विकल्प उपलब्ध हैं। लेकिन कई लोग होम्योपैथी की ओर भी रुख कर रहे हैं, जो एक समग्र और प्राकृतिक उपचार पद्धति मानी जाती है।
1) होम्योपैथी की अवधारणा?
होम्योपैथी एक वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली है, जो 'समरूपता के सिद्धांत' (Law of Similars) पर आधारित है। यह मान्यता रखती है कि जो पदार्थ स्वस्थ व्यक्ति में किसी विशेष बीमारी के लक्षण उत्पन्न कर सकता है, वही पदार्थ अत्यंत पतली मात्रा में लेकर रोगी के शरीर में उसकी प्राकृतिक उपचार प्रक्रिया को सक्रिय कर सकता है।
  
2) कैंसर में होम्योपैथी कैसे काम करती है?
होम्योपैथी कैंसर को केवल एक शारीरिक समस्या के रूप में नहीं देखती, बल्कि इसे मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक असंतुलन का परिणाम मानती है। यह उपचार प्रक्रिया को चार प्रमुख तरीकों से प्रभावी बनाती है:
 * रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना *
- होम्योपैथी शरीर की प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में सहायता करती है, जिससे कैंसर कोशिकाओं के प्रसार को धीमा किया जा सकता है।
 * लक्षणों में सुधार
 -कैंसर के कारण उत्पन्न दर्द, सूजन, थकान और मानसिक तनाव को कम करने में होम्योपैथिक दवाएँ प्रभावी हो सकती हैं।
 * अवरुद्ध ऊर्जा प्रवाह को संतुलित करना
 -होम्योपैथी शरीर के भीतर ऊर्जा प्रवाह को संतुलित करने का प्रयास करती है, जिससे शरीर की स्व-उपचार प्रणाली सक्रिय हो जाती है। * कीमोथेरेपी और रेडिएशन के दुष्प्रभावों को कम करना
 -होम्योपैथिक दवाएँ कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी के दुष्प्रभावों जैसे मतली, उल्टी, बाल झड़ना और कमजोरी को कम करने में सहायक हो सकती हैं।
3)होम्योपैथी और समग्र उपचार?
होम्योपैथी कैंसर के लक्षणों का इलाज करने तक ही सीमित नहीं रहती, बल्कि यह हमारे पूरे शरीर को अच्छा बनाने पर ध्यान देती है। इसके तहत मरीज के जीवनशैली, खानपान और मानसिक स्थिति रोगी के उपचार में तेजी लाई जाती है
सावधानियां और सीमाएं
होम्योपैथी कई तरह के बीमारी या रोगों में लाभकारी है, लेकिन कैंसर जैसी स्थिति में इसे मुख्य चिकित्सा के रूप में अपनाने से पहले एक बार अनुभवी डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। कई बार कैंसर उन्नत अवस्था में होता है, जहां तत्काल सर्जरी या अन्य उपचार आवश्यक हो सकते हैं।
4) क्या होम्योपैथी कैंसर का पूर्ण इलाज कर सकती है?
होम्योपैथी कैंसर का पूर्ण इलाज कर सकती है या नहीं, इस पर चिकित्सा जगत में मतभेद हैं। हालांकि, यह निश्चित रूप से कैंसर रोगियों की जीवन गुणवत्ता को सुधार सकती है और लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती है। यह उन मरीजों के लिए विशेष रूप से उपयोगी हो सकती है, जो पारंपरिक उपचार के साथ-साथ एक समग्र और कम हानिकारक उपचार की तलाश में हैं।
निष्कर्ष
होम्योपैथी एक प्राकृतिक और व्यक्तिगत चिकित्सा प्रणाली है, जो कैंसर के लक्षणों को कम करने और शरीर की प्राकृतिक उपचार प्रणाली को सक्रिय करने में सहायक हो सकती है। हालाँकि, कैंसर जैसी गंभीर बीमारी में पारंपरिक चिकित्सा के साथ होम्योपैथी को सहायक चिकित्सा के रूप में अपनाना अधिक सुरक्षित और प्रभावी हो सकता है। रोगी को हमेशा एक योग्य चिकित्सक से परामर्श करके ही होम्योपैथिक उपचार अपनाना चाहिए।