Home
Categories
EXPLORE
True Crime
Comedy
Society & Culture
Business
News
Sports
TV & Film
About Us
Contact Us
Copyright
© 2024 PodJoint
Podjoint Logo
US
00:00 / 00:00
Sign in

or

Don't have an account?
Sign up
Forgot password
https://is1-ssl.mzstatic.com/image/thumb/Podcasts125/v4/94/62/3e/94623e7b-3908-cae6-6b69-2587acfc5e13/mza_11839746573068086303.jpg/600x600bb.jpg
yaadon ka Pitara
Karan Verma
2 episodes
1 day ago
Stay Tune!!!
Show more...
Personal Journals
Society & Culture
RSS
All content for yaadon ka Pitara is the property of Karan Verma and is served directly from their servers with no modification, redirects, or rehosting. The podcast is not affiliated with or endorsed by Podjoint in any way.
Stay Tune!!!
Show more...
Personal Journals
Society & Culture
https://d3t3ozftmdmh3i.cloudfront.net/production/podcast_uploaded_episode/2851162/2851162-1615139094038-5a66ef6dd19a.jpg
Yaaden
yaadon ka Pitara
2 minutes 35 seconds
4 years ago
Yaaden

पिछले कुछ दिनों में life में काफी उतार चढ़ाव आए हैं या फिर ये भी कहा जा सकता है की सिर्फ उतार आए हैं,ऐसा पहले कभी महसूस नहीं किया था।एक शख़्स जो कुछ महने पहले हमेशा साथ रहेगा केह रहा था, महीने पहले किसी और के लिए छोड़ गया। बिना ये सोचे की मुझ पर क्या गुजरेगा। उसने कहा कि बस अब वो नहीं रह सकती और चली गई।मानने की नाकाम कोशिश की मैंने पर उसने ना मानने का मन बना लिया था और उसने अपने मन की करी और चली गई।

उसके जाने के बाद सब अजीब सा लग रहा था मतलब अधूरा सा लगने लगा, रोना चाह रहा था पर रो भी पा रहा था आवज गले तक आ कर दब सी जाती थी। दोस्तो ने काफी साथ दिया ऐसे समय में पर कुछ देर के लिए तो लगता था कि सब ठीक है पर जैसे हीं अकेला होता उसकी यादों से घिर जाता, उसके वापिस आ जाने की उम्मीद करता, भले हीं मै अपने दोस्तो को केह चुका था कि अगर वो वापिस मेरे Life में आना चाहेगी भी तो मै मना कर दूंगा। अपने बेस्ट फ्रेंड से घंटो बात करता और दबी हुई आवाज में उसे बताता की क्या महसूस कर रहा हूं कई बार बता देता और जब नहीं बता पाता तो रो देता था।दोस्त अपनी और से हर बार मोटिवेट करता और समझता पर जैसे हीं फोन कटता और फिर मै अकेला होता और फिर पुरानी यादों मै कैद हो जाता। 

ऐसा नहीं था कि मै अपनी ओर से कोशिश नहीं करता था कि मुझे उसकी याद ना आए। मै खुद को अपने काम में व्यस्त रखने की कोशिश करता, फिल्में देखता, बाहर घूमने जाता पर होता ये था कि जो भी करता था उसमे भी उसके बारे में सोचता रहता था। और ये कोशिश महीने से कर रहा हूं कि ना आए मुझे उसकी याद, पर कोशिश नाकाम रहती है। मै जबरदस्ती अपने चेहरे पर मुस्कान बनाए रखता था ताकि किसी को पता ना चले कि मै ठीक नहीं हूं। 

वैसे इतना कुछ होने के बाद भी मुझे उस से कोई शिकायत नहीं है बस एक उम्मीद है सब ठीक हो जाएगा। पर फिर सोचता हूं कि इतना होने के बाद भी सब ठीक हो भी जाए तो क्या वो सच में ठीक होना कहलाएगा? 

जवाब चाहूंगा अगर आपके पास हो तो !  :- Karan Verma

yaadon ka Pitara
Stay Tune!!!