An epoch-making initiative to establish real human development and peace through an excellent education system of mind-development.
Hello,
This is to introduce you to an excellent and incomparable system of education for true human development and peace!
We can see, if we look around carefully with a little watchful eye, the whole human race is going through a terrible crisis and severe illness. And as the days go by, the intensity of this misery and suffering is increasing.
To this day, no one has been able to stop the inhumane acts of injustice, corruption, oppression, rape, deception, v
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An epoch-making initiative to establish real human development and peace through an excellent education system of mind-development.
Hello,
This is to introduce you to an excellent and incomparable system of education for true human development and peace!
We can see, if we look around carefully with a little watchful eye, the whole human race is going through a terrible crisis and severe illness. And as the days go by, the intensity of this misery and suffering is increasing.
To this day, no one has been able to stop the inhumane acts of injustice, corruption, oppression, rape, deception, v
महर्षि महामानस के महान सिद्धांत ~ 'महावाद' इस युग का उपनिषद है
Wisdom of Maharshi MahaManas
5 minutes 13 seconds
3 years ago
महर्षि महामानस के महान सिद्धांत ~ 'महावाद' इस युग का उपनिषद है
महर्षि महामानस के महान सिद्धांत ~ 'महावाद' इस युग का उपनिषद है। जो मानव विकास और विश्व शांति का एकमात्र मार्ग है!
महर्षि महामानस के मानव मुक्ति के क्रांतिकारी सिद्धांत ~ 'महावाद' का सार कथा:
दुनिया भर में अधिकांश मानव निर्मित समस्याएं~ अन्याय-अत्याचार, उत्पीड़न, धोखाधड़ी, गरीबी, अशांति आदि सबका मूल कारण, लोगों के पर्याप्त ज्ञान और चेतना की कमी और मानसिक बीमारी हैं। कुसंस्कार, अंध भक्ति, अन्धविश्वास, हिंसा-घृणा-आतंक सब उन्हीं से उत्पन्न होते हैं।
वास्तविक मानव विकास और विश्व शांति तभी प्राप्त की जा सकती है जब 'महावाद' के महान सिद्धांत की 'महामनन' नामक आध्यात्मिक तथा आत्मविकास कि शिक्षा और प्रशिक्षण को हर जगह पेश किया जाए। जब मन-विकास की शिक्षा के माध्यम से वास्तविक मानव विकास का एहसास होगा, तो अधिकांश मानव-केंद्रित समस्याओं और संकटों का समाधान हो जाएगा।
हमारे ज्ञान और चेतना की कमी के कारण, हम खुद को एक स्वतंत्र ~ आत्म-नियंत्रित कर्ता के रूप में एक अहं-चेतन सत्ता के रूप में देखते हैं या मानते हैं। पर्याप्त ज्ञान और चेतना की कमी के कारण, हम यह महसूस नहीं करते हैं कि हमारा अस्तित्व, हमारे सभी विचार, व्यवहार और गतिविधियाँ कई चीजों पर निर्भर और बहुत सी चीजों द्वारा परिचालित हो रहा है।
मानव-केंद्रित सभी समस्याएं यहीं से शुरू हुईं। हम समस्या का मूल कारण नहीं देखते हैं। हम समस्या की जड़ की तलाश नहीं करता। हम आँख बंद करके इसकी शाखाओं में समाधान खोजते हैं।
एक ही घटना से अनेक घटनाएँ जन्म लेती हैं। उन घटनाओं से और भी कई घटनाओं बनते हैं। फिर से, उन घटनाओं से अनगिनत घटनाओं का जन्म हो रहा है। इस तरह एक के बाद एक परम्परागत घटनाओं का निर्माण जारी है। हमारा वर्तमान अस्तित्व घटनाओं के उस परम्परागत प्रवाह की उपज है। इतना ही नहीं, हम और हमारी सभी गतिविधियाँ और कुछ नहीं बल्कि घटनाओं के वैश्विक प्रवाह का हिस्सा हैं। लेकिन हमारा अज्ञानी मन इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं है।
हम स्वतंत्र ~ स्वशासीत प्राणी बिल्कुल नहीं हैं। हमारे अस्तित्व सहित हमारी सभी गतिविधियाँ, स्वचालित जागतिक घटनाओं की जागतिक प्रणाली या व्यवस्था के अधीन हैं। लेकिन हमारा स्वल्प चेतन अहंकारी मन इसे स्वीकार नहीं करना चाहता।
इस महाविश्व के निर्माण की शुरुआत में, उस आदिम घटना से सभी घटनाओं की उत्पत्ति हुई और सब कुछ बन गया। यहां जो कुछ हुआ है~ वह हो रहा है और भविष्य में होगा ~ सृष्टि की शुरुआत में उस मूल घटना से स्वचालित रूप से निर्धारित हो गया है। इस पूर्वनिर्धारित और अपरिवर्तनीय घटनाओं को हम नियति या भाग्य कहते हैं।
यदि आप भाग्य के बारे में विस्तार से जानने में रुचि रखते हैं, तो मैं आपसे एक विज्ञान जर्नल में प्रकाशित महर्षि महामानस के शोध पत्र को पढ़ने का अनुरोध करूंगा। साथ ही गूगल सर्च करें: भाग्य क्या है, महर्षि महामानस।
हम इतने अज्ञान के अंधेरे में क्यों डूब रहे हैं? हमारे विकास के रास्ते में मुख्य बाधाएँ कहाँ हैं? आज पता लगाने का समय आगये।
जिसको धारण करने या अपनाने से, जिसका अभ्यास करने से स्वस्थ और विकसित मन का मनुष्य बनना, ज्ञान और चेतना से समृद्ध व्यक्ति बनना संभव है, वास्तव में यही धर्म है। जो हमें विकास के पथ से भटकाता है, विपथगामी करता है, अन्धविश्वासी और गुलाम बना देता है, आत्म-विकास के माध्यम से हमें आत्मनिर्भर के बजाय आश्रित दास बना देता है, वह कभी भी मनुष्य का धर्म नहीं हो सकता।
हम में से कई लोग अपने ही धर्म को सबसे अच्छा धर्म मानते हैं। क्या आपको कभी आश्चर्य नहीं होता कि अगर हमारा धर्म सबसे अच्छा धर्म है तो धार्मिक शिक्षा और अभ्यास हमें आज भी सर्वश्रेष्ठ मानव जाति क्यों नहीं बना सके? इस धर्म ने हमें पर्याप्त रूप से विकसित मन कि मनुष्य क्यों नहीं बनाया? हम अभी भी अज्ञानता के अंधेरे में क्यों हैं? हम पर बार-बार विदेशी विधर्मी लोग हमला क्यों करते हैं? हमें अत्याचार और उत्पीड़न क्यों सहना पड़ता है? हमें अलग-अलग लोगों के ज्ञान को अपनाकर क्यों जीना परता है?
हम इतने ही कुएं का मेंढक बन गये हैं कि सवाल पूछना भूल गये। आत्म-आलोचना हमारे लिए दर्दनाक हो गई है! हम झूठी आत्म-संतुष्टि से मुग्ध रहना पसंद करते हैं, और सोचते हैं कि क्रमिक विनाश की ओर जाने वाले मार्ग ही हमारा भाग्य है।
हम कहते हैं, "मुझे सत्य चाहिए"। दरअसल हम सत्य नहीं चाहते। हम अपने अस्तित्व को खतरे में डालने के डर से सत्य से बचते हैं। क्योंकि हमारा अस्तित्व झूठ पर आधारित है! हम अपने विश्वासों और झूठ को सत्य के रूप में लेते हैं।
खुशखबरी! युग परिवर्तन के इस गहरे संकट में वास्तविक मानव विकास और विश्व शांति की स्थापना के उद्देश्य से, हमें अज्ञानता के अंधकार से बचाने के लिए, मुक्त सूर्य के रूप में मनुष्य का प्
Wisdom of Maharshi MahaManas
An epoch-making initiative to establish real human development and peace through an excellent education system of mind-development.
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We can see, if we look around carefully with a little watchful eye, the whole human race is going through a terrible crisis and severe illness. And as the days go by, the intensity of this misery and suffering is increasing.
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