
मोहब्बत में हो आज़ादी कोई पेहरा नही मिलता
मगर अब प्यासी अखियाँ हैं कोई कतरा नही मिलता
मिरी बातों पे मरते हो तो सुन लो राज़ से गहरा
मिरी आवाज़ से जाना मेरा चेहरा नहीं मिलता
वो बातें ढेर सारी सी जो करना चाहते तुमसे
मगर जब सामने आओ तो एक जुमला नही मिलता
वो अपनी चाल चलके खुश है शतरंजी बिसातों में
यूं आगे किस को कर दूँ मैं कोई मोहरा नही मिलता
मेरा अब नाम आता है ज़माने भर के रिन्दों में
मैं दे दूँ जान जिस पर वो मुझे चेहरा नहीं मिलता
के मुझसे चाँद पूछे है की क्या मुझको निकलना है
निकल आ तू मैं कहता हूँ कोई मसला नहीं मिलता
तिरे माथे पे जो चमका था वो मेरा ही सूरज था
तिरे ख़त के पुलिंदों में मेरा ही नाम ना मिलता
पटक के पैर जाता है ये गौरव अब न लौटेगा
लगा दूँ आग गलियों में मगर शोला नहीं मिलता
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