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सयानी बुआ कहानी में सयानी बुआ लेखिका की अपनी बुआ थी। जो हर काम को समय से करना ज्यादा पसंद करती थी।वह काफी कठोर थी। सबसे अपनी बात मनवाने में माहिर थी। अनावश्यक चीजों का दुरूपयोग उनको पसंद नहीं था।
वह स्वयं स्कूल में एक पेंसिल को जब तक छोटा होकर हाथ में न आ जाए गुस्से लिखती थी। रबर को भी ५-६ साल तक चलाती थी। चीजों को संभाल कर रखना वह खूब जानती थी।
लेखिका को अपनी बुआ के बारे में पिताजी से पता चला ।वह भी सयानी बुआ से बहुत डरती थी। एक दिन उनके पिताजी ने आगे की पढ़ाई के लिए उनको सयानी बुआ के यहां भेज दिया।
लेखिका सहमी सहमी गई थी। परिस्थिति सच में बहुत गंभीर थी। सयानी बुआ साफ सफाई बहुत पसंद करती थी। एक बार एक नौकर ने उनके ५ रूपयों के कांच के डब्बे को तोड़ दिया था तो उन्होंने उस बच्चे की बहुत पिटाई की थी।
A इस प्रकार की सयानी बुआ के पास जाकर रहकर पढ़ाई करने का अवसर लेखिका को मिला।
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