
"यह स्रोत 'द डेली बज्ज़ पॉडकास्ट' के एक एपिसोड के अंश प्रस्तुत करता है, जहाँ होस्ट धीरेन पाठक पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. नेहा मेहता के साथ कबूतरों से होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों पर चर्चा करते हैं। डॉ. मेहता बताती हैं कि कबूतरों के मल और पंखों में क्रिप्टोकोकस जैसे फंगस और बैक्टीरिया होते हैं, जो फेफड़ों और मस्तिष्क को संक्रमित कर सकते हैं, जिससे एलर्जिक ब्रोंकाइटिस और अस्थमा जैसी बीमारियाँ हो सकती हैं। बातचीत में इस बात पर जोर दिया गया है कि सूखा मल जब धूल के कणों की तरह हवा में घुल जाता है, तब उसे साँस में लेने से विशेष रूप से कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों के लिए ख़तरनाक हो सकता है। इन जोखिमों से बचने के लिए, डॉक्टर कबूतरों को दाना न डालने, जाली लगाने और सूखे मल को साफ करते समय मास्क और दस्ताने पहनने जैसी व्यावहारिक सावधानियों का सुझाव देती हैं।"