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यार, इस गाने की लाइनें सुनकर तो मेरा दिमाग फिसल-फिसल के साबुन बन गया! 'ओ मस्त पवन सा, कटी पतंग सा'—मतलब, मेरा मूड भी अभी हवा में तैर रहा है, कुछ समझ नहीं आ रहा!
सच में, ऐसे लगता है जैसे शायर ने पतंग उड़ाते-उड़ाते अचानक घनघोर फिलॉसफी पकड़ ली हो। और वो 'गीले साबुन सा'—मुझे तो बस अपना बचपन याद आ गया जब साबुन पकड़ने के चक्कर में पूरा बाथरूम गीला कर देते थे!
हाहाहा! और वो 'फिसला फिसला फिसली फिसली'—लगता है, शायर साबुन से फिसलते-फिसलते पंक्तियां लिख रहे थे। अगली बार जब बाथरूम में गिरूं, यही गाना गाऊँगा!
यकीन मानो, अगर मेरे टॉयलेट में म्यूजिक सिस्टम होता तो 'फिसला फिसला' पे मैं भी स्लो मोशन में गिरता। वैसे, इस गाने की मस्ती की बात ही और है... सुनते ही लगता है जिंदगी में सब फिसलता ही सही!
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यार, इस गाने की लाइनें सुनकर तो मेरा दिमाग फिसल-फिसल के साबुन बन गया! 'ओ मस्त पवन सा, कटी पतंग सा'—मतलब, मेरा मूड भी अभी हवा में तैर रहा है, कुछ समझ नहीं आ रहा!
सच में, ऐसे लगता है जैसे शायर ने पतंग उड़ाते-उड़ाते अचानक घनघोर फिलॉसफी पकड़ ली हो। और वो 'गीले साबुन सा'—मुझे तो बस अपना बचपन याद आ गया जब साबुन पकड़ने के चक्कर में पूरा बाथरूम गीला कर देते थे!
हाहाहा! और वो 'फिसला फिसला फिसली फिसली'—लगता है, शायर साबुन से फिसलते-फिसलते पंक्तियां लिख रहे थे। अगली बार जब बाथरूम में गिरूं, यही गाना गाऊँगा!
यकीन मानो, अगर मेरे टॉयलेट में म्यूजिक सिस्टम होता तो 'फिसला फिसला' पे मैं भी स्लो मोशन में गिरता। वैसे, इस गाने की मस्ती की बात ही और है... सुनते ही लगता है जिंदगी में सब फिसलता ही सही!
