
ये इक सोच है जिसे मेरे जेहन ने शब्दों में चित्रित किया है, मैं चित्रकार नहीं हूँ, शायद होती तो और बेहतर तरीके से इस सोच को चित्रित कर पाती। केवल शब्दों के द्वारा मैंने अपने जेहन में बस रहे आदर्श व्यक्तित्व को उभारने कि कोशिश कि है। कहते हैं कोई भी व्यक्तित्व तब तक अपूर्ण है जब तक उसमें स्त्री कि कोमलता और पुरूष की सबलता मौजूद ना हो, इक मनुष्य में जब स्त्रीत्व और पुरूषत्व समान मात्रा में विद्यमान हो तो ऐसे मनुष्य आदर्श हो जाते हैं। और मैंने अपने जेहन के इसी आदर्श व्यक्तित्व को उभारने की कोशिश कि है।
Name - Bharti Kumari
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Hello Everyone,
TDS PODCAST PRESENTS
3rd Episode Of Season 4
Written & Perform By Bharti Kumari
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TDS PODCAST TEAMS are very much happy to invite you to our *Brand New Season 4*
Theme: Open
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