Suryakant Tripathi "Nirala" ki Kahaniyan wa Upanyas सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराल
Sameer Goswami
127 episodes
2 weeks ago
निराला की रचनाओं में अनेक प्रकार के भाव पाए जाते हैं। उनकी रचनाओं में कहीं प्रेम की सघनता है, कहीं आध्यात्मिकता तो कहीं विपन्नों के प्रति सहानुभूति व सम्वेदना, कहीं देश-प्रेम का ज़ज़्बा तो कहीं सामाजिक रूढ़ियों का विरोध व कहीं प्रकृति के प्रति झलकता अनुराग। इलाहाबाद में पत्थर तोड़ती महिला पर लिखी उनकी कविता आज भी सामाजिक यथार्थ का एक आईना है। उनका ज़ोर वक्तव्य पर नहीं वरन् चित्रण पर था।
All content for Suryakant Tripathi "Nirala" ki Kahaniyan wa Upanyas सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराल is the property of Sameer Goswami and is served directly from their servers
with no modification, redirects, or rehosting. The podcast is not affiliated with or endorsed by Podjoint in any way.
निराला की रचनाओं में अनेक प्रकार के भाव पाए जाते हैं। उनकी रचनाओं में कहीं प्रेम की सघनता है, कहीं आध्यात्मिकता तो कहीं विपन्नों के प्रति सहानुभूति व सम्वेदना, कहीं देश-प्रेम का ज़ज़्बा तो कहीं सामाजिक रूढ़ियों का विरोध व कहीं प्रकृति के प्रति झलकता अनुराग। इलाहाबाद में पत्थर तोड़ती महिला पर लिखी उनकी कविता आज भी सामाजिक यथार्थ का एक आईना है। उनका ज़ोर वक्तव्य पर नहीं वरन् चित्रण पर था।
Apsara | Part 2 | A Novel by Suryakant Tripathi 'Nirala' | अप्सरा | सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का लिखा उपन्यास |
Suryakant Tripathi "Nirala" ki Kahaniyan wa Upanyas सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराल
6 minutes
2 years ago
Apsara | Part 2 | A Novel by Suryakant Tripathi 'Nirala' | अप्सरा | सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का लिखा उपन्यास |
एक तवायफ़ की संस्कारित, शिक्षित लड़की द्वारा विवाह कर, अपने आत्म सम्मान के साथ, सभ्य समाज में प्रवेश करने, और अपना स्थान व अधिकार प्राप्त करने की कहानी।
Suryakant Tripathi "Nirala" ki Kahaniyan wa Upanyas सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराल
निराला की रचनाओं में अनेक प्रकार के भाव पाए जाते हैं। उनकी रचनाओं में कहीं प्रेम की सघनता है, कहीं आध्यात्मिकता तो कहीं विपन्नों के प्रति सहानुभूति व सम्वेदना, कहीं देश-प्रेम का ज़ज़्बा तो कहीं सामाजिक रूढ़ियों का विरोध व कहीं प्रकृति के प्रति झलकता अनुराग। इलाहाबाद में पत्थर तोड़ती महिला पर लिखी उनकी कविता आज भी सामाजिक यथार्थ का एक आईना है। उनका ज़ोर वक्तव्य पर नहीं वरन् चित्रण पर था।