
इस्मत चुग़ताई का नाम भारतीय साहित्य में एक चर्चित और सशक्त कहानीकार के रूप में विख्यात हैं।उन्हें ‘इस्मत आपा’ के नाम से भी जाना जाता है। वे उर्दू साहित्य की सर्वाधिक विवादास्पद और सर्वप्रमुख लेखिका थीं, जिन्होंने महिलाओं के सवालों को नए सिरे से उठाया।
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"और बेचारी आलिमा निरि पान की दुक्की थी। फ़र्क इतना था की उसके सीने में शायद दिल नहीं था। क्यूंकि अगर दिल होता तो वो ज़रूर 'हाय' के दूध जैसे सफ़ेद पैरो तले लोटता होता।"..
"उस रात किसी के हसीन तस्सवुर में ग़र्क़ होने की बजाय अब्दुल है गुस्से से फनफनाते रहे, "काली माई... न जाने अपने आपको क्या समझती है। कम्बख़्त मरी हुई छिपकली! ख़ुदा क़सम उबकाई आती है।"..
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Sound Design: Gaurav Puri
Voice: Vipul Jaiswal