
Today I am reading a popular folk tale from Gujrat. It’s suitable for children 4 and above :)
आज सुना रही हूँ गुजरात की एक लोक- कथा.. आइए सुनते हैं आख़िर क्या और क्यों मिल रहा है “मुफ़्त ही मुफ़्त” !
कथा - ममता पांड्या
चित्र- श्रीविद्या नटराजन
अनुवाद - संध्या राव