
क्या विवाह के माध्यम से एकीकरण संभव है?
वेदों में सभी मानवों के लिए ज्ञान का प्रावधान है और शिक्षा भी समान रूप से उपलब्ध होनी चाहिए। इस एपिसोड में, आचार्य भक्तिपुत्र जी ने शारीरिक अहंकार और आत्म-श्रेष्ठता पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में सभी को समान माना जाता है और कोई भी अपने आप को श्रेष्ठ नहीं मान सकता। हमें सदाचरण करते हुये परोपकार की भावना से सभी का कल्याण करना चाहिये । क्या आप इस पॉडकास्ट को सुनकर अपने विचारों को साझा करना चाहेंगे?
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