एक ऐसा सफर जहाँ शुरुआत भी खुद से है और मंजिल भी खुद पर ही आकर ठहर गयी है
सोचा था की बहुत कुछ पा लेना है पर ठीक है जब हमारे बस में कुछ ना हो तो अपने ही खयालातों को बस कैद कर लेना चाहिए ,
मैंने भी यही कोशिश करी है