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Rajat Jain 🚩 #Chanting and #Recitation of #Jain & #Hindu #Mantras and #Prayers
Rajat Jain
810 episodes
16 hours ago
Chanting And Recitation Of Jain & Hindu Mantras And Prayers.
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Dash Mahavidya Stotram दश महाविद्या स्तोत्रम्
Rajat Jain 🚩 #Chanting and #Recitation of #Jain & #Hindu #Mantras and #Prayers
5 minutes 48 seconds
2 weeks ago
Dash Mahavidya Stotram दश महाविद्या स्तोत्रम्

Dash Mahavidya Stotra दश महाविद्या स्तोत्र


🍁दुर्ल्लभं मारिणींमार्ग दुर्ल्लभं तारिणींपदम्।

मन्त्रार्थ मंत्रचैतन्यं दुर्ल्लभं शवसाधनम्।।

श्मशानसाधनं योनिसाधनं ब्रह्मसाधनम्।

क्रियासाधनमं भक्तिसाधनं मुक्तिसाधनम्।।

तव प्रसादाद्देवेशि सर्व्वाः सिध्यन्ति सिद्धयः।।



नमस्ते चण्डिके । चण्डि । चण्ड-मुण्ड-विनाशिनि ।

नमस्ते कालिके । काल-महा-भय-विनाशिनी ।। 1 ।।


शिवे । रक्ष जगद्धात्रि । प्रसीद हरि-वल्लभे ।

प्रणमामि जगद्धात्री, जगत्-पालन-कारिणीम् ।। 2 ।।


जगत्-क्षोभ-करीं विद्यां, जगत्-सृष्टि-विधायिनीम् ।

करालां विकटा घोरां, मुण्ड-माला-विभूषिताम् ।। 3 ।।


हरार्चितां हराराध्यां, नमामि हर-वल्लभाम् ।

गौरीं गुरु-प्रियां गौर-वर्णालंकार-भूषिताम् ।। 4 ।।


हरि-प्रियां महा-मायां, नमामि ब्रह्म-पूजिताम् ।

सिद्धां सिद्धेश्वरीं सिद्ध-विद्या-धर-गणैर्युताम् ।। 5 ।।


मन्त्र-सिद्धि-प्रदां योनि-सिद्धिदां लिंग-शोभिताम् ।

प्रणमामि महा-मायां, दुर्गा दुर्गति-नाशिनीम् ।। 6 ।।


उग्रामुग्रमयीमुग्र-तारामुग्र - गणैर्युताम् ।

नीलां नील-घन-श्यामां, नमामि नील-सुन्दरीम् ।। 7 ।।


श्यामांगीं श्याम-घटिकां, श्याम-वर्ण-विभूषिताम् ।

प्रणामामि जगद्धात्री, गौरीं सर्वार्थ साधिनीम् ।। 8 ।।


विश्वेश्वरीं महा-घोरां, विकटां घोर-नादिनीम् ।

आद्यामाद्य-गुरोराद्यामाद्यानाथ-प्रपूजिताम् ।। 9 ||


श्रीदुर्गा धनदामन्न-पूर्णां पद्मां सुरेश्वरीम् ।

प्रणमामि जगद्धात्री, चन्द्र-शेखर-वल्लभाम् ।। 10 ।।


त्रिपुरा-सुन्दरीं बालामबला-गण-भूषिताम् ।

शिवदूतीं शिवाराध्यां, शिव-ध्येयां सनातनीम् ।। 11 ।।


सुन्दरीं तारिणीं सर्व-शिवा-गण-विभूषिताम् ।

नारायणीं विष्णु-पूज्यां, ब्रह्म-विष्णु-हर-प्रियाम् ।। 12 ।।


सर्व-सिद्धि-प्रदां नित्यामनित्य-गण-वर्जिताम् ।

सगुणां निर्गुणां ध्येयामर्चितां सर्व-सिद्धिदाम् ।। 13 ।।


विद्यां सिद्धि-प्रदां विद्यां, महा-विद्या-महेश्वरीम् ।

महेश-भक्तां माहेशीं, महा-काल-प्रपूजिताम् ।। 14 ।।


प्रणमामि जगद्धात्री, शुम्भासुर-विमर्दिनीम् ।

रक्त-प्रियां रक्त-वर्णां, रक्त-वीज-विमर्दिनीम् ।। 15 ।।


भैरवीं भुवना-देवी, लोल-जिह्वां सुरेश्वरीम् ।

चतुर्भुजां दश-भुजामष्टा-दश-भुजां शुभाम् ।। 16 ।।


त्रिपुरेशीं विश्व-नाथ-प्रियां विश्वेश्वरीं शिवाम् ।

अट्टहासामट्टहास-प्रियां धूम्र-विनाशिनीम् ।। 17 ।।


कमलां छिन्न-मस्तां च, मातंगीं सुर-सुन्दरीम् ।

षोडशीं विजयां भीमां, धूम्रां च बगलामुखीम् ।। 18 ।।


सर्व-सिद्धि-प्रदां सर्व-विद्या-मन्त्र-विशोधिनीम् ।

प्रणमामि जगत्तारां, सारं मन्त्र-सिद्धये ।। 19 ।।


।। फल-श्रुति ।।


इत्येवं व वरारोहे, स्तोत्रं सिद्धि-करं प्रियम् ।

पठित्वा मोक्षमाप्नोति, सत्यं वै गिरि-नन्दिनि ।। 1 ।।


कुज-वारे चतुर्दश्याममायां जीव-वासरे ।

शुक्रे निशि-गते स्तोत्रं, पठित्वा मोक्षमाप्नुयात् ।। 2 ।।


त्रिपक्षे मन्त्र-सिद्धिः स्यात्, स्तोत्र-पाठाद्धि शंकरी ।

चतुर्दश्यां निशा-भागे, शनि-भौम दिने तथा ।। 3 ।।


निशा-मुखे पठेत् स्तोत्रं, मन्त्र-सिद्धिमवाप्नुयात् ।

केवलं स्तोत्र-पाठाद्धि, मन्त्र-सिद्धिरनुत्तमा ।

जागर्ति सततं चण्डी-स्तोत्र-पाठाद्-भुजंगिनी ।। 4 ।।


।। श्रीमुण्ड-माला-तन्त्रे एकादश-पटले महा-विद्या-स्तोत्रम् ।।

Rajat Jain 🚩 #Chanting and #Recitation of #Jain & #Hindu #Mantras and #Prayers
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