
एक आहत पक्षी
उन दिनों भारत के मध्य में इस स्थान था। जो पक्षीराज नाम से विख्यात था, वह प्रदेश पक्षियों की अनेकों प्रजातियों से प्रसिद्ध था। और वहां के लोगों को भी पक्षियों से बहुत लगाव था, वहां पर सबसे अधिक तोतों की प्रजातियां थी, जो अपने रंग और अपने अनोखे रूप से बहुत प्रसिद्ध थी। और तोतों की प्रजातियों का एक गुट जिसका नाम 'कर्रा सुगा ' शुद्धाकिनी नदी के किनारे अपना बसेरा बनाए हुए थे।
शुद्धाकिनी नदी अपने नाम की तरह शुद्ध थी वहां रहने वाले पशु पक्षी उसी शुद्ध जल से अपना प्यास बुझाते थे। उसी नदी के तट पर एक बहुत विशाल बरगद का पेड़ था, जहां पर मीना मानस नाम के तोते, अंडा देने के लिए एक घोसले का निर्माण कर रहे थे। मानस तिनका डूडने जाता और मीना घोंसला को...
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