
सामान्यतया पृथ्वी के धरातल से 6 सौ मीटर से अधिक ऊँचे उठे हुए भू-भाग को पर्वत कहते हैं । किन्तु विश्व के कई पठार ऐसे हैं, जो इससे भी अधिक ऊँचे हैं, किन्तु वे पर्वत नहीं हैं । उदाहरण के लिए तिब्बत का पठार समुद्र तल से 48 सौ मीटर ऊँचा है, किन्तु वह पर्वत नही है । धरातल के 27 प्रतिशत भाग में पर्वत हैं । पर्वतों के निम्न स्वरूप होते हैं –
(1) पर्वत कटक ;(Mountain Riedg) लंबी संकरी, ऊँची पहाडि़यों की श्रृंखला पर्वत कटक कहलाती है । इनका निर्माण चट्टानों के पटल के मुड़ने से होता है । ये विशेष रूप से उस स्थान पर बनते हैं, जहाँ पटल के एक ओर घाटी तथा दूसरा अपेक्षाकृत ऊँचा उठा हुआ भाग होता है ।
(2) पर्वत श्रेणी ;(Mountain Range) यह पहाड़ और पहाडि़यों की विस्तृत श्रृंखला होती है, जिसमें अनेक कटक, शिखर और घाटियाँ शामिल होती हैं । उल्लेखनीय है कि एक ही पर्वत में कई श्रेणियाँ हो सकती हैं; जैसे – हिमालय की श्रेणियाँ ।
इन श्रेणियों की उत्त्पत्ति तो एक ही युग में होती है, किन्तु इनकी चट्टानों के बनावट में अन्तर होता है । इसके अतिरिक्त पर्वतों के स्वरूपों में पर्वतमाला, पर्वत तंत्र, पर्वत वर्ग तथा पर्वत शिखर आदि आते हैं। पर्वत शिखर पर्वत का सर्वोच्च भाग होता है, जो नुकीला, गुम्बदाकार या पिरामिड के आकार का हो सकता है।
पर्वत भूमि का पांचवां भाग घेरते हैं और ये प्रत्येक महाद्वीप में उपस्थित हैं। पर्वतों के बिना संसार की कल्पना निश्चय ही आकर्षण व सम्मोहन से विहीन होती है। लेकिन पर्वत क्या है और इसकी परिभाषा क्या है?
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