
बारिश और प्यार, ये दोनों ही अद्भुत और रोमांटिक अहसास हैं। बारिश का पानी और मिट्टी की खुशबू दोनों ही प्यार को और भी मीठा बना देते हैं। यह दोनों ही अपने अंदर एक खास माहौल लेकर आते हैं, जो रिश्तों को और भी मजबूत बना देता है। बारिश की बूंदें और प्यार की मिठास, आइये भीगते हैं मोहब्बत की बारिश में ...
(Rain and love, both are wonderful and romantic feelings. Rain and the fragrance of soil both make love even sweeter. Both of them bring a special atmosphere within themselves, which makes relationships even stronger. Drops of rain and sweetness of love, let's get wet in the rain of love...)
बारिश पसंद है तुम्हें,
मिट्टी की भीनी ख़ुशबू वाली,
तो इस शाम भीगा मैं,
मनाने मोह्ब्बत सर्दी वाली,
कुछ भीगा, कुछ सूखा, कुछ खोया यादों में,
वो नर्म तपती हथेली और छुअन, अपनों वाली,
एहसासों की आँखे थी, दरिया मौजों वाली,
डूबा था मैं दिल तक, साँस कहाँ आने वाली,
फिर एक शाम भीगा बारिश में, मोह्ब्बत वाली..
छ्प-छप कर के चलना तेरा, और बातों मे बचपन,
इठलाती सी तुम बूंदे लेकर, बादल सी चलने वाली,
मैं रुक कर सोच रहा था, बिन हूर गुलिस्ताँ कैसा होगा
यूँ आई जो जीवन में मेरे, नहीं तुम वापस जाने वाली,
फिर एक शाम भीगा बारिश में, मोह्ब्बत वाली..
टप-टप करती बूँदें, छू कर जिश्मों को मिट सी जाएं,
पर मिटती क्या आग जली जो, मिलने वाली,
इत्र सा बिखरा अक़्स तुम्हारा, बातें कुछ चुप सी हो जायें,
था हर एक मंजर कुछ हकीकत सा, और तुम मुझमें खोने वाली,
बारिश पसंद है तुम्हें, मिट्टी की भीनी ख़ुशबू वाली,
फिर एक शाम भीगा बारिश में मैं, मोह्ब्बत वाली...
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