
आखें वो बोल जाती हैं जो जुबान नहीं बोल पाती, जिन भावनाओं के लिए शब्द कम से लगते हैं| आँखें एक व्यक्ति की भावनात्मक स्थिति, जज्बात, और अंदर की गहराईयों को जताती हैं। आँखें व्यक्ति की सबसे गहरी और सत्य भावनाएं दिखाती हैं, जैसा कि आइना हमें हमारी असली सूरत दिखाता है। आखें व्यक्ति की आत्मा की झलक, उनकी भावनाओं और सांस्कृतिक मूल्यों को उजागर करती हैं...
(The eyes speak what the tongue cannot express, those emotions for which words seem inadequate. Eyes reveal a person's emotional state, sentiments, and the depths within. The eyes showcase a person's deepest and truest feelings, much like a mirror reflects our true self. The eyes offer a glimpse into the soul of an individual, illuminating their emotions and cultural values..)
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जब जुबाँ कुछ न कह पाए,
तब बात करती हैं आंखें,
जो बात लफ्जों से न बयाँ हो,
वो बयां करती हैं आँखें।अजब सा रिश्ता हैं,
दिल की धड़कनों का आँखों से,
जब हो तुम दूर,
या हो पल तेरी याद का,
जब हो तुझे मंजूर,
या हो पल न ऐतबार का,
जब मैं न समझूं,
तू समझाए रिश्ता जज्बात का,
जब ना हो पास,
और डर सताए तेरे इनकार का,
तब भी दिन और रात
इंतजार करती हैं आँखें
जो बात लफ्जों से न बयाँ हो,
वो बयां करती हैं आँखें।आंखों की आँखों से अनबन
झुठलाये झूठे वादों को झटपट
इकरार अभी करार सा बन कर बैठा है
आंखों में सीधे-साधे सवाल गढ़ कर बैठा है
रात जाये, दिन बीते या कट जाये बरस
इन्तेज़ार फ़िर भी करती हैं ये आँखें
जो बात लफ्जों से न बयाँ हो,
वो बयां करती हैं आँखें।अजब सा रिश्ता हैं,
आँखों का जज्बात से,
दिल रोए न रोए,
चमक उठती हैं ये आंखें,
जब हर आवाज में सुर गूंजे,
जागते हुए सोएं ये आंखें,.
पढ़ें चेहरा, ज़ुबाँ और जज़्बात,
साथ न दे लफ्ज़,
फिर भी जवाब दें, ये आँखें,
तब आँखों में आँखों का आईना,
बनती हैं ये आँखें।
©Peeyush Umarav