हमें रोज़ मर्रा की ज़िन्दगी में बहुत कुछ सही लगता है और बहुत कुछ गलत पर क्यूंकि हम इतने मशरूफ होते हैं अपनी निजी ज़िन्द्दगी में की हम नज़रअंदाज़ कर देते हैं उन चीज़ों को जो कह देना ज़रूरी होता है। अगर अपने लिए नहीं तो किसी और के लिए, कुछ कहना है मुझे , एक कोशिश है उन सब चीज़ों का ज़िक्र करने की जिसकी कहीं कोई पूछ नहीं है।
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